मैं अंग्रेजी और हिंदी के कुल मिला के ८ ब्लॉग को अपना समय देता हूँ | कुछ ब्लॉग अंग्रेजी के हैं कुछ हिंदी जिनमे से कुछ धार्मिक और कुछ सामा...
मैं अंग्रेजी और हिंदी के कुल मिला के ८ ब्लॉग को अपना समय देता हूँ | कुछ ब्लॉग अंग्रेजी के हैं कुछ हिंदी जिनमे से कुछ धार्मिक और कुछ सामाजिक सरोकारों से जुड़े जैसे अमन का पैगाम | मुझे दुःख इस बात का है कि जिस ब्लॉग अमन का पैगाम से मुझे सबसे अधिक प्रेम है उसे मैं समय कम ही दे पता हूँ |
एक गाना सुना करता तथा "अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुराणी आदत है ---बस उसी पे आज कुछ याद आ गया आप भी पढ़ें:-
पूरे विश्व की कहानी एक सी है यहाँ विद्वान की क़दर कम हुआ करती है और जहालत फल फूल रही होती है | अज्ञानी हर जगह एक गुट बना के ज्ञानी और प्रतिभाशाली लोगों के खिलाफ अफवाह फैलाने में लगे रहते हैं | और ऐसा करना उनकी मजबूरी भी है क्यूंकि वो यदि ऐसा न करें तो उनकी पूछ कैसे होगी | एक उदाहरण देता हूँ जिससे की बात सभी की समझ में आ जाए |
हज़रत अली जो मुसलमानों के खलीफा भी थे ,पैगम्बर ऐ इस्लाम के दामाद और रिश्तेदार भी थे ,उन्होंने सबसे पहले इस्लाम कुबूल किया और जीवन भर हज़रत मुहमद (स.अव.) का साथ दिया | इसी साथ देने की वजह से उनकी अहमियत इस्लाम में बहुत अधिक थी | उनका ज्ञान ऐसा था की वो लोगों से हमेशा कहा करते थे की पूछो जो पूछना है ,इससे पहले की मेरी आँखें बंद हो जाएं |
हज़रत अली की शोहरत और उनकी अहमियत हज़रात मुहम्मद (स.अ.व) की नज़र में देख के बहुत से लोग उनसे जलते भी थे और हर समय उनको नीचा दिखने की फ़िक्र में लगे रहते थे | और उनको नीचा दिखने के लिए तरह तरह की चाल चलते और अफवाहें उनके खिलाफ फैलाते |
हज़रत अली जो मुसलमानों का खलीफा रहा हो,पहला इस्लाम कुबूल करने वाला रहा हो उनको मस्जिद इ कुफा में नमाज़ पढ़ते वक़्त शहीद कर दिया गया | और जब यह खबर लोगों तक पहुंची तो लोगों ने सवाल किया की अरे हज़रात अली क्या नमाज़ भी पढ़ते थे ?
ऐसा पूछने का कारण यह था की उनके खिलाफ उनसे जलने वालों ने यह अफवाह फैलाई थी की अली नमाज़ नहीं पढ़ते जिससे मुसलमान उनसे दूर हो जाएं | इस अफवाह फैलाने की ताक़त का इस्तेमाल आज भी अज्ञानी अपने ज्ञानी साथियों के खिलाफ किया करते हैं |
होशियार इंसान जो खुद का तजुर्बा होता है उस पे यकीन करता है और बेवकूफ सुनी सुनाई बातों पे |
एक गाना सुना करता तथा "अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुराणी आदत है ---बस उसी पे आज कुछ याद आ गया आप भी पढ़ें:-
पूरे विश्व की कहानी एक सी है यहाँ विद्वान की क़दर कम हुआ करती है और जहालत फल फूल रही होती है | अज्ञानी हर जगह एक गुट बना के ज्ञानी और प्रतिभाशाली लोगों के खिलाफ अफवाह फैलाने में लगे रहते हैं | और ऐसा करना उनकी मजबूरी भी है क्यूंकि वो यदि ऐसा न करें तो उनकी पूछ कैसे होगी | एक उदाहरण देता हूँ जिससे की बात सभी की समझ में आ जाए |
हज़रत अली जो मुसलमानों के खलीफा भी थे ,पैगम्बर ऐ इस्लाम के दामाद और रिश्तेदार भी थे ,उन्होंने सबसे पहले इस्लाम कुबूल किया और जीवन भर हज़रत मुहमद (स.अव.) का साथ दिया | इसी साथ देने की वजह से उनकी अहमियत इस्लाम में बहुत अधिक थी | उनका ज्ञान ऐसा था की वो लोगों से हमेशा कहा करते थे की पूछो जो पूछना है ,इससे पहले की मेरी आँखें बंद हो जाएं |
हज़रत अली की शोहरत और उनकी अहमियत हज़रात मुहम्मद (स.अ.व) की नज़र में देख के बहुत से लोग उनसे जलते भी थे और हर समय उनको नीचा दिखने की फ़िक्र में लगे रहते थे | और उनको नीचा दिखने के लिए तरह तरह की चाल चलते और अफवाहें उनके खिलाफ फैलाते |
हज़रत अली जो मुसलमानों का खलीफा रहा हो,पहला इस्लाम कुबूल करने वाला रहा हो उनको मस्जिद इ कुफा में नमाज़ पढ़ते वक़्त शहीद कर दिया गया | और जब यह खबर लोगों तक पहुंची तो लोगों ने सवाल किया की अरे हज़रात अली क्या नमाज़ भी पढ़ते थे ?
ऐसा पूछने का कारण यह था की उनके खिलाफ उनसे जलने वालों ने यह अफवाह फैलाई थी की अली नमाज़ नहीं पढ़ते जिससे मुसलमान उनसे दूर हो जाएं | इस अफवाह फैलाने की ताक़त का इस्तेमाल आज भी अज्ञानी अपने ज्ञानी साथियों के खिलाफ किया करते हैं |
होशियार इंसान जो खुद का तजुर्बा होता है उस पे यकीन करता है और बेवकूफ सुनी सुनाई बातों पे |