आज के इस युग में ऐसा नहीं कि अच्छे लोग नहीं लेकिन यह भी सत्य है कि अच्छाई और अच्छे लोगों को साथी कम ही मिला करते हैं | क्या कारण है कि बुरा...
आज के इस युग में ऐसा नहीं कि अच्छे लोग नहीं लेकिन यह भी सत्य है कि अच्छाई और अच्छे लोगों को साथी कम ही मिला करते हैं | क्या कारण है कि बुराई के साथी बहुत होते हैं और अच्छाई ? मुझे तो एक ही कारण नज़र आता है कि सत्य कि राह में तकलीफ ,परेशानियां और अकेलापन है और असत्य, भ्रष्टाचार कि राह में आराम , शोहरत और साथियों का हुजूम है |
मैं हमेशा कहा करता हूँ कि यदि आप सत्य कि राह पे नहीं चल पा रहे हैं तो कम से कम असत्य और बुराई का साथ तो न दो | यदि हर इंसान खुद को बुराई का साथ देने से भी बचा सके तब भी इस समाज में अच्छाई जीवित रह सकती है |
आज के इस युग में सबसे बड़ी मुश्किल यह है अकी अच्छाई और बुराई या ऐसा कह लें कि अच्छे और बुरे लोग कुछ इस तरह से एक दुसरे में मिल जुल गए हैं कि क्या अच्छा है क्या बुरा ? कौन अच्छा है कौन बुरा ? इस बात का फैसल करना भी मुश्किल होता जा रहा है |
इसी मुश्किल को हल करने के लिए पुराने समय में लोग एक दुसरे को अच्छे लोगों कि कहानियां सुनाया करते थे और सत्य जीवित रहता था | आज का बच्चा जब इन कहानियों को सुनता है तो सोंचता है क्या ऐसा अच्छा बनना संभव है ? उसे लगता है इस युग में यह संभव नहीं है और वो बस उसे कहानियों कि तरह से सुन के भुला देता है |
कहा जाता है कि शैतान सीधे रास्ते पे बैठता है | मतलब यह कि यदि आप चोरी करने ,शराब पीने , भ्रष्ट का साथ देने , रिश्वत लेने , जा रहे हैं तो आप के खिलाफ कोई किसी का कान नहीं भरेगा , कोई आप को धमकी नहीं देगा, लेकिन यदि आप भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने जा रहे हैं, सत्य के बारे में लोगों को बता रहे हैं तो आप को धमकी भी मिल सकती है, आप को लोगों का साथ भी कम ही मिलेगा और आप के खिलाफ लोगों का कान भी भरा जाएगा क्यों कि असत्य के पुजारी को किसी भी तरह से सत्य कि राह पे चलने वालों का अंत करना है |
अधिकतर यह कान भरने वाले सफ़ेद पोश हुआ करते हैं और खुद की समाज में झूट और फरेब के सहारे एक अच्छी छवि बना के रखते हैं | लोग इनके गुमराह करने में आ जाते हैं और सत्य कि राह पे चलने वाले को ही ग़लत समझने लगते हैं | सत्य कमज़ोर अवश्य पद जाया करता है लेकिन सत्य की उम्र अधिक हुआ करती हैं और झूट की उम्र कम होती है |
सत्य की राह पे चलने वालों को यह पहले से समझ लेना चाहिए कि क़ुरबानी देनी होगी, और अकेले ही यह लड़ाई लड़नी होगी |
आज का भ्रष्ट जब हज़ारों इंसानों का हक मार के करोणों कमाता है तो मंदिर ,रौज़े पे जा के करोणों दान भी कर आता है |
क्यों यह असत्य और जुल्म का पुजारी सत्य कि राह पे चलने वालों के चरणों में दान देता है? केवल इसी कारण से कि उसके दान देने से समाज के लोग उसी दानी समझेंगे | भ्रष्ट की यह सोंच खुद यह बता रही है कि इज्ज़त भी सत्य की राह में है, ताकत भी सत्य की राह पे चलने में है और नाम भी सत्य की राह पे चलने में है | बस आवश्यकता है सत्य को पहचानने की , सत्य और असत्य का अंतर समझने कि और सत्य की राह पे चलने वालों का साथ देने की | जिस दिन ऐसा हों गया उसी दिन दुष्टता और धूर्त की हार हों जाएगी |
सत्य की राह में तकलीफ ,परेशानियां और अकेलापन है और असत्य, भ्रष्टाचार कि राह में आराम , शोहरत और साथियों का हुजूम है |
लेकिन सत्य कि राह पे चलने वाले हमेशा याद किये जाते हैं और लोगों के दिलों में मुहब्बत की शक्ल में जीवित रहते हैं और असत्य की राह पे चलने वाले की म्रत्यु उसके इस संसार से जाने के तुरंत बाद हों जाया करती है |
इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने परिवार की क़ुरबानी दे दी केवल सत्य को बचाने के लिए और उसके परिवार को खत्म करवाने वाला था एक ज़ालिम यजीद |
आज लोग अपने बच्चों का नाम यजीद रखना पसंद नहीं करते और हुसैन नाम रखने में शान समझते हैं | आज हुसैन का नाम हर धर्म वाला इज्ज़त से लिया करता है |
इस सुबूत है कि सत्य आज भी १४०० साल बाद जिंदा है जिसे हुसैन बचा गए |
सत्यमेव जयते
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