मैंने अभी एक लेख लिखा जिसमे मैंने इस बात पे जोर दिया कि “युवाओं को अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़रूरत के समय अपना जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार ह...
मैंने अभी एक लेख लिखा जिसमे मैंने इस बात पे जोर दिया कि “युवाओं को अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़रूरत के समय अपना जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार है और उन्हें यह आज़ादी मिलनी ही चाहिए |”
और यदि कोई युवा गलत चुनाव कर ले तो उसे समझाया जाए न कि उसपे ज़ुल्म किया जाए और उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाए | बचपन से दी गयी सही परवरिश किसी भी युवा को यह तमीज अवश्य सिखा देती है कि उसका जीवन साथी कैसा हों? सही परवरिश के अभाव में युवा अपने ए जीवन साथी का चुनाव प्यार कम और वासना के वशीभूत हों के कर जाया करता है | आज के युग मे जो युवक युवतियां प्रेम की दुहाई दे कर अपने मां बाप को मानसिक यंत्रणा देते हैं | वह काम वासना युक्त प्रेम है।
आज फसबूक जैसी सोशल वेबसाइट पे प्यार हों जाया करता है जबकि वहाँ प्यार का कम और वासना का असर अधिक होता है | आज के दौर में प्यार फैशन की तरह हो गया है जिसे वक्त की दीमक जल्द ही खोखला कर देती है।
महात्मा गाँधी का मानना था कि “प्रेम कभी दावा नहीं करता, वह हमेशा देता है। प्रेम हमेशा कष्ट सहता है, न कभी झुंझलाता है और न ही कभी बदला लेता है।”
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन का यह अध्ययन न्यूरोइमेज पत्रिका में छपा था कि “शोधकर्ताओं ने यह भी पाया के जब दो प्यार करने वाले एक दुसरे के सामने आते हैं तो दिमाग़ में कुछ उन गतिविधियों पर अंकुश लग जाता है जो किसी को आलोचनात्मक नज़र से देखती हैं |लेकिन अनुसंधान से यह भी पता चला कि रोमांटिक और ममता से जुड़ी भावनाओं में एक बुनियादी फ़र्क़ है वो यह कि प्रेमी-प्रेमिका के दिमाग़ के उस हिस्से में भी गतिविधियाँ तेज़ हो जाती हैं जो सेक्स उत्तेजना से संबद्ध हैं |
आज के युग में खासकर के हमारे नौजवानों को वासना और प्रेम दोनो की गहराइयों को समझने कि आवश्यकता है | वासना से जुड़े प्रेमी समझते हैं कि दोनों एक दुसरे से प्यार करते हैं लेकिन यह प्यार नहीं होता इसलिए स्थाई भी नहीं होता |
वैसे भी जब एक अर्धनग्न युवती से किसी लड़के को इश्क होगा तो प्यार नहीं वासना ही होगा | यदि कोई युवक और युवती सच्चे प्यार कि तलाश में है तो अपने किरदार को बनाएँ और उसे लोगों के सामने पेश करें न कि अपने शरीर को |
वासना तनाव लाती है, प्रेम विश्वास लाता है। वासना मे मांग है, प्रेम मे अधिकार। वासना एक अँग पर केन्द्रित होती है, प्रेम पूरे अस्तित्व पर। वासना हिंसा की ओर प्रेरित करती है, प्रेम बलिदान की ओर इत्यादि।
इसी लिए सिकंदर ने कहा था कि “'प्यार एक भूत की तरह है, जिसके बारे में बातें तो सभी करते हैं, पर इसके दर्शन बहुत कम लोगों को हुए हैं।”
जब भी आप को लगे कि आप को किसी से प्यार हों गया है तो सबसे पहले आप अपने से ही सवाल करें कि क्या यह सचमे प्यार है ? आप अपने घर के बडो से मशविरा भी कर सकते हैं | हाँ घर के बड़ों को इस काबिल बनना होगा कि उनके बच्चों को यह न लगे कि माता पिता प्यार के दुश्मन हैं औअर बेवजह के सामाजिक बंधनों पे अधिक यकीन रखते हैं |
यहाँ तक कि यदि आपका बच्चा जवानी के जोश में कोई गलती कर गया है और आप उसे जान गए हैं तो हाय तौबा मचाने की जगह अपने बच्चे को विश्वास में ले कर उसका सही मार्गदर्शन करें | प्यार और सेक्स को ऐसा गुनाह न समझ लें जिसकी कोई माफी नहीं |
आपका बच्चा जब आप पे विश्वास करेगा तभी वो आप से मशविरा भी करेगा |
और यदि कोई युवा गलत चुनाव कर ले तो उसे समझाया जाए न कि उसपे ज़ुल्म किया जाए और उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाए | बचपन से दी गयी सही परवरिश किसी भी युवा को यह तमीज अवश्य सिखा देती है कि उसका जीवन साथी कैसा हों? सही परवरिश के अभाव में युवा अपने ए जीवन साथी का चुनाव प्यार कम और वासना के वशीभूत हों के कर जाया करता है | आज के युग मे जो युवक युवतियां प्रेम की दुहाई दे कर अपने मां बाप को मानसिक यंत्रणा देते हैं | वह काम वासना युक्त प्रेम है।
आज फसबूक जैसी सोशल वेबसाइट पे प्यार हों जाया करता है जबकि वहाँ प्यार का कम और वासना का असर अधिक होता है | आज के दौर में प्यार फैशन की तरह हो गया है जिसे वक्त की दीमक जल्द ही खोखला कर देती है।
महात्मा गाँधी का मानना था कि “प्रेम कभी दावा नहीं करता, वह हमेशा देता है। प्रेम हमेशा कष्ट सहता है, न कभी झुंझलाता है और न ही कभी बदला लेता है।”
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन का यह अध्ययन न्यूरोइमेज पत्रिका में छपा था कि “शोधकर्ताओं ने यह भी पाया के जब दो प्यार करने वाले एक दुसरे के सामने आते हैं तो दिमाग़ में कुछ उन गतिविधियों पर अंकुश लग जाता है जो किसी को आलोचनात्मक नज़र से देखती हैं |लेकिन अनुसंधान से यह भी पता चला कि रोमांटिक और ममता से जुड़ी भावनाओं में एक बुनियादी फ़र्क़ है वो यह कि प्रेमी-प्रेमिका के दिमाग़ के उस हिस्से में भी गतिविधियाँ तेज़ हो जाती हैं जो सेक्स उत्तेजना से संबद्ध हैं |
आज के युग में खासकर के हमारे नौजवानों को वासना और प्रेम दोनो की गहराइयों को समझने कि आवश्यकता है | वासना से जुड़े प्रेमी समझते हैं कि दोनों एक दुसरे से प्यार करते हैं लेकिन यह प्यार नहीं होता इसलिए स्थाई भी नहीं होता |
वैसे भी जब एक अर्धनग्न युवती से किसी लड़के को इश्क होगा तो प्यार नहीं वासना ही होगा | यदि कोई युवक और युवती सच्चे प्यार कि तलाश में है तो अपने किरदार को बनाएँ और उसे लोगों के सामने पेश करें न कि अपने शरीर को |
वासना तनाव लाती है, प्रेम विश्वास लाता है। वासना मे मांग है, प्रेम मे अधिकार। वासना एक अँग पर केन्द्रित होती है, प्रेम पूरे अस्तित्व पर। वासना हिंसा की ओर प्रेरित करती है, प्रेम बलिदान की ओर इत्यादि।
इसी लिए सिकंदर ने कहा था कि “'प्यार एक भूत की तरह है, जिसके बारे में बातें तो सभी करते हैं, पर इसके दर्शन बहुत कम लोगों को हुए हैं।”
जब भी आप को लगे कि आप को किसी से प्यार हों गया है तो सबसे पहले आप अपने से ही सवाल करें कि क्या यह सचमे प्यार है ? आप अपने घर के बडो से मशविरा भी कर सकते हैं | हाँ घर के बड़ों को इस काबिल बनना होगा कि उनके बच्चों को यह न लगे कि माता पिता प्यार के दुश्मन हैं औअर बेवजह के सामाजिक बंधनों पे अधिक यकीन रखते हैं |
यहाँ तक कि यदि आपका बच्चा जवानी के जोश में कोई गलती कर गया है और आप उसे जान गए हैं तो हाय तौबा मचाने की जगह अपने बच्चे को विश्वास में ले कर उसका सही मार्गदर्शन करें | प्यार और सेक्स को ऐसा गुनाह न समझ लें जिसकी कोई माफी नहीं |
आपका बच्चा जब आप पे विश्वास करेगा तभी वो आप से मशविरा भी करेगा |