आप का शिशु जब जन्म लेता है तो उसका मस्तिष्क सीखने के लिए तैयार होता है। जब वो आंखें खोलता है, उसकी बुद्धि अपने चारों ओर की चीज़ों को समझने ...
आप का शिशु जब जन्म लेता है तो उसका मस्तिष्क सीखने के लिए तैयार होता है। जब वो आंखें खोलता है, उसकी बुद्धि अपने चारों ओर की चीज़ों को समझने के लिए तैयार हो जाती है। शिशु का मस्तिष्क हर समय से अधिक पहले दो वर्षों में विकास करता है इसी समय आप के शिशु को आप की सहायता की आवश्यकता अधिक होती है।
जब आप यह देखें कि आप का शिशु बहुत अधिक रो रहा है तो उसे गोद में उठा लिजिए, इस प्रकार वो तुरन्त यह समझ लेता है कि उसके परेशान होने से आप भी परेशान होते हैं और इसी कारण वो चुप हो जाता है।
बच्चे के लिए उचित खिलोना ख़रीदिए, अपने बच्चे को सुन्दर चित्रों वाली किताब दिखाइए, प्रतिदिन उसे घर से बाहर ले जाइए, दुकानों, पार्कों या ऐसे स्थानों पर जहां अन्य माता – पिता अपने बच्चों को ले जाते हैं आप भी उसे ले जाइए। अपने मित्रों के घर मिलने जाइए, बच्चे के साथ बाहर जाइए ताकि वो नई – नई चीज़ें देखे और उनसे परिचित हो सके।
अपने बच्चों के लालन – पालन के प्रति हमें संदैव सर्तक रहना चाहिए और ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए जो उसके नन्हें से हद्दय को ठेस पहुंचाए। यदि आप चाहते हैं कि आप का बच्चा बड़ा होकर समाज का एक शिष्ट और योग्य नागरिक बने तो जन्म के बाद से ही उसके प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा।
ऐसे मैं अपने बच्चे से बातें अधिक कीजिए और उसके साथ सम्पर्क स्थापित कीजिए। बच्चे की स्मरण शक्ति में वृद्धि करने वाली सबसे महत्वपूर्ण चीज़ आंखों का सम्पर्क तथा उससे बात करना है। उससे थोड़ा रुक – रुक कर बात कीजिए ताकि आप का बच्चा बात करने की शैली सीख सके। इस प्रकार वो शीघ्र ही अपने गले से निकली हुई आवाज़ों द्वारा आप की बातों का जवाब देने लगगे गा। आप उससे बातें करते समय जो ध्वनि निकालते हैं उससे वो प्रेम करता है उसे आभास होता है कि आप ने उसे समय दिया।
जब आप यह देखें कि आप का शिशु बहुत अधिक रो रहा है तो उसे गोद में उठा लिजिए, इस प्रकार वो तुरन्त यह समझ लेता है कि उसके परेशान होने से आप भी परेशान होते हैं और इसी कारण वो चुप हो जाता है।
बच्चे के लिए उचित खिलोना ख़रीदिए, अपने बच्चे को सुन्दर चित्रों वाली किताब दिखाइए, प्रतिदिन उसे घर से बाहर ले जाइए, दुकानों, पार्कों या ऐसे स्थानों पर जहां अन्य माता – पिता अपने बच्चों को ले जाते हैं आप भी उसे ले जाइए। अपने मित्रों के घर मिलने जाइए, बच्चे के साथ बाहर जाइए ताकि वो नई – नई चीज़ें देखे और उनसे परिचित हो सके।
अपने बच्चों के लालन – पालन के प्रति हमें संदैव सर्तक रहना चाहिए और ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए जो उसके नन्हें से हद्दय को ठेस पहुंचाए। यदि आप चाहते हैं कि आप का बच्चा बड़ा होकर समाज का एक शिष्ट और योग्य नागरिक बने तो जन्म के बाद से ही उसके प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा।