दुष्ट लोगों की संगत का दुष्परिणाम भोगना ही पड़ता है यह एक ऐसा सत्य है जिसे झुटलाया नहीं जा सकता | सज्जन पुरुष और दुष्ट का कोई मेल नहीं और ज...
दुष्ट लोगों की संगत का दुष्परिणाम भोगना ही पड़ता है यह एक ऐसा सत्य है जिसे झुटलाया नहीं जा सकता | सज्जन पुरुष और दुष्ट का कोई मेल नहीं और जब भी यह मिले कीचड़ सज्जन पुरुष पे अवश्य पड़ता है | आज कल एक होड़ सी लगी रहते है कि कैसे पैसे वालों से सम्बन्ध बनाये जाएं, कैसे समाज के ताक़तवर लोगों से सम्बन्ध बनाये जाएं | ऐसे चक्करों में यदि कोई सज्जन पुरुष दुनिया कि देखा देखि पड़ गया तो दुष्परिणाम भोगना ही पड़ता है |
आज रहीम के दोहे पढ़ते समय एक दोहे ने मेरा ध्यान आकर्षित किया | दोहा कुछ इस प्रकार है :
महिलाओं को दोस्ती के समय पुरुष के किरदार को देखना चाहिए न कि उसके पैसे और दबंग पने को | उसी प्रकार जवानी और कॉलेज के दिन पढ़ाई और भविष्य बनाने के दिन हुआ करते हैं न कि सडको पे जवानी का जोश दिखाने के दिन हुआ करते हैं |
ऐसा नहीं कि यह प्रवृति केवल नौजवानी में पाई जाती है बल्कि हर उम्र के लोग पैसे वालों और दबंग लोगों से रिश्ते रखने कि कोशिश करते दिख जाया करते हैं |
जब तक ऐसे रिश्ते अच्छे रहते हैं बड़ा मज़ा होता है लेकिन रिश्ते बिगड़ते ही ऐसी मुसीबत आ जाती है जिससे बचना असंभव सा हो जाता है | वैसे भी दुष्ट प्रवृति के लोगों, भ्रष्ट लोगों, का साथ आपके किरदार पे एक न एक दिन कालिख अवश्य लगता है यह भी सत्य है |
आज रहीम के दोहे पढ़ते समय एक दोहे ने मेरा ध्यान आकर्षित किया | दोहा कुछ इस प्रकार है :
रहिमन उजली प्रकृति को, नहीं नीच को संग ।
करिया वासन कर गहे, कालिख लागत अंग ॥
आज के युवाओं पे फिल्मो का असर बहुत गहरा हुआ करता है | लडकियां भी कॉलेज में दबंग टाइप के लडको से दोस्ती कि कोशिश किया करती हैं | लड़के भी दोस्तों का ऐसा ग्रुप पसंद करते हैं जहां उन्हें कोई कुछ बोल न सके | फिल्मो के असर और जवानी के जोश में वो भूल जाते हैं कि रिश्ते बनते और बिगड़ते भी रहते हैं | जब तक इन दबंगों से रिश्ता अच्छा है तब तक तो ठीक लेकिन जिस दिन रिश्तों में किसी कारणवश कडवाहट आयी तो नतीजा बहुत ही खतरनाक हुआ करता है | ऐसे बहुत से मामले रोज़ प्रकाश में आया करते हैं |करिया वासन कर गहे, कालिख लागत अंग ॥
महिलाओं को दोस्ती के समय पुरुष के किरदार को देखना चाहिए न कि उसके पैसे और दबंग पने को | उसी प्रकार जवानी और कॉलेज के दिन पढ़ाई और भविष्य बनाने के दिन हुआ करते हैं न कि सडको पे जवानी का जोश दिखाने के दिन हुआ करते हैं |
ऐसा नहीं कि यह प्रवृति केवल नौजवानी में पाई जाती है बल्कि हर उम्र के लोग पैसे वालों और दबंग लोगों से रिश्ते रखने कि कोशिश करते दिख जाया करते हैं |
जब तक ऐसे रिश्ते अच्छे रहते हैं बड़ा मज़ा होता है लेकिन रिश्ते बिगड़ते ही ऐसी मुसीबत आ जाती है जिससे बचना असंभव सा हो जाता है | वैसे भी दुष्ट प्रवृति के लोगों, भ्रष्ट लोगों, का साथ आपके किरदार पे एक न एक दिन कालिख अवश्य लगता है यह भी सत्य है |