बच्चों का पालन पोषण व तरबियत उनके साथ समय बिताए बिना सम्भव नही है, बच्चों के बारे मे की गई रिसर्चों से पता चलता है कि जो बच्चे अपने मा...
बच्चों का पालन पोषण व तरबियत उनके साथ समय बिताए बिना सम्भव नही है, बच्चों के
बारे मे की गई रिसर्चों से पता चलता है कि जो बच्चे अपने मां बाप और परिवार के साथ
मिलकर खाना खाते हैं वह कम उदास होते हैं और उनके यहां बदचलनी कम पाई जाती है यह
बच्चे तेज़ दिमाग़ के होते हैं और स्कूल के होम वर्क्स और प्रोजेक्ट्स को अच्छी तरह
पूरा करते हैं|
बच्चों के साथ हमेशा सच बोलें जब किसी ख़तरनाक जगह जाने के लिए आप से कहें तो आप उनसे कहें! क्या मुझ पर तुम्हें भरोसा नही है? साफ़ कहें! मै भी जब तुम्हारी जैसी उम्र में था तो उस समय मुझे अपने ऊपर भरोसा नही था और इस तरह की ख़तरनाक जगहों पर जाने कि हिम्मत नही रखता था और बाप की हैसियत से मेरी ज़िम्मेदारी है कि तुम्हें भी ख़तरनाक जगहों पर जाने से रोकने की कोशिश करूं। यह जवाब बच्चे को अच्छा नही लगेगा लेकिन इस जवाब मे एक बड़ा सन्देश भी छुपा हुआ है कि आप उसकी काफ़ी हद तक सुरक्षा और देखभाल कर रहे हैं और उसको सही रास्ते पर चलने के लिए सहायता कर रहे हैं, बच्चों को उनके हाल पर छोड़ देना आप के लिए सबसे आसान काम होगा लेकिन आप बच्चों की सुरक्षा व देखभाल के लिए इस कठोरता को सहन कर रहे हैं।
यह सोचकर की पाबन्दियां लगाने से बच्चे हमसे प्यार नहीं करते, हम उनके लिए सीमाएं बांधने मे संकोच करते हैं इस संकोच की वजह हमारी पिछली ज़िन्दगी मे है, हम सब अपने अन्दर अच्छे मां बाप और बुरे मां बाप के गुण लिए हुए हैं, हमारे अन्दर अच्छे व बुरे गुण हमारे उपर प्रभाव डालते हें, यह प्रभाव काफ़ी शक्तिशाली होते हैं, अगर बचपन मे हमे ऐसी मां मिली जो सुबह सवेरे उठकर गर्म नाश्ता तैयार करती थी तो उस समय आप भी ऐसा काम करने मे दिलचस्पी दिखांएगे, हमारे अन्दर के मां बाप इस बात का कारण बनते हैं कि हम बच्चों के बारे मे मेहेरबान रहें कठोरता से बचें या फिर इसके बिल्कुल उलटा कठोर तरीक़ा अपनाएं, यह भावनांए हमे बच्चों पर सही रोकटोक और पाबन्दियां लगाने से रोकती हैं, अगर आपके मां बाप ने आपके साथ बचपन मे मुहब्बत और मेहेरबानी का व्यवहार नही किया है तो सम्भव है कि आप का बरताव उसके उलटा हो और आप अपने बच्चों पर सीमा से अधिक मेहेरबान हों यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि हम जान लें कि हम अपने बच्चों के साथ अपने अन्दर मौजूद आंतरिक मां बाप के सम्बन्ध मे बात कर रहे हैं या ऐसे बाप के सम्बन्ध मे जिसे ख़ुद हमने चुना है, किस समय हम अपने बचपन की निराशा और ना उम्मीदी को ठीक करने की कोशिश करते हैं और किस समय अपने व्यक्तित्व के हिसाब से बात करते हैं।
हम अपने अन्दर के मां बाप जो हमारी पिछली ज़िन्दगी से प्रभावित हैं, को बदल सकते हैं और इसके असर को कम कर सकते हैं , बस इन्हें पहचानने और कन्ट्रोल करने की ज़रूरत है।
सबसे अच्छा बाप बनने के लिए कुछ समय अपने अन्दर छिपे हुए पैरेंट्स की पहचान पर ख़र्च करना चाहिए अपनी पिछली ज़िन्दगी की बेहतरीन घटनाओं को याद करना चाहिए और अगर अधिकतर बुरे पैरेंटस याद आते हैं तो कोई मुश्किल नही है, इसको इस तरह समझना चाहिए कि ज़िन्दगी के एक दौर मे वह थे जिससे तुम इस समय अच्छे पैरेंट्स बन सको अब जबकि पाबन्दियों के फ़ायदे समझ मे आ गए हैं तो घर मे ऐसे क़ानून बनाए जाएं जिनका हमेशा पालन होता रहे और इन क़ानूनों को न मानने की सूरत मे सज़ा देने पर भी ध्यान रहना चाहिए और सज़ा झाड़ू लगाना और बर्तन धोना भी हो सकता है।
बच्चों के चाल-चलन को बदलने के लिए दो चीज़ें ज़रूरी हैं-
1.बच्चे के साथ बातचीत की शैली।
2. चाल-चलन बदलने के लक्ष्य का पता होना।
बच्चे के चाल-चलन को बदलने के लिए ज़रूरी है कि उसके साथ इस तरह बातचीत की जाए कि उसे बेइज़्ज़ती और शर्म का एहसास न हो अगर बच्चे को ऐसा लगे की आप को उसकी मदद की ज़रूरत है तो बच्चा आप के आदेश और तरीक़े के बजाए आप के साथ भरपूर सहायता करने के लिए तैयार हो जाएगा, मुझे तुमसे पांच मिनट तक कुछ ज़रूरी बात करनी है क्या तुम्हारे पास टाइम है? मै काफ़ी समय से घर मे शोर और हंगामे के बारे मे सोच रहा हूं और इस सम्बन्ध मे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है, घर की कुछ ज़िम्मेदारियां तुम अपने कंधो पर ले लो, गंदे कपड़ों को इकट्ठा करके एक जगह रखो, अपनी अलमारी की किताबों को सही ढंग से रखो, मै जानता हूं तुम यह काम कर सकते हो, अगर बच्चे को डराओगे कि अगर तूने गंदे कपड़ों को एक जगह इकट्ठा नही किया तो मै तुझे एक सप्ताह तक जेब ख़र्च नही दूंगा तो उसका उलटा प्रभाव पड़ेगा और बच्चों के साथ इस तरीक़े से बात नही करनी चाहिए क्योंकि धमकी वाली भाषा का प्रभाव थोड़ी देर के लिए होता है, साथ ही घर के क़ानूनों का पालन करने के लिए बच्चे को पर्याप्त समय देना चाहिए जिससे कि वह अपनी ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह निभा सकें।