72 हूर पे क्या होती है राजनीति ?
हूर 72 चाहिए या अपनी ही पत्नी या पति चाहिए ?
इस्लाम ने कुरान में शिक्षा पे सबसे अधिक महत्व दिया है और अगर हमारे नौजवान शिक्षित हों तो गुमराह करने वालों का शिकार होने से बच सकते हैं। कुरान में हूरों का ज़िक्र तो है लेकिन 72 हूरों का नहीं लेकिन इन हूर को समझने के लिए सबसे पहले हमे यह समझना होगा की इस्लाम के अनुसार हमारी हकीकत क्या है। हमारी आत्मा को अल्लाह ने इस दुनिया में अपना जीवन आसानी से गुजारने के लिए शरीर दिया है जब इंसान की मृत्यु होती हैं तो शरीर का अंत हो जाता है और आत्मा या रूह जन्नत या जहन्नम अपने कर्मों के अनुसार जाती है। नेक काम करने वाला जन्नत जाता है जहां दुनिया की मुश्किलें नहीं होती और हर प्रकार का आराम रहता है और बुरा काम करने वाला नर्क जाता है जहां तकलीफें हुआ करती हैं।
जन्नत में हूरें मिलेंगी यह तो हमने कुरान में पढ़ लिया लेकिन इसको समझा हमने इस दुनिया में अपनी शारीरिक इच्छाओं के अनुसार और यह भूल गए की सेक्स की इच्छा शारीरिक इच्छा है ना की रूह की जरूरत और इस शारीरिक संबध का मुख्य कारण नस्ल को आगे बढ़ना है जिसकी आवश्यकता जन्नत में नहीं। ऐसे में हूर की व्याख्या इस प्रकार करना जैसे अक्सर लोग दुनिया में औरत को भोग विलास या शारीरिक संबंधों की लज्जत से जोड़ के देखने लगे है कहां तक उचित है?
दूसरे बड़ा आम सा सवाल है की मर्द को हूर मिलेगी तो औरत को क्या मिलेगा? यह सवाल भी इसलिए पैदा हुआ की कुरान अरबी में है और इसकी शब्दकोश की जानकारी लोगों की कम है । शब्दकोश में बड़ी आंखों वाले मर्द को "अहवर" कहते हैं और बड़ी आंखों वाली औरत को "होरा " और जब दोनो को मिला के कहना हो तो शब्द हूर का इस्तेमाल किया जाता है। कुरान को जब पढ़ें तो मिलेगा की अल्लाह कह रहा है की जन्नत में सब जोड़े से होंगे । इससे यह बात साफ तौर पे जाहिर है की हूर शब्द का इस्तेमाल केवल औरत के लिए नहीं किया गया है बल्कि जन्नत में रहने वाली सभी आत्माओं के जोड़े के लिए इसका इस्तेमाल हुआ है।
इस्लाम में कहा जाता है की बूढ़ा कोई मरे तो भी इसकी आत्मा को जन्नत में शक्ल उसकी जवानी वाली ही मिलेगी। मतलब जन्नत में हर शक्स की आत्मा अपने जीवन की सबसे खूबसूरत जवानी की शक्ल में हुआ करती है। ऐसे में इस दुनिया में मिली जीवन संगिनी या जीवन साथी जन्नत में हूर लगे और आपको जोड़े की शक्ल में मिले तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
शरीर हमारी आत्मा के लिए इस दुनिया में अपना निर्धारित जीवन गुजारने का एक साधन मात्र है और अलग अलग शक्ल हमारी पहचान के लिए हैं । सारी इच्छाएं शारीरिक हैं और उसका मकसद भी इस दुनिया को एक तय किए निज़ाम के तहत चलते रहना है। आत्मा के लिए इन शारीरिक इच्छाओं का कोई मतलब नहीं होता इसलिए हूर हो या जन्नत में मिलने वाली नेमतें इसी जिस्म नहीं आत्मा से जोड़ के इसकी व्याख्या करनी चाहिए।
एस एम मासूम
जन्नत में हूरें मिलेंगी यह तो हमने कुरान में पढ़ लिया लेकिन इसको समझा हमने इस दुनिया में अपनी शारीरिक इच्छाओं के अनुसार और यह भूल गए की सेक्स की इच्छा शारीरिक इच्छा है ना की रूह की जरूरत और इस शारीरिक संबध का मुख्य कारण नस्ल को आगे बढ़ना है जिसकी आवश्यकता जन्नत में नहीं। ऐसे में हूर की व्याख्या इस प्रकार करना जैसे अक्सर लोग दुनिया में औरत को भोग विलास या शारीरिक संबंधों की लज्जत से जोड़ के देखने लगे है कहां तक उचित है?
दूसरे बड़ा आम सा सवाल है की मर्द को हूर मिलेगी तो औरत को क्या मिलेगा? यह सवाल भी इसलिए पैदा हुआ की कुरान अरबी में है और इसकी शब्दकोश की जानकारी लोगों की कम है । शब्दकोश में बड़ी आंखों वाले मर्द को "अहवर" कहते हैं और बड़ी आंखों वाली औरत को "होरा " और जब दोनो को मिला के कहना हो तो शब्द हूर का इस्तेमाल किया जाता है। कुरान को जब पढ़ें तो मिलेगा की अल्लाह कह रहा है की जन्नत में सब जोड़े से होंगे । इससे यह बात साफ तौर पे जाहिर है की हूर शब्द का इस्तेमाल केवल औरत के लिए नहीं किया गया है बल्कि जन्नत में रहने वाली सभी आत्माओं के जोड़े के लिए इसका इस्तेमाल हुआ है।
इस्लाम में कहा जाता है की बूढ़ा कोई मरे तो भी इसकी आत्मा को जन्नत में शक्ल उसकी जवानी वाली ही मिलेगी। मतलब जन्नत में हर शक्स की आत्मा अपने जीवन की सबसे खूबसूरत जवानी की शक्ल में हुआ करती है। ऐसे में इस दुनिया में मिली जीवन संगिनी या जीवन साथी जन्नत में हूर लगे और आपको जोड़े की शक्ल में मिले तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
शरीर हमारी आत्मा के लिए इस दुनिया में अपना निर्धारित जीवन गुजारने का एक साधन मात्र है और अलग अलग शक्ल हमारी पहचान के लिए हैं । सारी इच्छाएं शारीरिक हैं और उसका मकसद भी इस दुनिया को एक तय किए निज़ाम के तहत चलते रहना है। आत्मा के लिए इन शारीरिक इच्छाओं का कोई मतलब नहीं होता इसलिए हूर हो या जन्नत में मिलने वाली नेमतें इसी जिस्म नहीं आत्मा से जोड़ के इसकी व्याख्या करनी चाहिए।
एस एम मासूम
COMMENTS