सोचिए अगर यह चाय ना होती तो चाह का क्या होता? विश्व के अधिकतर देशों के लोग सुबह उठने के बाद जिस चीज की सबसे पहले ख्वाहिश करते हैं वो है चाय ...
सोचिए अगर यह चाय ना होती तो चाह का क्या होता?
विश्व के अधिकतर देशों के लोग सुबह उठने के बाद जिस चीज की सबसे पहले ख्वाहिश करते हैं वो है चाय और अगर यह चाय सुबह सुबह ना मिले तो बस समझ लीजे पूरा दिन सुस्ती और चिड़चिड़ेपन के साथ ही गुजरता है।
कहा जाता है की इसकी खोज एक खानसामे की गलती से 2732 BC में चीन के शासक शेंग नुंग के दौर में हुई थी । चीन के शासक शेंग नुंग को हर सुबह गर्म पानी पीने की आदत थी और एक रोज़ जब उनका बावर्ची पानी गर्म कर रहा था तो पास में लगे एक पेड़ का पत्ता उसमें गिर गया और उस पानी का स्वाद बदल गया। बावर्ची डरा और सोच ही रहा था की क्या किया जाय कि बादशाह ने आवाज दी और बावर्ची उस पानी को ले के बादशाह के पास पहुंच गया। बादशाह ने जब उसे पिया तो उसे इस पानी की खुशबू बहुत पसंद आई और पीने के बाद शरीर में ताजगी का एहसास हुआ। बादशाह ने पूछा की इसमें क्या डाला था तो बावर्ची ने बताया की गलती से पानी में उस पेड़ के पत्ते पड़ गए जिनका इस्तेमाल नशा उतारने के लिए किया जाता था। फिर क्या था बादशाह ने उस पत्ते को उबाल के रोज पीना शुरू किया और उसे "चा " का नाम दिया। चाइना में टैंग साम्राज्य की शुरुआत के साथ आम लोगों ने भी इसे पीना शुरू कर दिया और इसका इस्तेमाल इतना बढ़ा की आने वाले मेहमान को सम्मान देना होता था तो उसे चाय पेश की जाती थी। फिर क्या था यह चाय जापान से ब्रिटेन होते हुए भारत जा पहुंची।
भारत में अंग्रेज़ों ने चाय उत्पादन की शुरुआत 1836 में की और 1867 में श्रीलंका में की और वे इसके बीज चीन से मंगवाया करते थे । उसी दौर में यह चाय जंगली पेड़ों की शक्ल में आसाम में बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती थी और जब अंग्रेजों को 1823 में इसका पता चला तो उन्होंने ने इसका इस्तेमाल ब्रिटेन में चाय की खपत को पूरा करने के लिए शुरू कर दिया।881 में इंडियन टी एसोसिएशन की स्थापना की गई। इससे भारत ही नहीं, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भी चाय के उत्पादन को फैलाया गया।
अभी भी भारतीयों को यह चाय बहुत पसंद नहीं आ रही थी । अंग्रेजों ने इस चाय में दूध और शकर डालने की शुरुआत की जिससे इसकी कड़वाहट कम हो गई और यही से भारत में इसे पसंद किया जाने लगा। शुरू में तो यह दूध वाली चाय राजे महाराजो के यहां और अंग्रेजों के यहां पी जाती थी लेकिन धीरे धीरे या आमजन तक आ पहुंची और आज भारत में चाय की सबसे अधिक खपत होती है।
यहां की सुबह हो या शाम चाय के साथ ही हुआ करती है और मेहमान नवाजी में तो चाय ना मिले तो लोग ताना मारते हैं की एक कप चाय को भी नहीं पूछा जिसका मतलब होता है की इज्जत नहीं दी।
आज इस चाय की बहुत से शक्लें है जैसे मसाला चाय, अदरक चाय, काढ़ा, ग्रीन टी, कश्मीरी चाय इत्यादि जिसमें अदरक की चाय और कश्मीरी चाय तो सर्दियों की जान कही जाती है।
हर गली नुक्कड़ पे चाय की दुकान पे बैठे लोग चाय का मजा लेले के सियासी सामाजिक चर्चाओं का बाजार गर्म किए रहने हैं तो कहीं बेहद कीमती चाय की प्यालियों में टी सेट में चाय से मेहमात नवाजी हो रही होती है।
चाय आज हम भारतीयों के जीवन का हिस्सा बन चुकी है ।
एस एम मासूम
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