"मानसिक शोषण "शरीफ जालिमो का मनपसंद हथियार है इसलिए इस बारे में खबरें तो बहुत छपती है लेकिन इसके खिलाफ आवाजें बहुत कम उठती ह...
मानसिक शोषण का शारीरिक शोषण से बड़ा गहरा रिश्ता है और यह घरों, परिवारों से लेकर संस्थाएँ, दफ्तरों ,सड़कों इत्यादि हर जगह मौजूद है | ताक़तवर इंसान अपने से कम ताक़त वाले का शोषण करते देखा जाता है इसलिए यह कहा जा सकता है की यह ताक़तवरों का शौक़ है लेकिन इसके कीटाणु हर उस इंसान में मजूद होते हैं जिसका कर्म और मन दूषित होता है |
अभी कल की ही बात है मैंने देखा एक राशन की दूकान पे गरीब धुप में लाइन लगाये हैं और राशन वाला अपनी सीट पे नहीं बल्कि अपनी बोरियां इधर से उधर कर रहा है फिर आधा घंटा बाद वो जब अपनी सीट पे आया तो अपनी कॉपी ले के बैठ गया उसपे लाइन बनाना और हिसाब किताब करने लगा और ४० मिनट और खा गया | कुछ लोगों को राशन दिया और बाकी का अतिओं कार्ड जमा कर के बोला अब शाम को आना | आप देख सकते हैं सुबह से लाइन लगाए यह गरीब ४-५ किलो राशन और घासलेट के लिए जानवरों की तरह लाइन में लगते हैं जिनमे से अधिकतर महिलैएँ हुआ करती है | जबकि राशन वाला चाहे तो एक घंटे में सभी को निपटा सकता है लेकिन करता है अपनी इस छोटी सी ताक़त का दुरूपयोग|
सड़कों पे ग़रीब और बहुत बार मानसिक संतुलन खो चुके लोगों को सता के मज़ाक करना, किसी गरीब बच्चे को ज़लील करना भी आम सी बात है जो हर दिन कहीं न कहीं दिख ही जाती है | घरों में आज भी पुरुषप्रधान समाज का बोलबाला है और औरत की स्थिति एक गुलाम सी ही हुआ करती है जिसे बस पति, सास देवर का हुक्म मानना है | लड़की होने पे , दहेज़ ना लाने पे गालियाँ खाना है लेकिन इन महिलाओं की फ़रियाद कोई सुनने वाला नहीं बल्कि इसे उन महिलाओं की नियति मान के समाज ने कुबूल कर लिया है |
घर और गलियों में आती जाती बाच्चियों का , अनाथ बच्चियों का मानसिक और शारीरिक शोषण ,हमारे समाज में कोई नयी बात नहीं | कॉलेज हो या दफ्तर महिलाओं का मानसिक और शारीरिक शोषण का काम ताक़तवरों द्वारा चलता ही रहता है और हालात ऐसे बना दिए जाते हैं की वो न कोई फ़रियाद कर सकती हैं और ना उसकी होती है कोई सुनवाई | दफ्तरों में तो महिलाएं ही नहीं पुरुषों का भी मानसिक शोषण आज एक आम बात है | नौकरी की कमी उनको नौकरी छोड़ने नहीं देती और जहां वो काम करते हैं उके बॉस द्वारा की जा रही बेईज्ज़ती, दंड , यहाँ तक की मार भी सहन करनी होती है | ऐसे में यदि किसी ने आवाज़ उठाये तो उसे निकाला जा सकता है उसपे आरोप लगा के फंसाया जा सकता है | बहुत से लोग इस्तीफ़ा देके दिकल जाते हैं, बहुत से मानसिक और शारीरिक शोषण आत्महत्या की कोशिश करते भी देखे गए हैं | अभी कल की ही खबर है कि ऐंकर तनु शर्मा ने आत्महत्या की कोशिश की और कारन इसका मानसिक शोषण था |इसी प्रकार कॉलेज की रेगिंग भी बहुत बार युवाओं को अपने सपनो को छोड़ आत्महत्या करने में मजबूर कर दिया करती है |
सभी मामलों में यही मिलता है की "मानसिक और शारीरिक शोषण " हमारे समाज के सफेदपोश जालिमो का एक ऐसा हथियार है जिसका इस्तेमाल कमजोरों पे किया जाता है फिर वो घर हो दफ्तर हो,कॉलेज हो या सड़कों के ग़रीब का मामला हो | इस अपराध की गंभीरता को आज समझने की और इसके खिलाफ सख्त कानून और लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है |
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