वैसे तो यह साल बलात्कार के नाम रहा और मीडिया वालों ने तो सारे हिन्दुस्तान में हो रहे अलग अलग किस्म के बलात्कारों को सामने लाने की कोशि...
वैसे तो यह साल बलात्कार के नाम रहा और मीडिया वालों ने तो सारे हिन्दुस्तान में हो रहे अलग अलग किस्म के बलात्कारों को सामने लाने की कोशिश करते हुई काफी कमाया | लेकिन इस से यह फायदा अवश्य हुआ कि हमें यह पता लग गया हमारे समाज का स्तर कितना गिरता जा रहा है | आज अपने ही घर में भी बेटी,बहु महफूज़ नही|वैसे बलात्कार उसी महिला के साथ हुआ करता है जो कमज़ोर पड़ती है | लेकिन बहुत बार यह भी देखा गया है की औरत खुद अपनी लालच के कारन बलात्कार का शिकार हो जाया करती है यह और बात है की मैं उसे बलात्कार नहीं मानता | अखबारों में रोज़ एक खबर तो रहती ही है की शादी की लालच दे के किया बलात्कार | सवाल यह उठता है की जो लड़की शादी की लालच में अपना शरीर किसी लड़के को शादी के पहले सौंप देती है वो कैसे यह कह सकती है की उसके साथ बलात्कार हुआ | और यदि बलात्कार सच मे हुआ है तो यह बलात्कार हुआ नहीं है ना समझी में ही सही लड़की ने खुद करवाया है और अपनी गलती की सजा पायी है | हिन्दुस्तान में रहते हुए यहाँ की संस्कृति और तहजीब को लालच में भुला देने वाले के साथ ऐसा ही होते देखा गया है | ऐसा बहुत से युवाओं को कहते सुना गया है की जो लड़की शादी के पहले अपना शरीर किसी मर्द को सौप दे वो शादी के काबिल नहीं होती और न ही विश्वास के काबिल हुआ करती है | इसलिए युवतियों को मर्दों के शादी से पहले सेक्स के अनुरोध को कभी कुबूल नहीं करना चाहिए चाहे लड़का शादी से इनकार ही क्यूँ न कर दे |
दुसरे प्रकार का बलात्कार जो आज कल बहुत आम होता जा रहा है वो है महिलाओं का पारिवारिक शोषण | कभी औरत ससुर का शिकार बनती है, कभी बाप का और कभी करीबी रिश्तेदारों का| आज हम इस बात को भूलते जा रहे हैं की औरत एक शरीर भी होती है जिसकी तरफ मर्द का आकर्षण हमेशा रहता है| एक जवान औरत को मर्द से इतनी दुरी अवश्य बना के रखनी चाहिए की मर्द कोई चाहे भी हो उसके शारीरिक संपर्क में ज़रा सा भी ना आ पाए चाहे उसका रिश्ता उस मर्द से किसी भी प्रकार का भी हो | दुसरे यह ज़िम्मेदारी भी औरत की और उसके घर की महिलाओं की है की कोई भी जवान औरत किसी भी मर्द के साथ अकेले में ना रह पाए | बाप बेटी ,भाई बहन में तो ऐसे मामले प्रकाश में अभी भी कम आते हैं लेकिन ससुर-बहु, चचेरे भाई बहन में ऐसे मामले बहुत अधिक आने लगे हैं |पारिवारिक व्यभिचार की दर आज हर दिन बढती जा रही है यह तो मीडिया वाले कहीं से तलाश लाते हैं वरना ९९% तो प्रकाश में ही नहीं आते ऐसे बलात्कार |
मुसलमानों में तो चचेरे, ममेरे जैसे रिश्तो के भाई बहनों का आपस में जवान होने के बाद घुलना मिलना मना है लेकिन आज कल नयी बिमारी पैदा हो गयी है की वो बेटी जैसी है और वो माँ जैसी और वो बहन जैसी है | इस तरह की नयी सोंच समाज के हित में नहीं और वैसे भी जब अल्लाह ने मना किया है ऐसे रिश्तो से तो इंसान अल्लाह की बगावत यूँ ही नहीं किया करता | ऐसे रिश्तों के बनने से रोकता युवती की माँ की ज़िमेदारी होती है क्यूंकि पराया मर्द जिसको किसी कारणवश परायी स्त्री को बेटी जैसे और माँ जैसे बना के थोडा बाहुत उसके शारीरिक संपर्क में आने की इजाज़त दे दी गयी है इसका विरोध नहीं करता | आखिर उसके तो फायदे की बात है | ऐसा रिश्ता अल्लाह की नज़र में भी सही नहीं है तो बनाया ही क्यूँ जाए |
यह सच है पारिवारिक व्यभिचार या कौटुम्बिक व्यभिचार पश्चिमी सभ्यता की देन है | पोर्न का आसानी से उपलब्ध हो जाना भी इसका एक कारण हो सकता है लेकिन यह हकीकत में मानसिक रोग है और आपके परिवार में ऐसा रोगी कोई भी हो सकता है जिसका पता आपको तब लगेगा जब वो रोगी किसी को अपना शिकार बना चूका होगा | इसलिए परिवार में भी महिलाओं को मर्द के संपर्क में कम से कम आने दिया जाए और चाचा ,मामी बुआ के जवान बच्चों को तो सगे भाई बहनों की संज्ञा देने से पहले सौ बार सोंचा अवश्य जाए |
जब यह बीमारी हमारे समाज में आ चुकी है तो हमारे पास सतर्क रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं है चाहे वो रास्ता हमें पसंद हो या न हो |