हमारे समाज में हर इंसान के जीवन में उसके मित्र भी होते हैं और शत्रु भी होते हैं | वैसे अधिकतर ऐसा होता है मित्रता कोई इंसान अपनी आवश्यक...
हमारे समाज में हर इंसान के जीवन में उसके मित्र भी होते हैं और शत्रु भी होते हैं | वैसे अधिकतर ऐसा होता है मित्रता कोई इंसान अपनी आवश्यकता पूरी करने के लिए करता है और शत्रुता इर्ष्या वश हो जाती है |इन मित्रो और शत्रुओं में से हकीकत में कौन आप का मित्र है और कौन शत्रु इस बात की पहचान केवल ज्ञानी ही कर सकता है | अज्ञानी या बेवकूफ तो चाटुकारों को अपना मित्र समझ लेता है और जो नसीहत करे उसे दुश्मन | जबकि हकीकत में चाटुकार या बेवजह तारीफ करने वाला ही आपका दुश्मन है क्योंकि वो आपको गुमराह कर रहा है और यह जो नसीहत कर रहा है या आपकी कमियां बता रह है वो आपका दोस्त है क्यों की वो आपको सुधार का अवसर प्रदान कर रह है | हाँ यह अवश्य ध्यान रहे की अकेले में आपकी कमियां बताने वाला ही आपका दोस्त होता है , जो लोगों के सामने आपकी कमियां बताए वो आप को ज़लील करता है और दोस्त कभी नहीं हो सकता |
ठीक उसी तरह सार्वजनिक रूप यदि कोई आपका घनिष्ट मित्र होने का एलान करता हुआ दिखे तो समझ लेना चाहिए की वो आपके पीठ पीछे आपका शत्रु बनेगा और आपकी निंदा करने का सुख उठाएगा |ऐसे लोग मामूली जान-पहचान के बाद ही सीधे व्यक्तिगत, पारिवारिक या सामाजिक गोपनीय बातों को आपके हमदर्द बनके पूछने की कोशिश किया करते मिल जाएंगे | यह लोग आपके खुले शत्रु से भी अधिक खतरनाक हुआ करते हैं और इनका अधिक समय दूसरो की कमियां और गलतियाँ तलाशने में गुज़रा करता है | परनिंदा में इनको बहुत सुख मिलता है | परनिंदा का सुख आगे जा कर उस इंसान को दुखी कर देता है और जिस समाज में वो रहता है उन सभी का जीवन नरक बना देता है | इसलिए परनिंदा करने से बड़ा अपराध परनिंदा सुनना है |
जिनका स्वभाव है निंदा करना, वे किसी भी परिस्थिति में निंदा प्रवृत्ति का त्याग नहीं कर सकते हैं। इसलिए समझदार इंसान वही है जो ऐसे लोगों द्वारा की गई विपरीत टिप्पणियों की परवाह किये बगैर अपने काम में लगा रहता है। क्योंकि किसी की आलोचना से वो खुद के अहंकार को कुछ समय के लिए तो संतुष्ट कर सकता है किन्तु आपकी काबिलियत, नेकी, अच्छाई और सच्चाई की संपदा को नष्ट नहीं कर सकता ।
ऐसे लोगों से इस समाज में आपका सामना हर दिन होता है | ऐसे लोगों की एक ख़ास आदत हुआ करती है इन्हें आपकी दोस्ती औरों के साथ रास नहीं आती | पहले तो यह आपके घनिष्ट बन के आप को दूसरों के खिलाफ भड़काते हैं और अगर काम न बने तो सामने वाले को ,जो आपकी इज्ज़त करता है या आप से मित्रता रखता है झूट सच बोल के भड़काते हैं |
इसलिए जब भी आपको कोई किसी के खिलाफ भड़काए तो उसकी कही बातो पे आँख मूँद के यकीन करते हुए अपने रिश्ते खराब न करें बल्कि कोशिश करें सच को पता करने की |
मैंने भी इस ब्लॉगजगत का अपना एक मित्र ऐसे ही किसी गुमराह करने वाले के कारण खोया है | मैं हकीकत में उसकी बड़ी इज्ज़त करता था इसलिए दुःख हुआ लेकिन बाद में यह सोंच के संतोष कर गया की वो बेवकूफ था जो दूसरों की बातो में आ गया अक़लमंद होता तो सच जानने की कोशिश अवश्य करता और अपने इस रिश्ते को टूटने से बचा लेता | वैसे भी बेवकूफ दोस्त से अक़लमंद दुश्मन अच्छा होता है |
निंदा सुख का मज़ा लेने वाले यह भूल जाते हैं की दूसरों के लिए कांटे बोकर स्वयं के लिए फूलों भरी राह की कल्पना कर के अपने जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता कर रहे हैं |
आप यदि समझदार हैं और जीवन में अधिक समय ऐसे लोगों का शिकार हो के बर्बाद नहीं करना चाहते हैं तो ऐसे चाटुकारों से ,हमदर्दों से दूरी रखें और पारिवारिक बातें, अपनी कमजोरियों या गोपनीय बातें इनको न बताएं |