अजय कुमार के साथ एस एम् मासूम जौनपुर जो “ शिराज़-ए-हिंद“ के नाम से भी मशहूर हैं, भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभ...
अजय कुमार के साथ एस एम् मासूम |
जौनपुर जो “शिराज़-ए-हिंद“ के नाम से भी मशहूर हैं, भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। जौनपुर एक शतक तक मध्यकाल में शर्की शासकों की राजधानी रह चुका है |यह शहर गोमती नदी के दोनों तरफ़ फैला हुआ है। गुप्तकालीन मंदिर ,और मुद्राओं का यहाँ पे पाया जाना इस ओर भी इशारा करता है कि गुप्तकाल में यह नगर व्यापार का केंद्र रहा होगा| 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया और इसे अपने स्वतंत्र राज्य की राजधानी(1394-1479) बनाया | जौनपुर इब्राहिमशाह शर्की के समय में जौनपुर शिक्षा का बहुत बडा केंद्र बना दिया था जहां पुरे विश्व से लोग ज्ञान लेने आते थे इसी कारण जौनपुर को शिराज़े हिंद कहा गया| हमारे मित्र डॉ मनोज मिश्र जी का कहना
है कि उत्तर प्रदेश से प्रशासनिक सेवाओं में सबसे ज्यादा लोग इसी जनपद से हैं और तो और यहाँ के जन्मे लोंगों ने विज्ञान और अनुसन्धान के क्षेत्र में पूरी दुनिया में नाम कमाया है| यहाँ प्रतिभाओं और ऐतिहासिक स्थलों की कमी नहीं है बस आवश्यकता है की सरकार भी इस शहर की अहमियत को समझे और इसे पर्यटन छेत्र घोषित करे | जौनपुर को महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली के जाम से भी जाना जाता है और इसका नाम पहले यमदग्निपुर और यवनपुर ,भी रहा है |पुरातत्व विभाग द्वारा जारी खोज में अब जौनपुर का इतिहास सुंग कुषाण काल तक पहुँच चुका है |गोमती नदी जौनपुर शहर को दो हिस्सों में बाँटती है और इसे सुंदर बनती है | यहाँ का इत्र ,मूली, चमेली का तेल ,इमरती इत्यादि बहुत मशहूर है |
है कि उत्तर प्रदेश से प्रशासनिक सेवाओं में सबसे ज्यादा लोग इसी जनपद से हैं और तो और यहाँ के जन्मे लोंगों ने विज्ञान और अनुसन्धान के क्षेत्र में पूरी दुनिया में नाम कमाया है| यहाँ प्रतिभाओं और ऐतिहासिक स्थलों की कमी नहीं है बस आवश्यकता है की सरकार भी इस शहर की अहमियत को समझे और इसे पर्यटन छेत्र घोषित करे | जौनपुर को महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली के जाम से भी जाना जाता है और इसका नाम पहले यमदग्निपुर और यवनपुर ,भी रहा है |पुरातत्व विभाग द्वारा जारी खोज में अब जौनपुर का इतिहास सुंग कुषाण काल तक पहुँच चुका है |गोमती नदी जौनपुर शहर को दो हिस्सों में बाँटती है और इसे सुंदर बनती है | यहाँ का इत्र ,मूली, चमेली का तेल ,इमरती इत्यादि बहुत मशहूर है |
शिक्षा, संस्क़ृति, संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले जनपद जौनपुर में हिन्दू- मुस्लिम साम्प्रदायिक सद् भाव का जो अनूठा स्वरूप शर्कीकाल में विद्यमान रहा है, उसकी गंध आज भी विद्यमान है| आज भी इस जौनपुर में कभी धर्म के नाम पे झगडे नहीं हुआ करते |साम्प्रदायिकसद् भाव की ऐसी मिसाल शायद ही किसी और शहर में देखने को मिले |
चलिए आज आपको जौनपुर की सैर करवाते हैं |
जौनपुर के बारे में अगला लेख कुछ दिनों बाद | जानिए जौनपुर को