मुज़फ्फर नगर में दंगे हुए और एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुयी | इंसानों में ऐसी दरिंदगी मुझे हमेशा से ताज्जुब में डालती रही है | दंगो के...
मुज़फ्फर नगर में दंगे हुए और एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुयी | इंसानों में
ऐसी दरिंदगी मुझे हमेशा से ताज्जुब में डालती रही है | दंगो के बाद शुरू हुआ आरोपों
का दौर और राजनितिक पार्टियों द्वारा एक दुसरे को ज़िम्मेदार ठहराने का दौर फिर
कोर्ट के आदेश और भड़काऊ भाषण देने वालों के नाम की बड़ी लिस्ट जिसमे अलग अलग धर्म के
लोगों के अलग अलग पार्टी के लोगों के नाम सामने आये | लेकिन यह सारे मिल के भी ना
तो दंगों की सही तस्वीर पेश कर सके और ना ही कारण बता सके और न्याय तो वैसा ही होगा
जैसा हर दंगो के बाद मिला करता है |
बचपन में एक गाना सुना था “ये जो पब्लिक है यह सब जाती है “ लेकिन आज के दौर में इस पब्लिक की आवाज़ कोई नहीं सुनता मीडिया भी नेताओं की आवाज़, कोर्ट की आवाज़ , दरिंदों की आवाज़ तो लोगों तक हमेशा पहुँचाया करती है लेकिन आम जनता की आवाज़ कभी कधार ही लोगों तक पहुंचा पाती है | भाई जनता की आवाज़ आखिर बिकती भी तो नहीं लेकिन ना बिकने से इसकी सच्चाई नहीं बदल जाया करती | दंगा क्यूँ हुआ कैसे हुआ और किसने किसको मार इत्यादि अब मुज़फ्फरनगर के दंगों के बाद आम जनता की आवाज़ से सामने आ रहा है और वही पुराना तरीका की भड़काऊ भाषण दो ,कारण तावियार करो झगडे का और उसे बाहरी गुंडों के इस्तेमाल से दरिंदगी की हद तक पहुंचा दो |
एक बेहतरीन लेखक हैं इमरान रिज़वी साहब जिन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा “ आम जनता अब बयान पुलिस तथा मीडिया के सामने हुमक के बयान दे रहे हैं की दंगे में मारकाट करने वाले दरअसल बाहरी लोग थे जो की समूह की शक्ल में आते थे और मारकाट करके चले जाते थे.और तो और अभी वहां के कुत्बी नामक गाँव से खबर आ रही है की गुरुवार को कुटबी गाँव के कुछ अल्पसंख्यक अपना सामान लेने गाँव आए थे. घर छोड़कर गए इन लोगों को गाँव में देखकर जाट समुदाय के लोगों ने उन्हें रोकना चाहा. उन्हें मनाने के लिए चौपाल पर एक पंचायत रखी गई. जब हम पहुँचे तो यह पंचायत शुरु ही हुई थी. जाट समुदाय मसलमानों से अपील कर रहा था की हम आपके साथ रहेंगे और आपकी पूरी हिफ़ाज़त करेंगे. पूरा गाँव आपकी हिफ़ाज़त करेगा और आगे कभी भी कुछ भी नहीं होगा. हम आपको गाँव से जाने नहीं देंगे. अगर आप जाएंगे तो हम भी तुम्हारे साथ ही जाएँगे.,,अगर तुम जिंदा उतरोगे इस गाँव में से तो हमारी लाशों पर से उतरोगे. हम लेट रहे हैं तुम हमारे ऊपर से ट्रक लेकर उतर जाओ. पूरा भाईचारा नू का नू ही रहेगा. हमे पता नहीं था कि ऐसा होगा. हम धोखे में थे.बाहरी लोगों ने साजिश की , जो हो गया सो हो गया."कुटबी गाँव की पंचायत ने तय किया कि मुसलमानों के नुकसान की भरपाई गाँव ही करेगा. चौधरी बलदार सिंह ने घोषणा कर दी कि मुसलमानों का सामान उतारकर उनके घरों में वापस रख दिया जाए. लोगों ने सामान वापस उतारकर रख भी दिया.गाँव में अमन चैन कायम ह|”…इमरान रिज़वी
ध्यान से देखिए आम जनता है जिसने इन दंगों में शिरकत नहीं की बल्कि दंगा करने वाले बहार से बुलाये गए थे और किसने बुलाये यह भी खुल चूका है | आम जनता को देखिये दंगो के बाद अपने हिन्दू और मुसलमान दोनों आपस में प्रेम दिखा रहे हैं और इस बात की गवाही दे रहे हैं की वो आपस में दंगा नहीं करते बल्कि दंगा और दरिंदगी उनपे राजनितिक पार्टियों द्वारा थोपी जाती है और वो मजबूर है | बात साफ़ है आज भी हिन्दुस्तान में हिन्दू मुसलमानों का आपसी प्यार मौजूद है यह कुछ ही लोग हैं जो नफरत की दूकान चला रहे हैं और उनका मकसद भी कुछ और नहीं सत्ता हासिल करना है | ऐसे दंगे हिन्दुस्तान में आम बात हैं जिसमे शिरकत बहार से बुलाये लोगों की साफ़ दिखती रही है | जनता कब तक इन थोपे गए दंगो को झेलने के लिए मजबूर की जाती रहेगी कोई नहीं जानता |