आज का युग दोहरे चरित्र वालों का युग है | आप बंद कमरों में जो करते हैं, अकेले में जो सोंचते हैं, हकीकत में जैसे जीना चाहते हैं वो आप हमे...
आज का युग दोहरे चरित्र वालों का युग है | आप बंद कमरों में जो करते हैं, अकेले में जो सोंचते हैं, हकीकत में जैसे जीना चाहते हैं वो आप हमेशा सब के सामने नहीं ला सकते | समाज के लोगों में जो सही और अच्छा कहा जाता है , जो हमारे कानून हैं या दस्तूर है उसी में बंधके बहुत बार न चाहते हुई भी इंसान जीता है | अगर देश , धर्म , और समाज के कानून, इसके अपने ख्यालात, सहूलियतों और कानून के मुताबिक ना हुए तो आज का इंसान दो चेहरे वाला बन जाता है. सामने से , सामाजिक, धार्मिक, दयावान और अंदर से ठीक इसके उलट|
आज अन्ना हजारे और बाबा रामदेव भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं लेकिन कितने हकीकत में इनके साथ हैं और सच में लोकपाल बिल कितने चाहते हैं? केवल वही जो भ्रष्टाचार के शिकार है और वो है ग़रीब तबका, बेरोजगार तबका | क्योंकि मंत्री ही नहीं सरकारी दफ्तरों का क्लर्क भी रिश्वत के पैसे से खुश है और डरता है कहीं यह अन्ना कि बात मान ली गयी तो गया यह आराम |
सच यह है कि आज हर इंसान पैसा चाहता है, ऐश ओ आराम से जीना चाहता है और जब इसे कमाने का मौक़ा मिलता है तो यह नहीं सोंचता कि कमाने का तरीका सही है या ग़लत? यह भी सच है हर इंसान नाम और शोहरत से खुश होता है और उसे पाने के लिए कभी पैसे लुटाता है,कभी झूट बोलता है, न जाने क्या क्या हथकंडे अपनाता है | समाज के सामने दानवीर और समाज सेवक बना घूमता है और अंदर से होता है लुटेरा | तभी तो महिला आश्रमों तक में पाप पलते हैं और सेक्स रेकेट तक चला करते हैं |
यह भी सच है कि कौन ऐसा मर्द है जिसे स्त्रियों को देखना उसके पास बैठना ,बातें करता इत्यादि अच्छा न लगता हो लेकिन नज़र उठा कर इधर उधर देखिये तो सभी ब्रहमचारी बने बैठे हैं | यह सब जानते हैं कि आज दफ्तरों में रिसेप्शन पर महिला ही क्यों बैठाई जाती है और सेक्रेटरी अधिकतर महिलाएं ही क्यों हुआ करती हैं | महिलाओं का भी हाल कुछ ऐसा ही है बस ज़रा देर से उनका नकाब उतरता है | हाँ यह यहाँ कहता चलूँ कि इसका यह मतलब नहीं कि हर सेक्रेटरी का रिसेप्शन पे बैठने वाली महिला गलत होती है लेकिन पुरुष उसकी मौजूदगी में प्रसन्न रहता है यह भी सच है |
कहा जाता है कि किसी के मिज़ाज को पहचानना है तो उसे ताक़त दे कर देख लो | आप इतिहास उठा के देख सकते है कि इन राजाओं ने, कैसी ज़िंदगी गुजारी और आज के मंत्रियों का क्या हाल है?
जिसे देखिये दौलत नाम शोहरत, और सेक्स के पीछे भाग रहा है और क्यों न भागे यह सभी को पसंद भी है | इन सभी चीज़ों को पाने में या पाने की कोशिश करने में मुझे कोई बुराई नहीं लगती लेकिन यह एक बड़ा सच है कि हर किसी को यह सभी चीज़ें नहीं मिल सकती | मुश्किल तो तब होती है जब कोई इंसान अपनी प्रतिभा, अपनी मेहनत के दम पे इन चीज़ों को नहीं पाता और इनको पाने के ग़लत तरीके अपनाने लगता है |यहाँ ग़लत तरीके से मेरा तात्पर्य केवल एक है और कि किसी का हक मारने कि कोशिश करना| आप पैसा कमाने के लिए चोरी करें, रिश्वत लें, घोटाला करें, यह सभी तरीके किसी का हक मारना ही कहलाएगा |
इसलिए धन दौलत इज्ज़त शोहरत और शारीरिक सुख पसंद नहीं जैसे झूट न बोलिए दोहरे चरित्र में जीने से नुकसान हुआ करता है बल्कि इनको पाने की कोशिश सीधे रास्ते से करते रहे और इनकी लालच में ग़लत रास्ते पे न चले जाएं इसके लिए अपनी आंतरिक इच्छाओं को नियंत्रित रखें और अपनी प्रतिभाओं को, ज्ञान को ,तजुर्बे को बढ़ाते रहे जिसे उनके इस्तेमाल से आप संसार के सभी सुख सीधे रास्ते से ही पा सकें |
हज़रत अली अलैहिस्सलाम आंतरिक इच्छाओं की संज्ञा एक एसे अनियंत्रित घोड़े से देते हैं कि जब उसका स्वामी उसपर सवार होता है तो वह आना-कानी करता है और उसे धरती पर पटक देता है। और जो अपनी आंतरिक इच्छाओं पे काबू रखता है संज्ञा एसे घोड़े से दी है जो अपने स्वामी के नियंत्रण में रहता है। एसे घोड़े पर उसका सवार बड़ी सरलता से बैठ कर सवारी करता है। यह घोड़ा भी बिना किसी कठिनाई के अपने स्वामी को उसके गंतव्य तक पहुंचा देता है।
अपने मन को आंतिरक इच्छाओं के हवाले करना और उसका अंधा अनुसरण ही सारे भ्रष्टाचार कि जड़ है |