पिछले ३-४ महीनो से बीमारी और फिर ऑपरेशन के कारन ब्लॉगजगत से दूर रहा | अभी एक सप्ताह से लोगों को पढने की कोशिश कर रहा हूँ कुछ लिखा भी ल...
पिछले ३-४ महीनो से बीमारी और फिर ऑपरेशन के कारन ब्लॉगजगत से दूर रहा | अभी एक सप्ताह से लोगों को पढने की कोशिश कर रहा हूँ कुछ लिखा भी लेकिन जैसे जैसे लोगों को पढता गया दुखी होता गया | आज भी वही नफरतों की दीवारें धर्म के नाम बनाई जा रही हैं | पता नहीं क्यों खुद को धार्मिक साबित करने के लिए अपने धर्म के बताये रास्तों पे चलने की जगह धर्म के नाम पे झगडा करना अधिक पसंद आता है लोगों को| धर्मांध व्यक्ति वैसे भी या तो अज्ञानी होता है या फिर किसी निजी स्वार्थ के तहत काम कर रह होता है|
वैसे इस बार धर्म के नाम पे अधर्म करने वालों को भी कुछ ब्लॉगर ने निशाना बनाया | यह एक अच्छी पहल है लेकिन कुछ लोग अपने ही धर्म के रीति रिवाजो को निशाना बनाते भी नज़र आये, जो की मेरी नज़र में सही नहीं है | हर इंसान आज़ाद है की वो जिस किसी धर्म को चाहे उसी चुने और न चाहे तो नास्तिक रहे किसी भी धर्म को ना माने| भाई जब आपने किसी धर्म को सही पाया तभी तो उसे अपने लिए चुना फिर अपने चुने हुए धर्म के रीति रिवाजों के खिलाफ बोलने का क्या मतलब है|
हर धर्म के कुछ उसूल होते हैं और उसका जिक्र उनके धर्म की किताबो में होता है | यह और बात है कि हर धर्म में कुछ ऐसी कुरीतियाँ शामिल हो चुकी हैं जिनका उनकी धार्मिक किताबो में कोई जिक्र नहीं | ऐसी कुरीतियों के खिलाफ बोलना अवश्य चाहिए लेकिन हर इंसान को अपने धर्म में शामिल कुरीतियों का ही जिक्र करना चाहिए| दूसरो के धर्म में शामिल कुरीतियों का जिक्र करने से नफरत के सिवाए कुछ हासिल नहीं होता है और यह आपकी ज़िम्मेदारी भी नहीं क्यों की आप उस धर्म को मानते ही नहीं है |
हर इंसान को यह हक है की वो अपने धर्म की अच्छाइयों के बारे में बताये और इसमें किसी दुसरे धर्म को मानने वाले को कोई एतराज़ भी नहीं होना चाहिए | दूसरों के धर्म के रीति रिवाजो को निशाना बनाना , उसके उसूलों के खिलाफ बोल के उस धर्म के मानने वालों के जज़्बात को ठेस पहुँचाना दिलों में एक दुसरे के लिए नफरत पैदा करता है |
अज्ञानी कभी धार्मिक नहीं हो सकता और धार्मिक इंसान हमेशा दूसरो के दिलो में प्यार पैदा करता है | नफरत फैलाने वाला कभी धार्मिक नहीं हो सकता |
प्यार बांटो खुश रहो …