हिंदी ब्लॉगजगह ने मुझे बहुत प्रेम दिया और २००९ में जब मैंने हिंदी ब्लॉग जगत में क़दम रखा तो ब्लॉगर भाइयों ने मेरा स्वागत दिल से किया और मैं...
हिंदी ब्लॉगजगह ने मुझे बहुत प्रेम दिया और २००९ में जब मैंने हिंदी ब्लॉग जगत में क़दम रखा तो ब्लॉगर भाइयों ने मेरा स्वागत दिल से किया और मैंने एक मिशन चलाया जिसका नाम था "अमन का पैगाम " जिसमे आगे बढ़ चढ़ के अधिकांश देश विदेश के ब्लॉगरो ने हिस्सा लिया और उनके लेख आज भी मेरे इस ब्लॉग पे मौजूद हैं और सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखों में उनकी गिनती है |
और फिर एक समय आया की यह ब्लॉग हिंदी ब्लॉगजगत में चर्चा का विषय बन गया और लोगो ने अपने अलग अलग विचार देने शुरू किये कुछ ने इसके खिलाफ भी बोला लेकिन अधिकांश ब्लॉगरो का सहयोग बना रहा | यह वो दौर था जब हिंदी ब्लॉगजगत में धर्म युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे और ऐसे में अमन का पैगाम एक प्रेम का सन्देश लाया इसीलिये इस पहल को लोगों ने अधिक सराहा |
फिर शुरू हुआ हिंदी ब्लॉगजगत का व्यापारी करण और गुबाज़ियाँ और सस्ती शोहरत का शौक़ वालों ने उसे पैसे खर्च कर कर के भी अपनाया और लेखन का विषयों का स्तर गिरने लगा | इसी दौर में बहुत से ब्लॉगर ने ब्लॉगजगत से हटने का मन बना लिया और लोग फेसबुक इत्यादि जगहों पे लिखे के खुश रहने लगे | आज भी बड़े बड़े चर्चित ब्लॉग पे आपको टिपण्णी का अभाव मिलेगा जहां कभी २०० टिपण्णी का आ जाना आम सी बात थी |
मैंने भी उसे समय यह फैसला कर लिया की अमन का पैगाम ब्लॉग को सुप्तावस्था में ले जाया जाय और अपने वतन जौनपुर के लिए कुछ काम किया जाय और मैंने हमारा जौनपुर इत्यादि कई पोर्टल बनाय और ज़मीनी स्तर पे सामाजिक सरोकारों से जुड़ के काम में अपना समय देने लगा | यहां भी कामयाबी मिली और जौनपुर के सबसे अधिक चर्चित ब्लॉग में मेरा ब्लॉग रहा और जौनपुर को पहली बार न्यूज़ पोर्टल के लिए जागरूक करने का श्रेय हासिल हुआ और पत्रकार जगह में भीष्म पितामह के नाम से मशहूर हुआ | अनगिनत पुरस्कार से नवाज़ा गया |
इसी बीच हिंदी ब्लॉग जगत से मुझे मेल आते रहे की अपना मिशन अमन का पैगाम शुरू करूँ | मन में कहीं था की कभी समय मिला तो इसे शुरू करने की कोशिश की जायगी और आज जब यह बात समझ पे आयी की हिंदी ब्लॉगजगत का इलाक़ा केवल कुछ शहरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि बहुत बड़ा इलाक़ा है और एक से एक बड़े लेखक अपना काम निस्वार्थ भाव से बिना किसी नाम , पुरस्कार की लालच के अधिक बेहतर तरीके से कर रहे हैं तो विचार आया क्यों न इस नेक काम को फिर से शुरू किया जाय |
यक़ीनन यह शुरुआत केवल " अमन का पैगाम " मिशन की शुरुआत नहीं बल्कि मेरे अपने ब्लॉग लेखन की शुरुआत है लेकिन अमन का पैगाम जो ब्लॉगर भी देना चाहे उसका स्वागत है क्यों की इन सभी शांति संदेशन को जिनकी संख्या १६० से अधिक है एक किताब की शक्ल देने का इरादा रखता हूँ |
ब्लॉगजगत में टिपण्णी की अहमियत तो है लेकिन अधिक अहमियत आपके ब्लॉग पे आने वाले पाठको की संख्या की हुआ करती है टिपण्णी तो बहुत बात गुटबाज़ी और चाटुकारिता को भी जन्म देती है जिसका गलत असर ब्लॉगर की लेखनी पे पड़ता है |
शांति सदेश , अमन का पैगाम भेजने के लिए कमंट करें या मुझे मेल करें |
शांति सदेश , अमन का पैगाम भेजने के लिए कमंट करें या मुझे मेल करें |
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