कल एक साहब से मुलाक़ात हो गयी | एक साल पहले जनाब नए नए लेखक बने थे और सच यह है की लिखते भी बहुत बढ़िया थे | अब जो मुलाक़ात हुई तो उनसे ...
कल एक साहब से मुलाक़ात हो गयी | एक साल पहले जनाब नए नए लेखक बने थे और सच यह है की लिखते भी बहुत बढ़िया थे | अब जो मुलाक़ात हुई तो उनसे पुछा भाई कुछ नया लिखा क्या ? कहने लगे लिखने का तो शौक है और लिखता भी हूँ लेकिन लिख के बक्से में बंद कर देता हूँ कहीं प्रकाशित नहीं करता | मैंने आश्चर्य से पुछा ऐसा क्यूँ ? कहने लगे ज़माना बड़ा खराब है लोग पैसे ले कर भ्रष्ट लोगों की तारीफ में लिखते हैं और इमानदारों का पोस्टमार्टम कर के उनकी छवि खराब करने की कोशिश करते हैं और मैं ठहरा इमानदार लेखक ऐसा नहीं कर पाता | मैंने कहा तो भाई सत्य ही लिखें आप जैसे लेखकों की समाज को बहुत ज़रुरत है |
लेखक साहब बोले यार तुम मेरे दोस्त हो या दुश्मन जो मुझे ऐसी सलाह दे रहे हो ? मुझे फिर ताज्जुब हुआ की मेरी ऐसे नेक सलाह पे मित्र महोदय ने मुझे दुश्मन की संज्ञा दे दी | लेखक साहब समझ गए की मुझे बुरा लगा और फिर बोले यार क्या लिखूं किसी डॉन के बारे में लिखूं या मोहल्ले के किसी भ्रष्ट नेता की बिगड़ी औलाद के बारे में लिखूं | भाई इन के बारे में लिख के कौन दुश्मनी ले | और क्या किसी नेक इंसान के बारे मे लिखूं तो कुछ बिगड़े नवाबों को यह भी बुरा लग जाता है |
उनका कहना था की समाज में बुराईयों से लड़ने वालों का इतिहास है की सभी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा कुर्बानियां देनी पड़े और अकेलेपन का शिकार होना पड़ा अब चाहे वो अवतार हों या पैगम्बर ,इमाम या कोई साधू संत | शायद उतनी शक्ति मुझमे नहीं इसी लिए लेख बक्सों में ही लिख के बंद हो जाया करते हैं |
बात उनकी सही थी अपने जीवन का चैन सुकून खो कर समाज सेवा बहुत मुश्किल हुआ करती है और ऐसे में इंसान अकेला भी पड़ने लगता है क्यूंकि आज सत्य के साथी बहुत कम हुआ करते हैं | मैंने कहा लेखक महोदय एक सुझाव देता हूँ हमेशा भ्रष्टाचार के बारे में लिखो, समाज में फैली बुराईयों ,भ्रष्टाचार अन्धविश्वासो ,और कुरीतियों के बारे में लिखो लेकिन किसी व्यक्ति विशेष का नाम मत लो शायद ऐसा करने से आप अधिक ताक़त के साथ सामाजिक बुराईयों से लड़ सकेंगे |
लेखक महोदय खुश हो गए बोले ऐसा हर समय तो संभव नहीं होता लेकिन चलो १० में से २ लेख तो अब प्रकाशित अवश्य हो जाएंगे | मित्र महोदय जाते जाते एक सवाल मेरे मन में भी छोड गए कि क्या सच में आज ऐसा होने लगा है?
COMMENTS