बीजेपी की राजनीति में एक नया मोड़ आया है जिसने यह दिखा दिया की राजनीति में कोई किसी का नहीं होता | लालकृष्ण आडवाणी की कुर्बानियां बीजेपी के ...
बीजेपी की राजनीति में एक नया मोड़ आया है जिसने यह दिखा दिया की राजनीति में कोई किसी का नहीं होता | लालकृष्ण आडवाणी की कुर्बानियां बीजेपी के लिए अनगिनत हैं और नरेन्द्र मोदी का साथ उन्होंने अटल बिहारी बाजपेयी के खिलाफ जाके गुजरांत दंगो के मामले में दिया था वो भी ऐसे में जब अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री की हैसियत से मोदी को राजधर्म पालन करने की हिदायत दे रहे थे और कड़े क़दम उठाने का इशारा दे रहे थे | १९९८ में बीजेपी को दो सीटों से १८२ तक पहुंचाने वाला कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी आज बीजेपी में हाशिये पे खड़ा नज़र आया |इसमें कोई शक नहीं की लालकृष्ण आडवाणी का नाम उनका चेहरा बीजेपी की पहचान बन चूका था जिसे जनता को भुलाने में काफी समय लगेगा |
राजनाथ सिंह का कहना की जैसा जनता का मूड वैसा फैसला तर्क संगत नहीं लगता क्यूंकि बीजीपी के प्रधानमन्त्री पद के लिए अटल बिहारी बाजपेयी के बाद ऐसा कोई नेता नहीं आया जिसे जनता ने पसंद किया हो और नरेन्द्र मोदी की ताक़त उनकी पार्टी में चाहे बड़ी हो लेकिन जनता की नज़र में लालकृष्ण आडवाणी और नरेन्द्र मोदी में कोई फर्क नहीं है | यह तो वक़्त ही बताएगा कि नरेन्द्र मोदी में जिस तरह सारी बीजेपी को एक साथ खड़ा करने की सलाहियत देखी गयी क्या वैसे ही पूरे देश को भी एक साथ खड़ा करने की खूबी हैं या नहीं ? आज तो यही लग रहा है नरेन्द्र मोदी को प्रधानमत्री पद का उमीदवार बनाने से बीजेपी को कोई ख़ास फायदा नहीं होने वाला| चाहे सुषमा स्वराज और लालकृष्ण आडवाणी सामने से पार्टी हित में अपना समर्थन नरेन्द्र मोदी को दे दें फिर भी इनकी नाराज़गी का खामियाजा भी बीजेपी को अवश्य भुगतना होगा |
किसी को लालकृष्ण अडवाणी से हमदर्दी हो रही है कोई कहता है उनको अपनी बुज़ुर्गी का ख्याल करके नरेन्द्र मोदी का सहयोग करना चाहिए | हमारे पत्रकार मित्र राजेश श्रीवास्तव जी का कहना है की "अडवानी जी की जिद को देखकर सोचता हूँ की घर के बुजुर्ग उपेक्षित क्यों होते हैं ? जब बच्चे बड़े हों जाएँ तब बुजुर्गों को चाहिए उनका मार्गदर्शन करें और उन्हें आगे बढ़ने का मौक़ा दें ।"
और हमारे मित्र जूरी जज डॉ दिलीप सिंह साहब बड़े खुश हैं की उनकी भविष्वाणी पूरी हुई नरेन्द्र मोदी प्रधानमन्त्री पद के उमीदवार बने और साथ साथ उन्होंने यह भी भविष्यवाणी कर दी है की नरेन्द्र मोदी ही अगले प्रधानमन्त्री होंगे |
यकीनन प्रधानमन्त्री पद का उमीदवार बनने के बाद नरेन्द्र मोदी के सामने जनता के सहयोग से खुद को साबित करना एक बहुत बड़ी चुनौती है|
राजनाथ सिंह का कहना की जैसा जनता का मूड वैसा फैसला तर्क संगत नहीं लगता क्यूंकि बीजीपी के प्रधानमन्त्री पद के लिए अटल बिहारी बाजपेयी के बाद ऐसा कोई नेता नहीं आया जिसे जनता ने पसंद किया हो और नरेन्द्र मोदी की ताक़त उनकी पार्टी में चाहे बड़ी हो लेकिन जनता की नज़र में लालकृष्ण आडवाणी और नरेन्द्र मोदी में कोई फर्क नहीं है | यह तो वक़्त ही बताएगा कि नरेन्द्र मोदी में जिस तरह सारी बीजेपी को एक साथ खड़ा करने की सलाहियत देखी गयी क्या वैसे ही पूरे देश को भी एक साथ खड़ा करने की खूबी हैं या नहीं ? आज तो यही लग रहा है नरेन्द्र मोदी को प्रधानमत्री पद का उमीदवार बनाने से बीजेपी को कोई ख़ास फायदा नहीं होने वाला| चाहे सुषमा स्वराज और लालकृष्ण आडवाणी सामने से पार्टी हित में अपना समर्थन नरेन्द्र मोदी को दे दें फिर भी इनकी नाराज़गी का खामियाजा भी बीजेपी को अवश्य भुगतना होगा |
किसी को लालकृष्ण अडवाणी से हमदर्दी हो रही है कोई कहता है उनको अपनी बुज़ुर्गी का ख्याल करके नरेन्द्र मोदी का सहयोग करना चाहिए | हमारे पत्रकार मित्र राजेश श्रीवास्तव जी का कहना है की "अडवानी जी की जिद को देखकर सोचता हूँ की घर के बुजुर्ग उपेक्षित क्यों होते हैं ? जब बच्चे बड़े हों जाएँ तब बुजुर्गों को चाहिए उनका मार्गदर्शन करें और उन्हें आगे बढ़ने का मौक़ा दें ।"
और हमारे मित्र जूरी जज डॉ दिलीप सिंह साहब बड़े खुश हैं की उनकी भविष्वाणी पूरी हुई नरेन्द्र मोदी प्रधानमन्त्री पद के उमीदवार बने और साथ साथ उन्होंने यह भी भविष्यवाणी कर दी है की नरेन्द्र मोदी ही अगले प्रधानमन्त्री होंगे |
यकीनन प्रधानमन्त्री पद का उमीदवार बनने के बाद नरेन्द्र मोदी के सामने जनता के सहयोग से खुद को साबित करना एक बहुत बड़ी चुनौती है|