नारायणदत्त तिवारी उज्ज्वला और रोहित के रिश्ते पे इस ब्लॉगजगत में भी एक बहस सी छिड़ी हुई है | कोई किसी का साथ दे रहा है कोई किसी का | सबके...
नारायणदत्त तिवारी उज्ज्वला और रोहित के रिश्ते पे इस ब्लॉगजगत में भी एक बहस सी छिड़ी हुई है | कोई किसी का साथ दे रहा है कोई किसी का | सबके अपने अपने विचार हैं | लेकिन सच यही है कि गलत रास्ते से पाई गयी कोई भी नेमत इंसान को आज तक रास नहीं आयी ,फिर चाहे वो ओलाद हो या पैसा | कहा जा रहा है कि नारायणदत्त तिवारी जी ने उज्ज्वला से शादी का वादा कर के शारीरिक सम्बन्ध बना लिए और नतीजे में रोहित का जन्म हुआ | सवाल यह उठता है कि उज्ज्वला ने बिना शादी के केवल वादे पे शारीरिक सम्बन्ध बनाये ही क्यों? जो काम शादी के बाद होता है, हमारे समाज में भी गलत है, धर्म में भी गलत है उसी करते समय यह क्यों नहीं सोंचा कि ऐसे रिश्ते से जन्मा पुत्र नाजायज़ ही कहलाएगा | यदि नारायणदत्त तिवारी ,उज्ज्वला से शादी बाद में कर भी लेते तो भी रोहित नाजाएज़ ही कहलाता |
गलत तरीके से बनाये रिश्तों का अंजाम यही हुआ करता है जो रोहित और उज्ज्वला के मामले में हुआ | रोहित का दर्द अपनी जगह सही है लेकिन उसके ज़िम्मेदार उसके माता और पिता दोनों बराबर हैं | रोहित को पुत्र तो नारायणदत्त तिवारी ने हमेशा माना ऐसा रोहित खुद कहता है लेकिन समाज के सामने उसे पुत्र का दर्जा नहीं देते थे और माता उसी समाज के सामने पुत्र का दर्जा देती रही | माता कि मजबूरी है कि ९ माह गर्भ में रखने के बाद इनकार की कोई सम्भावना नहीं रह जाती ,पिता होना समाज पर ज़ाहिर नहीं होता इसका फायदा नारायणदत्त तिवारी ने अवश्य लिया |
ऐसा नारायणदत्त तिवारी हरगिज़ न कर पाते यदि उज्ज्वला ने यही रिश्ता शादी के बाद बनाया होता | आज कल कहा जाता है कि घर में नौकर भी रखो तो देखभाल के, और पोलिस में खबर कर के | आप बिना देखे किसी को भी नौकर रख लें और जब वो चोरी हो जाए तो उसके खिलाफ चोरी का मामला भी दर्ज कर दें लेकिन इस से क्या आप की ग़लती कम हो जाएगी कि आपने नौकर रखने के पहले उसके बारे में सही तरीके से पता क्यों न किया? चोर तो गलत है ही लेकिन गलती आप कि भी है |
आप अपने जीवन में जो भी काम करें आप को उसे करने के पहले सोंचना चाहिए कि क्या आप सर उठा के उस काम की ज़िम्मेदारी समाज के सामने ले सकते हैं? यदि नहीं तो ऐसे काम का अंजाम सिवाए बदनामी के कुछ नहीं होगा |
यह समस्या केवल उज्ज्वला की ही नहीं है | आज हर रोज़ शादी के वादे पे शारीरिक संबंधों कि खबरें आया करती हैं | ना जायज़ औलाद का कूड़े दान में मिलना, या गर्भपात करवाना भी आम हो गया है | ऐसी गलती का ज़िम्मेदार केवल महिला या पुरुष को बना देना सही नहीं |
शादी के पहले शारीरिक सम्बन्ध बना लेना दोनों कि मिली जुली गलती है और सजा मिलती है जन्म लेने वाली औलाद को | इसका हल यही है सभी लोग जायज़ और नाजायज़ का फर्क समझें | और ऐसा कोई काम न करें जिसे समाज के सामने सर उठा के बता न सकें |
गलत तरीके से बनाये रिश्तों का अंजाम यही हुआ करता है जो रोहित और उज्ज्वला के मामले में हुआ | रोहित का दर्द अपनी जगह सही है लेकिन उसके ज़िम्मेदार उसके माता और पिता दोनों बराबर हैं | रोहित को पुत्र तो नारायणदत्त तिवारी ने हमेशा माना ऐसा रोहित खुद कहता है लेकिन समाज के सामने उसे पुत्र का दर्जा नहीं देते थे और माता उसी समाज के सामने पुत्र का दर्जा देती रही | माता कि मजबूरी है कि ९ माह गर्भ में रखने के बाद इनकार की कोई सम्भावना नहीं रह जाती ,पिता होना समाज पर ज़ाहिर नहीं होता इसका फायदा नारायणदत्त तिवारी ने अवश्य लिया |
ऐसा नारायणदत्त तिवारी हरगिज़ न कर पाते यदि उज्ज्वला ने यही रिश्ता शादी के बाद बनाया होता | आज कल कहा जाता है कि घर में नौकर भी रखो तो देखभाल के, और पोलिस में खबर कर के | आप बिना देखे किसी को भी नौकर रख लें और जब वो चोरी हो जाए तो उसके खिलाफ चोरी का मामला भी दर्ज कर दें लेकिन इस से क्या आप की ग़लती कम हो जाएगी कि आपने नौकर रखने के पहले उसके बारे में सही तरीके से पता क्यों न किया? चोर तो गलत है ही लेकिन गलती आप कि भी है |
आप अपने जीवन में जो भी काम करें आप को उसे करने के पहले सोंचना चाहिए कि क्या आप सर उठा के उस काम की ज़िम्मेदारी समाज के सामने ले सकते हैं? यदि नहीं तो ऐसे काम का अंजाम सिवाए बदनामी के कुछ नहीं होगा |
यह समस्या केवल उज्ज्वला की ही नहीं है | आज हर रोज़ शादी के वादे पे शारीरिक संबंधों कि खबरें आया करती हैं | ना जायज़ औलाद का कूड़े दान में मिलना, या गर्भपात करवाना भी आम हो गया है | ऐसी गलती का ज़िम्मेदार केवल महिला या पुरुष को बना देना सही नहीं |
शादी के पहले शारीरिक सम्बन्ध बना लेना दोनों कि मिली जुली गलती है और सजा मिलती है जन्म लेने वाली औलाद को | इसका हल यही है सभी लोग जायज़ और नाजायज़ का फर्क समझें | और ऐसा कोई काम न करें जिसे समाज के सामने सर उठा के बता न सकें |