बलात्कार पे बहुत कुछ लिखा जाता रहा है लेकिन इस बिमारी से छुटकारा कैसे पाया जाये इस विषय पे लोग कम लिखते हैं और इस विषय पे राजनीति अधिक हु...
बलात्कार पे बहुत कुछ लिखा जाता रहा है लेकिन इस बिमारी से छुटकारा कैसे पाया जाये इस विषय पे लोग कम लिखते हैं और इस विषय पे राजनीति अधिक हुआ करती है | बलात्कार एक मानसिक रोग है और इस रोग का शिकार किसी भी उम्र का व्यक्ति हो सकता है और ऐसा नहीं की महिलाएं बलात्कार नहीं करती लेकिन वो प्रकाश में कम ही आ पता है | पश्चिमी देशों में जहां आजादी अधिक है वहाँ ऐसे मामले भी प्रकाश में आया करते हैं |
यह एक ऐसा मानसिक रोग है जिसकी सजा खुद बीमार को नहीं बल्कि दुसरे व्यक्ति को भुगत ना पड़ता है इसलिए इस बिमारी को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए | यही कारण है की बलात्कार का शिकार केवल सड़कों या अकेले चलने वाली महिलाएं होती है ऐसा नहीं है बल्कि शादीशुदा महिलाएं भी पति द्वारा बलात्कार का शिकार हुआ करती है | घरेलु हिंसा ,मार पीट और फिर ज़बरदस्ती सेक्स भी इसी तरह का बलत्कार है जिसका कारण मानसिक रोग ही है | हाँ इस तरह के बलात्कारों का हमारे समाज की कुछ कमियों के कारण प्रकाश में आना संभव नहीं हो पाता इसलिए इसकी सजा भी नहीं मिल पाती है |
बलात्कार को रोकने के लिए ही एक बार यह कोशिश की गयी की इसकी सजा सख्त से सख्त हो लेकिन इस सजा से बलात्कार की दर में कोई कमी आती नहीं दिख रही | इसका कारण यही है की इस बीमारी के रोगी की ऐसे समय में सोंचने समझने की शक्ति ख़त्म हो जाया करती है और वो उस समय सेक्स से अधिक कुछ भी सोंच नहीं पाता और बावजूद इतनी सख्त सजा के वो बलात्कार कर बैठता है और बाद में पछताता है |
अधिक सही तो यही होगा की इस बीमारी का कारण जानने की कोशिश की जाए और इसका इलाज कैसे किया जाए इस पर अधिक विचार विमर्श किया जाए | लेकिन हम इस मनोरोग का इलाज और उसके कारण की की जगह सजा से इस पर काबू पाना चाहते हैं जो शायद संभव नहीं होगा |
इस समस्या का भी लगता है राजनीतिकरण हो चूका है इसलिए समाधान की जगह कभी महिलाओं को खुश किया जाता है और कभी नौजवानों को | इस से पहले की यह बिमारी और अधिक गंभीर रूप ले ले हम को इस समस्या का समाधान सख्त सजा से अलग हट के भी कुछ सोंचना होगा |
यह एक ऐसा मानसिक रोग है जिसकी सजा खुद बीमार को नहीं बल्कि दुसरे व्यक्ति को भुगत ना पड़ता है इसलिए इस बिमारी को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए | यही कारण है की बलात्कार का शिकार केवल सड़कों या अकेले चलने वाली महिलाएं होती है ऐसा नहीं है बल्कि शादीशुदा महिलाएं भी पति द्वारा बलात्कार का शिकार हुआ करती है | घरेलु हिंसा ,मार पीट और फिर ज़बरदस्ती सेक्स भी इसी तरह का बलत्कार है जिसका कारण मानसिक रोग ही है | हाँ इस तरह के बलात्कारों का हमारे समाज की कुछ कमियों के कारण प्रकाश में आना संभव नहीं हो पाता इसलिए इसकी सजा भी नहीं मिल पाती है |
बलात्कार को रोकने के लिए ही एक बार यह कोशिश की गयी की इसकी सजा सख्त से सख्त हो लेकिन इस सजा से बलात्कार की दर में कोई कमी आती नहीं दिख रही | इसका कारण यही है की इस बीमारी के रोगी की ऐसे समय में सोंचने समझने की शक्ति ख़त्म हो जाया करती है और वो उस समय सेक्स से अधिक कुछ भी सोंच नहीं पाता और बावजूद इतनी सख्त सजा के वो बलात्कार कर बैठता है और बाद में पछताता है |
अधिक सही तो यही होगा की इस बीमारी का कारण जानने की कोशिश की जाए और इसका इलाज कैसे किया जाए इस पर अधिक विचार विमर्श किया जाए | लेकिन हम इस मनोरोग का इलाज और उसके कारण की की जगह सजा से इस पर काबू पाना चाहते हैं जो शायद संभव नहीं होगा |
इस समस्या का भी लगता है राजनीतिकरण हो चूका है इसलिए समाधान की जगह कभी महिलाओं को खुश किया जाता है और कभी नौजवानों को | इस से पहले की यह बिमारी और अधिक गंभीर रूप ले ले हम को इस समस्या का समाधान सख्त सजा से अलग हट के भी कुछ सोंचना होगा |
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