दुनिया के सारे इंसान एक जैसे ही होते हैं ,उनका सुख दुःख,प्रेम ,नफरत के एहसास भी एक जैसे ही हुआ करते हैं लेकिन आज ऐसा महसूस होता है कि हर...
दुनिया के सारे इंसान एक जैसे ही होते हैं ,उनका सुख दुःख,प्रेम ,नफरत के एहसास भी एक जैसे ही हुआ करते हैं लेकिन आज ऐसा महसूस होता है कि हर इंसान यह सोंचता है कि उसका दुःख सबसे बड़ा है और दुसरे का सुख सबसे अधिक है | किसी इंसान के शरीर के किसी हिस्से पे ज़ख्म हो जाये तो उसे दर्द होता है फिर भी यह इंसान दूसरों को ज़ख्म देना चाहता है और दूसरों के दर्द देख खुश होता है ? यह किसी के दर्द में, किसी के दुःख में ख़ुशी का एहसास क्या एक इंसान के लिए शर्म की बात नहीं ? यह चिंता का विषय भी है कि इंसानों में ऐसी सोंच कहाँ से पैदा हुई और इसका ज़िम्मेदार कौन है ?
ईश्वर ने सारे इंसान एक जैसे बनाये लेकिन हम में से कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए इंसानों को बांटने का काम करना शुरू किया |कभी गोरे-काले के फर्क पे,कभी धर्म के फर्क पे,कभी इलाके के फर्क पे,कभी जाति के फर्क पे इंसान बंटने लगे और इनको बांटने वाले बादशाहों, मुल्लाओं, पंडितों ,नेताओं की दूकान चलने लगी | यह इंसानों को बांटने का काम हर दौर में होता रहा है और जब तक इंसान जागरूक नहीं होगा, अज्ञानता के अन्धकार से बाहर नहीं आएगा ऐसे ही बंटता और इस्तेमाल होता रहेगा |
न हिन्दू बनेगा, न मुसलमान बनेगा, इंसान कि औलाद है इंसान बनेगा ," हिन्दू , मुस्लिम ,सिख ईसाई आपस में हैं सब भाई- भाई बचपन में स्कूल जाते तो वहां यह सिखाया जाता था |आज जब अखबार पलटता हूँ या रेडियो पर समाचार सुनता हूँ तो देश में हो रही हिंसा और मारकाट से दिल दहल जाता है । बचपन में रटाई यह बातें सच के करीब होते हुए भी हकीकत से बहुत दूर लगती हैं | अब ऐसी बातें उन्हें कहाँ पसंद आयेंगी जो नहीं चाहते की हिन्दू - मुस्लिम एक साथ प्यार से रहे | कुछ नहीं तो ऐसे कलाम को इस्लाम में मना है और हराम है बता के गुमराह करो| हिन्दुस्तान एक धर्म निर्पेक्ष राष्ट्र है |यहाँ हर इंसान को आजादी है कि जिस धर्म को चाहे माने |यह भी सुनने में अच्छा लगता है लेकिन आज इस हकीकत को भी बदलने की कोशिश की जा रही है |और इसके लिए झूट ,फरेब का सहारा ले के हिन्दू-मुसलमान को बांटा जा रहा है |इनके दिलो में एक दुसरे के लिए नफरत पैदा की जा रही है | हिन्दुओं के दिलों में आपस में एक दुसरे के लिए नफरत पैदा करने के लिए उनमे उंच नीच, जाती और उपजातियों में बाँट डाला गया और ऐसा बांटा गया की मंदिरों में ही एक हिन्दू ने दुसरे हिन्दू को जाति के आधार पे जाने से रोक लगा दी | सोंचने की बात है की एक भगवान् को पूजने वाला हिन्दू दुसरे हिन्दू को ही उसी भगवान् के मंदिर में नहीं जाने देता जिसकी पूजा सभी हिन्दू करते हैं| जिसने उन सभी को बनाया है | गावों में तो लुट, ज़ुल्म और बलात्कार तक की नौबत आ जाती है |यह कोई नया काम नहीं हो रहा है विश्व में ऐसे उदाहरण बहुत से हैं |
अरब देशों में जहां मुसलमानों का राज्य था वहाँ मुसलमानों को शिया -सुन्नी जैसे बहुत से फिरको में बाँट दिया | यह मुशरिक हैं तो वो मुनाफ़िक़ है यह बिद्दती हैं इत्यादि सब इंसानों को बांटने के अलग अलग तरीके हैं | वरना कोई हिन्दू हो या मुसलमान, कोई ताजिया निकाले या झंडे, ठीक वैसा ही है की कोई चावल खाए या गेंहू, कोई आम पसंद करे या सेब क्या फर्क पड़ता है | अपना अपना अपना धर्म हैं सभी को अपना अपना हिसाब अल्लाह को, इश्वर या भगवन को देना है |कोई इंसान दुसरे के कर्मो की सजा तो पाने वाला नहीं है फिर विवाद किस बात का ? इंसान को इंसान से बांटने के लिए हर युग में लेखको और इतिहासकारों का भी सहारा लिया गया है | लेखको को पैसे दे के इतिहास के साथ छेड़ छाड़ करवा के उसे विवादित बनवाया गया जिस से एक इंसान दुसरे इंसान का दुश्मन बन सके | लेखक भी अपनी किताबों में कई बार जान बुझ के शोहरत पाने के लिए ऐसी बातों को जन्म देता है जिससे विवाद खड़ा हो जाए | संभव है वो ऐसा शोहरत की लालच में किया करता हो या यह भी हो सकता है की उस से पैसे दे कर लिखवाया जाता रहा हो |मैं सोंचता हूँ की शोहरत और धन दौलत की लालच में क्या इंसान इतना अँधा हो जाता है की इंसानियत को बेचने को तैयार हो जाता है बिना यह सोंचे की उसकी लेखनी ना जाने कितने बेगुनाह इंसानों के परिवारों का सुख चैन छीन लेगी ,कितने बेगुनाहों का खून बहाएगी ?
हकीकत में ऐसा करने वालों का कोई धर्म नहीं होता यह तो अपने अपने फायदे की बातें किया करते हैं| क्या आपको लगता है की हिरोशिमा की तबाही में जो बेगुनाह मारे गए ,या जलियावाला बाग़ में जो अंग्रेजों द्वारा मारे गए , या हिन्दू -मुस्लिम दंगो में तो बेगुनाह मारे जाते हैं उनका खून अलग है, उनका दर्द और दुख अलग है ? लेकिन आपको ऐसे बड़े लोग मिल जायेंगे जो हिरोशिमा पे बोम्ब गिरा के करोडो इंसानों को मारने वाले की तारीफ करेंगे और हिन्दुस्तान में दंगो में मरने वालों के लिए दुख प्रकट करते नज़र आयेंगे | जब बेगुनाह कहीं भी मारा जाए, कितने भी मारे जायें और कोई भी मारे ,यदि आप इंसान हैं तो आपको दुःख हर जगह होगा और यदि आप दरिन्दे बन गए हैं तो कहीं बेगुनाहों के मरने पे खुश होंगे और कहीं दुःख प्रकट करते नज़र आयेंगे |क्यूंकि आपका इंसानियत से कोई रिश्ता नहीं है आपतो बस इंसानों में नफरत के बीज बोके अपना मकसद गद्दी और शोहरत पाने के लिए यह सब कर रहे हैं |
आज विश्व में कट्टरवाद ,आतंकवाद एक नासूर बन के उभरता नज़र आ रहा है |यह नाम आतंकवाद अवश्य नया है लेकिन यह तरीका बड़ा पुराना है | आज इस्लामी आतंकवाद के शिकार सबसे अधिक खुद मुसलमान हैं जो इस बात का खुला सुबूत है की इस सोंच को पैदा करने वाला ,इस्लाम को नहीं मानता और मुसलमानों का दुश्मन है , तभी तो विवादों को सामने ला के मुसलमान को मुसलमान का दुश्मन बना रहा है |पकिस्तान हो, इराक हो या सीरिया यह काम बहुत प्लानिंग के साथ चल रहा है | मुझे तो समझ में नहीं आता की क्यूँ यह इंसान जिसे अल्लाह ने अक्ल दी है विवाद पैदा करने वाले को इंसानियत का दुश्मन करार नहीं देता |
हजरत अली (अ.स) ने कहा ऐ इंसानों मख्खी की तरह मत बनो जो इसान के पूरे सेहतमंद शरीर को छोड़ के हलके से गंदे ज़ख्म पे बैठ जाती है | ऐसे एक दुसरी हदीस में इमाम हसन ने एक शख्स को जवाब दिया जिसने कुत्ते को एक बदसूरत जानवर कहा |इमाम हसन का जवाब था तुमने क्या कुत्ते की आँख नहीं देखी देखो बड़ी ख़ूबसूरत है | मतलब किसी इंसान की कमियां और बुराईयाँ तलाशने की जगह उसकी खूबसूरती और सुन्दरता को तलाशो |
वैसे तो ऐसे कथन सभी को आकर्षित किया करते हैं लेकिन कम से कम मुसलमान को तो इन बातो पे चलना चाहिए यदि वो खुद को अल्लाह का बंदा कहता है क्यूँ कि अल्लाह के हुक्म के खिलाफ किसी और को खुश करने के लिए चलना भी शिर्क है ,यह किसी और की बंदगी की तरफ इशारा करता है ,इसलिए यह ऐसा गुनाह है जो कभी माफ़ नहीं होगा| विवादों को जन्म देके अपना काम निकालने वालों की पहचान आज आवश्यक है | एक हिन्दू यदि किसी धार्मिक विवाद पे दुसरे हिन्दू को बुरा कहता नज़र आये या एक मुसलमान दुसरे मुसलमान के खिलाफ किसी धार्मिक विवाद पे बुरा बोलता नज़र आये तो समझ लें यह विवाद किसी अधर्मी और इंसानियत के दुश्मन का पैदा किया हुआ है | वैसे भी अधिकतर धार्मिक विवादों का असल में धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं होता यह तो इंसानों को बांटने के लिए पैदा ही किये जाते हैं इस सच को हम जितना जल्द समझ लें उतना ही अच्छा होगा |