मैं राजनीति पे नहीं लिखा करता लेकिन कभी कभी कुछ ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि लिखना ही पड़ता है | राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां के ब...
मैं राजनीति पे नहीं लिखा करता लेकिन कभी कभी कुछ ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि लिखना ही पड़ता है | राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां के बाद अब प्रधानमंत्री पद के लिए जोड़ तोड़ शुरू हों चुकी है|
यह हमारी बदकिस्मती है कि हमने इस विश्व को धर्मो, रंगों और नस्लों में बाँट दिया है और उसी को आधार बना के सत्ता पे कब्जा करने की कोशिश होती रहती है |
प्रधान मंत्री कोई भी बने लेकिन ऐसा होना चाहिए जिसे इंसानियत का धर्म पता हों | किसी भी देश को चलाने वाले के लिए यह आवश्यक है की वो अपने देश के सभी नागरिको को साथ ले कर चले और उनकी समस्याओं को हल करे | मैं केवल हिदुओं के हक में काम करूँगा या मैं केवल दलितों के हक में काम करूँगा या मैं केवल मुसलमानों के हक में काम करूँगा या मैं हिदुत्वावादी हूँ , मैं सेल्कुलर हूँ जैसी बातें केवल छलावा मात्र हैं |ऐसा कह लें यह सभी दावे हिंदुस्तान के नागरिकों को गुमराह करने के सिवाए कुछ भी नहीं है | राजनीती के खिलाडियों के इस मकड़जाल से बचते हुए आम जनता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की प्रधानमंत्री के चुनाव में कम से कम कट्टरवादी को तो इस पद पे नहीं बैठने देना चाहिए | आम जनता ऐसा तब कर सकेगी जब वो वोट हिन्दू या मुसलमान ,सिख या ईसाई, महाराष्ट्रियन या यूपी वाला बन कर नहीं बल्कि एक हिन्दुस्तानी इंसान बन के देगा |
कट्टरवाद ने पाकिस्तान को बर्बादी के कगार पे ला फेंका | हमें उस से नसीहत लेनी चाहिए |आज पूरे विश्व को कट्टरवाद से ही सबसे बड़ा खतरा है और भारत में अभी इसकी शुरुआत है। कट्टरवादी विचारधारा के कारण इंसान इंसानियत और अपने धर्म के मर्म तक को भूल जाता है, इसलिए वह ऐसा रास्ता चुन लेता है जिसकी इजाजत न तो मानवता देती है न ही विश्व का कोई धर्म देता है |अध्यात्मवाद को तिलांजलि देकर धार्मिक कट्टरवाद की राह पर चलना इंसानियत के खिलाफ है क्योंकि इसमें हजारों बेगुनाहों की जान जाने का खतरा हमेशा बना रहता है| धार्मिक कट्टरवाद की राह पर चलने वाले अक्सर ऐसी दलीलें पेश करते हैं, जैसे उनके धर्म पे और उसको मानने वालों पे बड़ा ज़ुल्म होता आया है| जब की हकीकत मैं धार्मिक कट्टरवाद सियासी संस्थाओं और दलों का वो हथियार है, जिसके ज़रिये राज करने की कोशिश की जाती रही है| धार्मिक कट्टरवाद अक्सर आगे चल कर आतंकवाद मैं बदल जाता है और आतंकवाद का राजनीतिकरण आज आपको बहुत से देशों मैं देखने को मिल जाएगा. जिन जिन देशों मैं आतंकवाद का राजनीतिकरण हुआ या होता जा रहा है वोह देश कभी तरक्की नहीं कर सका |आम इंसान आज भी शांति पसंद है, और शांति चाहता है. हम एक बहुजातीय, बहुभाषीय, बहुधर्मीय देश भारत के नागरिक हैं, और यह हमरा धर्म है की अपनी एकता और अखंडता को शांति और प्रेम सन्देश से बचाएं|