आरुशी की हत्या मामला ,भंवरी का केस ,नैना साहनी का तंदूर में जलाने का मामला ,दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ स्टूडेंट प्रियदर्शिनी मट्टू का मामल...
आरुशी की हत्या मामला ,भंवरी का केस ,नैना साहनी का तंदूर में जलाने का मामला ,दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ स्टूडेंट प्रियदर्शिनी मट्टू का मामला , नीतीश कटारा का या नीरज ग्रोवर और मारिया का,शिवानी भटनागर की हत्या ,मधुमिता शुक्ला की हत्या ,कोलकाता के जाने-माने इंडस्ट्रियलिस्ट अशोक टोडी की बेटी की हत्या, जहां देखिये वहाँ महिलाओं का शोषण, या आजादी के नाम पे अनैतिक संबध, या नौकरी पेशा महिलाओं द्वारा पुरुष सहकर्मी पे आरोप या पुरुष सहकर्मी द्वारा महिलाओं पे आरोप , नेताओं सेक्स स्कैंडल के मामले और मर्डर | यह हमारा समाज किस दिखा में जा रहा है शायद हम खुद नहीं समझ पा रहे हैं | आज महिलाओं को डर लगता है दफ्तरों में पुरुष एम्प्लॉयर के साथ काम करते और पुरुष डरता है की ना जाने कब कौन सी महिला उसपे अपने फायदे के लिए आरोप लगा दे | राजनीती करने वालों को तो यह आसान सा मुद्दा मिल गया है अपनी साख जमाने के लिए | कोई केवल महिलाओं का बैंक खोल रहा है तो कोई केवल महिला को घूरने पे ही पुरुषों को सजा दिलवाने की बात कर रहा है | लेकिन यह भी सत्य है की ऐसे किसी भी तरीके से इस समस्या का हल नहीं होने वाला क्यूँ की आज हमारा समाज पश्चिमी और हिन्दुस्तानी सभ्यता के बीज झूलता यह नहीं समझ पा रहा है की हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत|
राजेश और नूपुर तलवार की 14 साल के बेटी आरुषी की हत्या हुयी और मामला था 14 साल की उम्र में नौकर से अनैतिक संबंधों का और माता पिता के गुस्से का | सवाल यह उठता है की क्या सच में तलवार दम्पति से अपनी बेटी को इतनी आजादी दे के पाला था की वो 14 साल में ही ऐसे रिश्तों में पड़ गयी ? और यह आजादी आखिर थी क्या ? यदि आरुशी के बिगड़ने का कारण आवश्यकता से अधिक दी गयी आजादी नहीं तो और क्या थी ? मीडिया और लोगों ने आरुशी को इन्साफ दिलाने के लिए ज़मीन आसमान एक किया हुआ है लेकिन क्या हमारे समाज का कोई शख्स ऐसा है जो अपनी बेटी को नौकर के साथ ऐसे रिश्तों में देख खुश हो सकता है ? इसी का दूसरा पछ यह भी है की ऐसे में माता पिता क्या करें जब औलाद इतनी आजादी की मांग करे और समाज इसे बुरा समझे और परिवार की इज्ज़त नीलाम होने लगे | मर्डर यदि तलवार दम्पति ने बेटी का किया तो उनकी मज़बूरी क्या थी ? समाज द्वारा बेईज्ज़ती का डर या अपनी बेटी की गलती पे गुस्सा| यह भी संभव है कि तलवार दम्पति खुद आज़ाद ख्याल थे और बेटी को दी गयी आजादी को गलत नहीं समझते थे | सच मानिये तो दोषी यही समाज था जो आज आरुशी को इन्साफ दिलाने की बातें कर रहा है और यदि वो जीवित होती तो ऐसे संबधों के प्रकाश में आने के साथ ही उसका जीना दूभर कर देता |
लगता ऐसा है जिस प्रकार इंसान तरह तरह के पकवान खाना चाहता है उसी प्रकार से सेक्स पार्टनर भी बदलते रहना चाहता है | ऐसा क्यूँ है यह तो मनोवैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन चोरी छुपे सेक्स और अनातितिक संबंध इस बात की सत्यता को साबित कर रहे हैं |पोर्नोग्राफी का इतना मशहूर होना, युवाओं का ऐसे संबंधों में रूचि और इतने सेक्स संबधित मर्डर और आरोप के मामले भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं की आजादी और सेक्स संबधों को लोग हकीकत में बुरा नहीं समझते बस इसे खुल के कुबूल, समाज के डर से नहीं कर पाते| यह सोंचने की बात है कि क्या शादी शुदा दम्पति को फिल्मो में अर्धनग्न नाच गाने पे पर नारी और पर पुरुष को देखना पसंद नहीं आता या वो सेक्सी सेरिअल्स देखना पसंद नहीं करते ? यह इशारा ही है की पति या पत्नी पास में होने के बाद भी उन्हें इसमें तुल्फ आता है | ऐसे माहौल में स्त्री पुरुष के आपस में अनैतिक संबध तो बन ही जाया करते हैं ,लेकिन ऐसे सम्बन्ध समाज से छुपा के बनते हैं और खुल जाने पे बेईज्ज़त का डर भी रहता इसलिए मामला मर्डर और ब्लैकमेल तक जा पहुँचता है | इस समस्या का हल यह है कि या तो इंसानों की मानसिकता को बदला जाए या फिर अपने समाज को इसे कुबूल करने लायक बना लिया जाए | विपरीत लिंग का आपस में आकर्षित होना तो कुदरती है और यह आकर्षण अनातितिक संबंधों या बलात्कार में ना बदल जाए इसके लिए उन्हें अकेले में साथ ना रहने या एक दुसरे के सामने शारीरिक प्रदर्शन ना करने की भी सलाह दी जाती है लेकिन आज ऐसी सलाह को आजादी पे अंकुश माना जाता है तो फिर एक ही हल सामने दिखता है कि ऐसे रिश्तों की सहमती समाज दे दे और जब जो चाहे जिससे चाहे आपसी सहमती के साथ शारीरिक संबध बनाया जा सके |सवाल यह भी उठता है कि बिना कानून के जानवरों की तरह ऐसा करने की आजादी देना क्या सही होगा |
मेरा मानना है कि इस समस्या का हल polygamy को आवश्यकता पड़ने पे सामाजिक स्वीकृति देने से संभव है | जब समाज की नज़रों से छुपा के ऐसे सम्बन्ध अधिक बनने लगें क्यूंकि समाज इसे पाप कहता है और उसे छुपाने के लिए ही मर्डर और ब्लैक मेलिंग होने लगे तो हमें एक बार इस विषय पे गंभीरता से अवश्य सोंचना चाहिए | अंत में यह सवाल अवश्य दुहराऊंगा की आज जो समाज आरुशी को इन्साफ उसके माता पिता को सजा दिलवा के देना चाह रहा है क्या वही समाज आरुशी के जीवित रहने पे 14 साल की उम्र में अनैतिक सम्बन्ध को इज्ज़त के नज़र से देखता और सहमती देता ? यदि नहीं तो क्या एक समय आने पे आरुशी और उसके माता पिता का ज़िल्लत के कारण जीना हराम नहीं हो जाता ? यह दोहरा मापदंड ही इस समस्या की जड़ है ? आप भी सोंचें इस समस्या का हल ?