अमर प्रेम फिल्म का एक गाना मुझे बहुत पसंद था "कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना,छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना|...
अमर प्रेम फिल्म का एक गाना मुझे बहुत पसंद था "कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम
है कहना,छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना| बस इस गाने में मुझे रैना
शब्द की जगह जीवन शब्द अधिक पसंद था | इंसान का जीवन बहुत छोटा होता है और यकीन न
हो तो ५०—५५ वर्ष पार कर चुके हैं वो ज़रा सोंच के देखें बचपन की बातें तो ऐसा लगता
है अभी कल की ही बात थी और आगे आने वाले वर्षों के बारे में सोंचें तो लगेगा अब
दिन ही जीवन के कितने बचे हैं | यह हर इंसान का फ़र्ज़ है की वो इस बात की फ़िक्र करे
की जितने दिन गुज़र गए उसमे उसने क्या क्या काम अंजाम दिए और जो बचे हैं उनमे उसे
क्या क्या और करना है ? आज के दौर में तो इंसान केवल अपने लिए जीता है और मकसद हर
समय धन दौलत और शोहरत हासिल करना हुआ करती है | दूसरों के लिए कुछ करना , समय देना
उनकी परेशानियों को दूर करने की कोशिश करना इत्यादि अब बेवकूफी समझी जाती है | ऐसे
में अगर इंसान सोंचेगा तो यही कि जो ज़िन्दगी बची है उसका इस्तेमाल और अधिक धन दौलत
और शोहरत जमा करने में ही की जाए जबकि ये इंसानों की नहीं बल्कि जानवरों की है |
जिस दिन म्रत्यु होगी उस दिन न धन काम आएगा और ना ही धन और शारीरिक प्रदर्शन द्वारा अर्जित यह शोहरत काम आएगी और काम यदि कुछ आएगा जो आप को मरने के बाद भी जीवित रखेगा वो होंगी आपकी नेकियाँ और वो वक़्त जो आपने दूसरों की मदद करने में गुज़ारा |
इंसान की एक बड़ी कमजोरी है की वो जब भी नेकियाँ करने की सोंचता है तो यह दिमाग में अवश्य आता है की लोग क्या कहेंगे लेकिन आज ऐसा समय आ गया है की जब कोई भ्रष्टाचार की सोंचता है, महिला शारीरिक प्रदर्शन की सोंचती है तो यह दिमाग में आता ही नहीं की लोग क्या कहेंगे क्यूँ की सड़क पे पड़े केले के छिलके हो हटाते समय आप पे बहुतों की नज़रें बढेंगी और आप को शर्म भी महसूस हो सकती है , अपनी कार से उतर के गरीब के साथ बैठ के उसका हाल पूछने या उसके साथ खाने में भी आपको शर्म आ सकती है भाई लोग क्या कहेंगे ? लेकिन भ्रष्टाचार से धन कमा लिया तो शान इस समाज में बढ़ जाती है क्यूँ की धनी आप हैं यह जान लोग आपके आगे पीछे भागते नज़र आयेंगे यह कोई जानने की कोशिश नहीं करेगा की यह धन आप कहाँ से लाये और कितनो पे ज़ुल्म करके हासिल किया ? इसी प्रकार औरत जितने मर्दों से दोस्ती करती जायेगी उतना ही उसकी तरीफिएँ बढती जायेंगी , जितना वस्त्रों को कम करती जायेगी उतनी की तारीफ उसकी बढती जायेगी लेकिन जैसे ही किसी महिला ने अपने शरीर को ढका तो उसे शर्म आएगी सड़कों पे चलने में और दफ्तरों में बैठने में क्यूँ की शरीर मर्दों से ढक के औरत के लिए बैठना आज शर्म का कारण होता है और शरीर का प्रदर्शन तरक्की की निशानी | केवल अपने पति के साथ पिकनिक मनाना आज शर्म और पिछड़ेपन की निशानी है और गैर मर्दों के साथ घुलमिल के रहना , तसवीरें खिंचवाना इत्यादि आज तरक्की की निशानी है | ऐसा आज हर शहर में और हर धर्म में हो रहा है |
ऐसा जान पड़ता है की आज पाप के रास्ते पे चलने में इज्ज़त और पुण्य के रास्ते पे चलने में बेईज्ज़ती मिला करती है और लोग आपका साथ भी नेकियों में नहीं देते | जो धार्मिक हैं उनको यहाँ पे खुदगर्ज़ होना चाहिए और पुण्य के रास्ते पे चलते हुए अपनी म्रत्यु के बाद की दुनिया को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए बिना यह सोंचे की लोग क्या कहेंगे क्यूँ की म्रत्यु की बाद की दुनिया की मालिक यह दुनिया और यह लोग नहीं जो नेकियों पे हँसते हैं | और जो धार्मिक नहीं उन्हें यह अवश्य सोंचना चाहिए की वो जानवर नहीं जो केवल खुद के लिए जीता हो बल्कि एक इंसान हैं जिसके दिल में एहसास है | ऐसा करने में आपके पास कम मित्र तो हो सकते हैं लेकिन जो होंगे सच्चे मित्र होंगे और जिसने यह मक़ाम पा लिया समझो जीवन में कामयाब हो गया वरना मौत के साथ दुनिया आप को भुला देगी और म्रत्यु के बाद की दुनिया में आपकी कोई जगह नहीं होगी?
लेखक एस एम् मासूम
जिस दिन म्रत्यु होगी उस दिन न धन काम आएगा और ना ही धन और शारीरिक प्रदर्शन द्वारा अर्जित यह शोहरत काम आएगी और काम यदि कुछ आएगा जो आप को मरने के बाद भी जीवित रखेगा वो होंगी आपकी नेकियाँ और वो वक़्त जो आपने दूसरों की मदद करने में गुज़ारा |
इंसान की एक बड़ी कमजोरी है की वो जब भी नेकियाँ करने की सोंचता है तो यह दिमाग में अवश्य आता है की लोग क्या कहेंगे लेकिन आज ऐसा समय आ गया है की जब कोई भ्रष्टाचार की सोंचता है, महिला शारीरिक प्रदर्शन की सोंचती है तो यह दिमाग में आता ही नहीं की लोग क्या कहेंगे क्यूँ की सड़क पे पड़े केले के छिलके हो हटाते समय आप पे बहुतों की नज़रें बढेंगी और आप को शर्म भी महसूस हो सकती है , अपनी कार से उतर के गरीब के साथ बैठ के उसका हाल पूछने या उसके साथ खाने में भी आपको शर्म आ सकती है भाई लोग क्या कहेंगे ? लेकिन भ्रष्टाचार से धन कमा लिया तो शान इस समाज में बढ़ जाती है क्यूँ की धनी आप हैं यह जान लोग आपके आगे पीछे भागते नज़र आयेंगे यह कोई जानने की कोशिश नहीं करेगा की यह धन आप कहाँ से लाये और कितनो पे ज़ुल्म करके हासिल किया ? इसी प्रकार औरत जितने मर्दों से दोस्ती करती जायेगी उतना ही उसकी तरीफिएँ बढती जायेंगी , जितना वस्त्रों को कम करती जायेगी उतनी की तारीफ उसकी बढती जायेगी लेकिन जैसे ही किसी महिला ने अपने शरीर को ढका तो उसे शर्म आएगी सड़कों पे चलने में और दफ्तरों में बैठने में क्यूँ की शरीर मर्दों से ढक के औरत के लिए बैठना आज शर्म का कारण होता है और शरीर का प्रदर्शन तरक्की की निशानी | केवल अपने पति के साथ पिकनिक मनाना आज शर्म और पिछड़ेपन की निशानी है और गैर मर्दों के साथ घुलमिल के रहना , तसवीरें खिंचवाना इत्यादि आज तरक्की की निशानी है | ऐसा आज हर शहर में और हर धर्म में हो रहा है |
ऐसा जान पड़ता है की आज पाप के रास्ते पे चलने में इज्ज़त और पुण्य के रास्ते पे चलने में बेईज्ज़ती मिला करती है और लोग आपका साथ भी नेकियों में नहीं देते | जो धार्मिक हैं उनको यहाँ पे खुदगर्ज़ होना चाहिए और पुण्य के रास्ते पे चलते हुए अपनी म्रत्यु के बाद की दुनिया को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए बिना यह सोंचे की लोग क्या कहेंगे क्यूँ की म्रत्यु की बाद की दुनिया की मालिक यह दुनिया और यह लोग नहीं जो नेकियों पे हँसते हैं | और जो धार्मिक नहीं उन्हें यह अवश्य सोंचना चाहिए की वो जानवर नहीं जो केवल खुद के लिए जीता हो बल्कि एक इंसान हैं जिसके दिल में एहसास है | ऐसा करने में आपके पास कम मित्र तो हो सकते हैं लेकिन जो होंगे सच्चे मित्र होंगे और जिसने यह मक़ाम पा लिया समझो जीवन में कामयाब हो गया वरना मौत के साथ दुनिया आप को भुला देगी और म्रत्यु के बाद की दुनिया में आपकी कोई जगह नहीं होगी?
लेखक एस एम् मासूम