लविंग जिहाद शब्द की इजाद तो राजनितिक कारणों से हुई है लेकिन इसे यदि किसी धर्म विशेष से जोड़ के ना देखा जाए तो आज इक्कसवीं सदी में भारतीय...
लविंग जिहाद शब्द की इजाद तो राजनितिक कारणों से हुई है लेकिन इसे यदि किसी धर्म
विशेष से जोड़ के ना देखा जाए तो आज इक्कसवीं सदी में भारतीय समाज के लिए यह एक
चुनोती बन गया है |हमारे यहाँ तो शादी बराबर वालों में ही की जाती रही है क्यूंकि
यहाँ धर्म के नाम पे बनाये खुद के रीति रिवाजो के खिलाफ जाना बेईज्जती और अपशगुन
समझा जाता है इसलिए अन्तरजातीय और अन्तरधार्मिक विवाह एक बड़ी समस्या लोगों को लगती
है |अन्तरजातीय विवाह तो हकीकत में कोई समस्या नहीं है क्यूँ की जातिवाद खुद अपने
आप में एक बीमारी है और तो और इस्लाम के मानने वाले भी सय्यद ,शेख ,जुलाहा के
मकडजाल में फंसे नज़र आते हैं जबकि इस्लाम ने इसे पूरी तरह से नाकारा है |शायद इसका
कारण समाज के बनाए कुछ रीति रिवाज हैं जिनके रंग में मुसलमान भी रंगा नज़र आता है
|यह रंगे सियार जब पश्चिमी देश में जाते हैं तो दाढ़ी रखने और औरतों के परदे को बुरा
समझते हैं और जब किसी फ़िल्मी हीरो को दाढ़ी रखे देखते हैं तो उसी दाढ़ी को खूबसूरती
समझ के फ़क्र महसूस समझते हैं |इन रंगे सियारों का हश्र इस ज़िन्दगी के इम्तिहान में
फेल हो जाने के कारण बहुत बुरा होगा क्यूँ की अल्लाह फैसला कुरान के अनुसार ही
करेगा न की उस समाज के रीती रिवाजो के अनुसार जिसके पीछे भागते हुए उन्होंने
अल्लाह के बनाये कानून को मानने से इनकार कर दिया |
अन्तरधार्मिक विवाह का आधार क्यूंकि आपसी प्रेम होता है ना की एक दुसरे के धर्म से प्रेम हुआ करता है इसलिए यह गलत है | धर्म परिवर्तन शारीरिक प्रेम के कारण करने का कोई मतलब नहीं हुआ करता | सच तो यही है कि धर्म परिवर्तन किसी धर्म को सच्चा जानने के बाद किया जाता है ना कि उस धर्म की लड़की या लड़के के इश्क में पड़ने के कारण किया जाता है | ऐसे लोग जो केवल विवाह करने लिए धर्म पारिवर्तन किया करते हैं वो या तो हकीकत में नास्तिक होते हैं जिन्हें अल्लाह या भगवान् के होने पे और मरने के बाद फैसला उनके कर्मो के आधार होने पे यकीन नहीं होता या फिर ऐसे लोग ग़द्दार फितरत के हुआ करते हैं जो किसी भी तरह के अपने फायदे के लिए भगवान् या अल्लाह को भी धोका देने को तैयार हो जाते हैं | इस्लाम को समझे बिना या ज़बरदस्ती और किसी दबाव में कुबूल करना खुद इस्लामिक कानून के खिलाफ है यहाँ तक की मुस्लमान को भी यह हिदायत दी गयी है की इसे इसलिए न मानो की यह तुम्हारे बाप दादा का धर्म था बल्कि इसे समझो और यकीन पैदा करने के बाद मानो |
इस इक्कसवीं सदी में बहुत से बदलाव हमारे समाज में आये हैं जिनमे से एक है लड़के और लड़कियों का कंधे से कंधे मिला कर नौकरी या व्यापार करना ऐसे में उनके बीच आपस के सम्बन्ध का प्रेम की शक्ल ले लेना कोई आश्चर्य की बात नहीं |और यदि यह प्रेम अन्तरधार्मिक हुआ तो समाज और परिवार से बगावत भी होगी | ऐसे में बहुत से लोग अपनी ओलाद से रिश्ता तोड़ लिया करते हैं ,गाँव इत्यादि में उनके परिवार वालों को गाँव निकला भी दे दिया जाता है |यह शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक बदलाव का दौर है लेकिन अभी भी भारतीय समाज की सोंच इतनी संकुचित है कि वो अन्तरधार्मिक विवाह की तो बात अलग है अभी अन्तरजातीय विवाह तक को अपनी मान सम्मान का मुद्दा बना लेता है और इतना अँधा हो जाता है की अपनी ही औलाद तक की मौत का कारण बन जाता है | ऑनर किलिंग शब्द खुद अपने आपमें एक मज़ाक है जिसका हकीकत में कोई वजूद नहीं है |
आज इस तरक्की के दौर में अन्तरजातीय विवाह की इजाज़त आसानी से दे दी जानी चाहिए और अन्तरधार्मिक विवाह जैसी समस्याएं सामने ना आने पाएं इसके लिए अपने बच्चों में अच्छे संस्कार डालें ,उन्हें धर्म की अहमियत समझाएं और फिर भी कोई युवा ऐसा करना चाहे तो शादी के पहले दोनों को एक दुसरे में धर्म को समझ के किसी एक धर्म का चुनाव कर लेना चाहिए जिससे कि आने वाली नस्ल गुमराह या नास्तिक न हो जाए |और यदि युवा इसके लिए भी तैयार ना हों तो भी इसे मान सम्मान ,बदनामी का मुद्दा बना के न तो उनपे ज़ुल्म नहीं करना चाहिए और न ही इंसानियत को शर्मसार करने हुए ऑनर किलिंग जैसे किसी काम को अंजाम देना चाहिए |
ध्यान से यदि आप देखिएं तो आप पायेंगे लविंग जिहाद' और ऑनर किलिंग जैसे शब्दों का हकीकत में कोई वजूद नहीं है |एक राजनीती से प्ररित है तो दूसरा सामाजिक बुराई है जहां इज्ज़त के नाम इंसानियत को शर्मसार किया जा रहा है |
अन्तरधार्मिक विवाह का आधार क्यूंकि आपसी प्रेम होता है ना की एक दुसरे के धर्म से प्रेम हुआ करता है इसलिए यह गलत है | धर्म परिवर्तन शारीरिक प्रेम के कारण करने का कोई मतलब नहीं हुआ करता | सच तो यही है कि धर्म परिवर्तन किसी धर्म को सच्चा जानने के बाद किया जाता है ना कि उस धर्म की लड़की या लड़के के इश्क में पड़ने के कारण किया जाता है | ऐसे लोग जो केवल विवाह करने लिए धर्म पारिवर्तन किया करते हैं वो या तो हकीकत में नास्तिक होते हैं जिन्हें अल्लाह या भगवान् के होने पे और मरने के बाद फैसला उनके कर्मो के आधार होने पे यकीन नहीं होता या फिर ऐसे लोग ग़द्दार फितरत के हुआ करते हैं जो किसी भी तरह के अपने फायदे के लिए भगवान् या अल्लाह को भी धोका देने को तैयार हो जाते हैं | इस्लाम को समझे बिना या ज़बरदस्ती और किसी दबाव में कुबूल करना खुद इस्लामिक कानून के खिलाफ है यहाँ तक की मुस्लमान को भी यह हिदायत दी गयी है की इसे इसलिए न मानो की यह तुम्हारे बाप दादा का धर्म था बल्कि इसे समझो और यकीन पैदा करने के बाद मानो |
इस इक्कसवीं सदी में बहुत से बदलाव हमारे समाज में आये हैं जिनमे से एक है लड़के और लड़कियों का कंधे से कंधे मिला कर नौकरी या व्यापार करना ऐसे में उनके बीच आपस के सम्बन्ध का प्रेम की शक्ल ले लेना कोई आश्चर्य की बात नहीं |और यदि यह प्रेम अन्तरधार्मिक हुआ तो समाज और परिवार से बगावत भी होगी | ऐसे में बहुत से लोग अपनी ओलाद से रिश्ता तोड़ लिया करते हैं ,गाँव इत्यादि में उनके परिवार वालों को गाँव निकला भी दे दिया जाता है |यह शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक बदलाव का दौर है लेकिन अभी भी भारतीय समाज की सोंच इतनी संकुचित है कि वो अन्तरधार्मिक विवाह की तो बात अलग है अभी अन्तरजातीय विवाह तक को अपनी मान सम्मान का मुद्दा बना लेता है और इतना अँधा हो जाता है की अपनी ही औलाद तक की मौत का कारण बन जाता है | ऑनर किलिंग शब्द खुद अपने आपमें एक मज़ाक है जिसका हकीकत में कोई वजूद नहीं है |
आज इस तरक्की के दौर में अन्तरजातीय विवाह की इजाज़त आसानी से दे दी जानी चाहिए और अन्तरधार्मिक विवाह जैसी समस्याएं सामने ना आने पाएं इसके लिए अपने बच्चों में अच्छे संस्कार डालें ,उन्हें धर्म की अहमियत समझाएं और फिर भी कोई युवा ऐसा करना चाहे तो शादी के पहले दोनों को एक दुसरे में धर्म को समझ के किसी एक धर्म का चुनाव कर लेना चाहिए जिससे कि आने वाली नस्ल गुमराह या नास्तिक न हो जाए |और यदि युवा इसके लिए भी तैयार ना हों तो भी इसे मान सम्मान ,बदनामी का मुद्दा बना के न तो उनपे ज़ुल्म नहीं करना चाहिए और न ही इंसानियत को शर्मसार करने हुए ऑनर किलिंग जैसे किसी काम को अंजाम देना चाहिए |
ध्यान से यदि आप देखिएं तो आप पायेंगे लविंग जिहाद' और ऑनर किलिंग जैसे शब्दों का हकीकत में कोई वजूद नहीं है |एक राजनीती से प्ररित है तो दूसरा सामाजिक बुराई है जहां इज्ज़त के नाम इंसानियत को शर्मसार किया जा रहा है |