बुधवार को लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने से पहले सदन में 'वंदे मातरम्' की धुन बजने के दौरान संभल से बीएसपी सांसद ...
बुधवार को लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने से पहले सदन में 'वंदे मातरम्' की धुन बजने के दौरान संभल से बीएसपी सांसद शफीकुर्रहमान बर्क उठकर बहार चले गए और तर्क यह दिया की इस्लाम के खिलाफ है वंदे मातरम् | कहते हैं अज्ञानी हमेशा विवाद खड़ा कर देता है वही हाल बर्क साहब ने किया है | इन्होने ना वंदे मातरम् को समझा , न देश प्रेम को और न इस्लाम को और कर गए ऐसा काम कि लोगों को मौक़ा मिला कहने का इस्लाम को मानने वाला एक सांसद अपने ही देश गान की इज्ज़त नहीं करता | सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने केवल इस्लाम को ही बदनाम नहीं किया बल्कि उन देशवासियों के भरोसे को भी तोडा जिन्होंने उनको चुन कर सांसद बनाया |
यह सच है की मुसलमान अल्लाह के सिवाए किसी के आगे सर नहीं झुकातालेकिन इस पे बहस के दौरान 'वंदे मातरम्' शब्द के कई पहलु उभर के सामने आये |वंदे मातरम् बंकिम चन्द्र चटर्जी ने देश प्रेम के उदात्त भाव से अभिभूत हो कर यह गीत लिखा था और मुझे नहीं लगता कि यह गीत किसी की मज़हबी आस्था को आहत करता है | मौलाना सय्यद फजलुर रहमान जी के अनुसार 'वंदे मातरम्' में मादर ऐ वतन के प्रति अनुराग की अभिव्यक्ति है | इसे गाया भी देश की शान में अपने देश की के प्रति प्रेम दिखाने के लिए है | इस्लाम में भी हुक्म है की अपमे देश के प्रति वफादार रहो, उनकी इज्ज़त करो और अपने देशवासियों के साथ भाईचारे से रहो |
हो सकता है की वंदे मातरम् को सांसद शफीकुर्रहमान बर्क कम तजुर्बे के आधार पे मूर्ति पूजा समझते हों तब भी सदन में न तो मूर्ति थी और न पूजा हो रही थी वहाँ तो केवल धुन बज रही थी और आपको अपने देश के प्रति इज्ज़त दिखाने के लिए खड़े होना था | ऐसे में सदन के बाहर चले जाने का कोई मतलब नहीं था |
मुसलमान अपनी जननी माँ की इज्ज़त करता है उस देश की इज्ज़त करता है जहां वो पैदा हुआ , अपने गुरु की इज्ज़त करता है जिसने उसे ज्ञान दिया, इसका यह मतलब नहीं की यह सब खुदा हो गए |
अपने देश, देशवासियों और उनके धर्म की इज्ज़त करना भी इस्लाम का ही अंग है यह कब समझेंगे सांसद शफीकुर्रहमान बर्क साहब?
अभी एक लेख चंचल जी का पढ़ रहा था विषय है माता पिता की ममता को न भुलाओ जिसमे उनके शंब्दों का चुनाव कुछ ऐसा है "इस कलयुग में मुझे नहीं लगता की इस तरह पूजनीय,वन्दनीय माता को इतना सम्मान कोई बच्चा दे रहा है"
क्या अब मुसलमान माता पिता की इज्ज़त करना बंद कर दे क्यूंकि चंचल जी उसे पूज्यनीय और वन्दनीय कहती हैं?
अपने देश, देशवासियों और उनके धर्म की इज्ज़त करना भी इस्लाम का ही अंग है यह कब समझेंगे सांसद शफीकुर्रहमान बर्क साहब?
दुःख की बात है शफीकुर्रहमान बर्क साहब न आपने मूर्ति पूजा को समझा और न ही इस्लाम को और दे दिया एक विवाद को जन्म |