इंसान जब अपने दिल में झाँक कर देखता है तो महसूस करता है कि उसकी कोई चीज़ खोई हुई है जिसकी उसे तलाश है, और चूँकि वह अपनी खोई हुई चीज़ के बार...
इंसान जब अपने दिल में झाँक कर देखता है तो महसूस करता है कि उसकी कोई चीज़ खोई हुई है जिसकी उसे तलाश है, और चूँकि वह अपनी खोई हुई चीज़ के बारे मे सही से नही जानता इस लिए उसको हर जगह और हर चीज़ में तलाश करने की कोशिश करता है।
वह कभी तो यह सोचता है कि मेरी खोई हुई असली चीज़ मालो दौलत है, लिहाज़ा अगर इसको जमा कर लिया जाये तो दुनिया का सब से ख़ुश क़िस्मत इंसान बन जाउँगा। कभी सोंचता है खुबसूरत औरतों का ,बीवी का साथ हो तो खुशहाल हो जाएगा| कभी रंगे सियार की तरह से अपने रंग बदल के झूटी शोहरत में ख़ुशी की तलाश किया करता है |
दौलत के आते ही इंसान का सुकून ख़त्म हो जाता है| कभी दौलत को सँभालने की फ़िक्र,कभी चापलूसों की बनावटी बातें, इंसान का सुकून ख़त्म करने लगती हैं | खुबसूरत और दौलत मंद बीवी की ख्वाहिशें ,उसका गुरूर अक्सर घर को जहन्नम बना देता है |
इंसान धन दौलत और आराम के चक्कर में अक्सर अपने वतन से दूर शहरों में जाकर बस जाता है | देखने में तो ऐसा लगता है जैसे उसे दौलत भी मिल गयी, बड़ा सा सारी सुविधाओं वाला घर भी मिल गया ,ख़ूबसूरत पत्नी भी मिल गयी लेकिन जब गौर किया तो पाया यह इंसान जिसके पास बड़े शहरों में यह सारी सुविधाएं हैं उसके पास न तो अपनी ख़ूबसूरत बीवी के लिए समय बचता है और न ही उस घर में आराम से सोने के लिए समय बचता है | अक्सर बड़े बड़े घर का आराम उस घर के नौकर अधिक उठाते हैं |
सवाल यह उठता है की यह दौलत कमाने की होड़ में सुकून और आराम ही चला गया तो यह किस काम की दौलत? जब बीवी के लिए समय ही नहीं बचता तो यह खूबसूरती किस काम की? दौलत के चक्कर में अक्सर बड़े शहरों की बीवियां नौकरी करने लगती हैं और बच्चे पलते हैं ,नौकरानियो के सहारे | ऐसी दौलत किस काम की जो अपने ही बच्चों की परवरिश में आड़े आ जाए?
एक इंसान को सर छुपाने के लिए छत हो, किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े और अगर सुकून से अपने ही वतन में इतना मिल जाए की दूसरों की मदद भी कर सके तो उस से खुशकिस्मत इंसान मेरी नज़र में दूसरा कोई नहीं है |सच यह है की इंसान अपनी जीवन में सुकून चाहता है, दिल की ख़ुशी चाहता है लेकिन उसकी तलाश में अधिकतर जीवन भर गलत दिशा में भटकता रह जाता है |
इंसान के दिल को सुकून दूसरों की मदद में ही मिला करता है और यह बात वो समझ सकता है जिस्ने कभी किसी की मदद बगैर किसी लालच के की को |
इसलिए ऐ इंसान मत भाग दौलत ऐशो आराम की लालच में बड़े बड़े शहरों की ओर | वरना अपना सुकून और चैन खो के जो दौलत तूने कमाई वो तेरे बाद दुसरे बेदर्दी से लुटा देंगे और तेरी यह सुकून और ख़ुशी की तलाश अधूरी तेरे जीवन के अंत के साथ रह जाएगी |
वह कभी तो यह सोचता है कि मेरी खोई हुई असली चीज़ मालो दौलत है, लिहाज़ा अगर इसको जमा कर लिया जाये तो दुनिया का सब से ख़ुश क़िस्मत इंसान बन जाउँगा। कभी सोंचता है खुबसूरत औरतों का ,बीवी का साथ हो तो खुशहाल हो जाएगा| कभी रंगे सियार की तरह से अपने रंग बदल के झूटी शोहरत में ख़ुशी की तलाश किया करता है |
दौलत के आते ही इंसान का सुकून ख़त्म हो जाता है| कभी दौलत को सँभालने की फ़िक्र,कभी चापलूसों की बनावटी बातें, इंसान का सुकून ख़त्म करने लगती हैं | खुबसूरत और दौलत मंद बीवी की ख्वाहिशें ,उसका गुरूर अक्सर घर को जहन्नम बना देता है |
इंसान धन दौलत और आराम के चक्कर में अक्सर अपने वतन से दूर शहरों में जाकर बस जाता है | देखने में तो ऐसा लगता है जैसे उसे दौलत भी मिल गयी, बड़ा सा सारी सुविधाओं वाला घर भी मिल गया ,ख़ूबसूरत पत्नी भी मिल गयी लेकिन जब गौर किया तो पाया यह इंसान जिसके पास बड़े शहरों में यह सारी सुविधाएं हैं उसके पास न तो अपनी ख़ूबसूरत बीवी के लिए समय बचता है और न ही उस घर में आराम से सोने के लिए समय बचता है | अक्सर बड़े बड़े घर का आराम उस घर के नौकर अधिक उठाते हैं |
सवाल यह उठता है की यह दौलत कमाने की होड़ में सुकून और आराम ही चला गया तो यह किस काम की दौलत? जब बीवी के लिए समय ही नहीं बचता तो यह खूबसूरती किस काम की? दौलत के चक्कर में अक्सर बड़े शहरों की बीवियां नौकरी करने लगती हैं और बच्चे पलते हैं ,नौकरानियो के सहारे | ऐसी दौलत किस काम की जो अपने ही बच्चों की परवरिश में आड़े आ जाए?
एक इंसान को सर छुपाने के लिए छत हो, किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े और अगर सुकून से अपने ही वतन में इतना मिल जाए की दूसरों की मदद भी कर सके तो उस से खुशकिस्मत इंसान मेरी नज़र में दूसरा कोई नहीं है |सच यह है की इंसान अपनी जीवन में सुकून चाहता है, दिल की ख़ुशी चाहता है लेकिन उसकी तलाश में अधिकतर जीवन भर गलत दिशा में भटकता रह जाता है |
इंसान के दिल को सुकून दूसरों की मदद में ही मिला करता है और यह बात वो समझ सकता है जिस्ने कभी किसी की मदद बगैर किसी लालच के की को |
इसलिए ऐ इंसान मत भाग दौलत ऐशो आराम की लालच में बड़े बड़े शहरों की ओर | वरना अपना सुकून और चैन खो के जो दौलत तूने कमाई वो तेरे बाद दुसरे बेदर्दी से लुटा देंगे और तेरी यह सुकून और ख़ुशी की तलाश अधूरी तेरे जीवन के अंत के साथ रह जाएगी |