कहानियों में सुना करते हैं की सबसे सुखी इंसान वो है जिसे अच्छा पडोसी मिल जाए और वैसे ही कहा जाता है की किस्मत वाला वो है जिसे ज़िन्दगी म...
कहानियों में सुना करते हैं की सबसे सुखी इंसान वो है जिसे अच्छा पडोसी मिल जाए और वैसे ही कहा जाता है की किस्मत वाला वो है जिसे ज़िन्दगी में केवल एक सच्चा दोस्त मिल जाए | कहानियों में इसलिए कहा की आज जिस समाज में हम रह रहे हैं यहाँ हम दूसरों के दुःख दर्द बांटने को बेवकूफी समझा करते हैं और पडोसी या दोस्त हमारे जीवन का हिस्सा बने इसे हम अपनी व्यक्तिगतता में दखल अंदाजी मानते हैं | हकीकत में हम समाज अब एकांतवासी होते जा रहे हैं और आवश्यकता होने पे ही किसी दुसरे व्यक्ति से मिलने या बात करने जाया करते हैं |महानगरों में तो यह खुल के दिखाई देता है लेकिन छोटे शहरों में अभी सामने से सामाजिक होने का दिखावा करते लोग दिख जाते हैं| यह दिखावा छोटे शहरों का बहुत बार असहनीय भी हो जाता है | क्यूंकि पडोसी का दुःख दर्द दूर करने ,उसकी मुश्किल हल करने का जज्बा तो रहा नहीं ,सामने से मिलनसारी अलग से दिखानी है तो लोग लगे रहते है इस फ़िक्र में कि किस पडोसी की लड़की का कहाँ चक्कर है और किसका बेटा नालायक, कौन सा पडोसी अपनी पत्नी से लड़ता है कौन रात में देर से आता है | पडोसी को यह सब पता चल जाना एक आम सी बात है लेकिन इसे दूसरों में फैलाने का सुख कुछ और ही है | महिलाओं में तो यह सब आम बात है ,इसके बगैर उनका दिन ही पूरा नहीं होता | अच्छा पडोसी वो होता है जो आपके दुःख दर्द में काम आये, आपके राज़ यदि उसे पता भी लग जाएं तो उनको किसी से न कहे | लेकिन इसके लिए अपने पडोसी से प्रेम की आवश्यकता होती है | हमारा समाज और हमारी फिल्मो ने पडोसी की लड़की को देख दिल का धड़कना तो हमें सिखा दिया लेकिन पडोसी से इंसानियत के रिश्ते को ख़त्म कर दिया| महानगरों की हालत कुछ ऐसी है की पड़ोस के फ्लैट में कोई मर जाए तो कई दिनों तक पता भी नहीं लगता और बहुत बार तो ऐसा भी देखा गया है की साल दो साल के बाद भी पडोसी कौन है यही मालूम नहीं रहता लोगों को | यहाँ लोग कुछ अधिक खुले दिमाग के हैं पडोसी रात भर दारू पिए, लड़कियां लाये या मर्द लाये ,पडोसी का उससे कुछ लेना देना नहीं |हकीकत यह है की आपका पडोसी अगर अच्छा है तो आप यकीनन सुखी इंसान हैं क्यूंकि आपकी मुसीबत में जो शख्स सबसे पहले काम आ सकता है वो आपका पडोसी ही हुआ करता है | मैं हमेशा कहा करता हूँ सच्चा धार्मिक इंसान ही आपका अच्छा पडोसी या अच्छा दोस्त साबित हो सकता है | आज इंसान अपने धर्म से दूर होता जा रहा है इसलिए खुदगर्ज़ भी हिता जा रहा है | हर रिश्तों का व्यवसायीकरण करता जा रहा है | इस्लाम में पड़ोसी के साथ अच्छे व्यवहार पर बड़ा बल दिया गया हैं। परन्तु इसका उददेश्य यह नही हैं कि पड़ोसी की सहायता करने से पड़ोसी भी समय पर काम आए, अपितु इसे एक मानवीय कर्तव्य ठहराया गया हैं | पडोसी के साथ अच्छे व्यवहार का विशेष रूप से आदेश हैं। न केवल निकटतम पड़ोसी के साथ, बल्कि दूर वाले पड़ोसी के साथ भी अच्छे व्यवहार के लिए जोर दिया गया है कुरान में कहा गया है की ‘‘ और अच्छा व्यवहार करते रहो- माता-पिता के साथ, सगे-सम्बन्धियो के साथ, , दीन-दुखियों के साथ, निकटतम और दूर के पड़ोसियों के साथ -कुरआन, 4:36 हजरत मुहम्मद (स.अ.व) ने कहा है वह जिसका पड़ोसी उसकी शरारतों से सुरक्षित न हो सच्चा मुसलमान नहीं है | इस्लाम में यहाँ तक कहा गया है की यदि तुम्हारा पडोसी तुम्हे परेशान करे तो सहनशीलता दिखाओ | एक बार आपके हज़रात मुहम्मद (स.अ.व) के एक साथी ने आपसे शिकायत की कि ऐ अल्लाह ‘‘ रसूल! मेरा पड़ोसी मुझे सताता हैं। फरमाया-’’ जाओं, धैर्य, से काम लो।’’ इसके बाद वह फिर आया और शिकायत की। आपने फरमाया-’’ जाकर तुम अपने घर का सामान निकालकर सड़क पर डाल दो।’’ साथी ने ऐसा ही किया। आने-जाने वाले उनसे पूछते तो वह उनसे सारी बाते बयान कर देते। इस पर लोगो ने उनसे पड़ोसी को आड़े हाथों लिया और उसे बड़ी लज्जा की अनुभूति हुर्इ। अस्तु, वह अपने पड़ोसी को मानकर दोबारा घर में वापस लाया और वादा किया कि अब वह उसे न सताएगा। बहुत से लोग लोगों को यह लगता होगा की शायद इस्लाम में केवल मुसलमान पडोसी के साथ ऐसे सुंदर रिश्ता रखने की नसीहत होगी लेकिन ऐसा नहीं है | शायद गैर मुसलमान इस बात से अनजान हो की कुरान के सूरा और आयातों को पढने का दुनियावी फायदा भी बहुत है और इस से मुसीबतों को दूर आसानी के साथ किया जा सकता है| कुरान की आयतल कुर्सी (2:255- 7) रोज़ रात में पढके सोने की होदायत ज्ञानियो ने दी है और इस फायदा यह है की आप भी मेसीबतों से ,चोरी से महफूज़ रहते हैं और आपका पडोसी भी महफूज़ रहता है चाहे वो किसी भी धर्म का हो | पडोसी का हक आप पे इतना है की यदि किसी मुसलमान का पडोसी भूखा सो जाए और उस मुसलमान का पेट भरा हो तो उसकी नमाज़ कुबूल नहीं होगी| कहने का मतलब है पडोसी का ख्याल रखो| आपके पास यदि कोई खाने पीने की चीज़ तोहफे में आयी है तो उसमे से भी पडोसी का हिस्सा देना पड़ता है | एक बार कुछ फल हजरत रसूले करीम (सल्ल0) के पास उपहार स्वरूप आए। आपने सर्वप्रथम उनमें से एक भाग अपने यहूदी पड़ोसी को भेजा और बाकी भाग अपने घर के लोगो को दिया। इसलिए कहा गया है की यदि आपको अच्छा पडोसी मिल गया तो आप खुश किस्मत है | दोस्ती या पडोसी जैसे रिश्तों का व्यवसायीकरण समाज के हित में नहीं है | |