जी हाँ इस ब्लॉगजगत में जितने भी ब्लोगर हैं उनके लिखने का कोई न कोई करण अवश्य हुआ करता है | कभी कभी कारण के साथ साथ कोई न कोई मकसद भी जुड ...
जी हाँ इस ब्लॉगजगत में जितने भी ब्लोगर हैं उनके लिखने का कोई न कोई करण अवश्य हुआ करता है | कभी कभी कारण के साथ साथ कोई न कोई मकसद भी जुड जाया करता है | अक्सर कवी ब्लोगर का कोई मकसद नहीं हुआ करता वो तो बस अपनी कविता दूसरों तक पहुंचा के खुशी महसूस करता है | हाँ अपनी कविताओं के ज़रिये अपने खयालातों का इज़हार करने में भी वो खुशी महसूस करता है |
इस ब्लोगिंग के सहारे से समाज को बदला भी जा सकता है और बिगाड़ा भी जा सकता है | आपकी लेखनी ईमानदार है तो आप समाज के बारे में सोंचते हुए सही बात पेश करेंगे और यदि आप का मकसद लोगों को खुश करना है, या अधिक टिपण्णी लेना हैं या टिपण्णी माफिया बनना है या कुछ धन कमाने का इरादा है तो आप कि लेखनी में ईमानदारी नहीं होगी और केवल टाइम पास ब्लोगर बन के आप रह जाएंगे | ऐसे ब्लोगर समय के साथ साथ भुला भी दिए जाते हैं |मैंने जब ब्लोगिंग करने का इरादा किया था तो सबसे पहले यही सोंचा कि इतना समय दे के क्या मिलेगा ? इज्ज़त और वाह वाही तो समाज में मुझे ऊपर वाले कि कृपा से इतनी मिली कि उसका कोई खास शौक नहीं रहा | तब मैंने इरादा किया कि ऐसे विषयों पे लिखो जिस से समाज का कुछ भला हों | बात सच्ची कहो जिससे लोगों के सामने यह ब्लॉग एक आइना बन सके | मैंने हमेशा अपने ब्लॉग से यही कोशिश कि के समाज के सही चेहरे को पेश करूँ , समाज की ऐसी हकीक़तों को पेश करूँ जिसे समझते सब हैं लेकिन कुबूल कम ही किया करते हैं |
सामाजिक सरोकारों से जुड के लिखना इतना आसान नहीं होता बहुतों से नाराज़गी भी लेनी होती है | आप के साथी अधिक दिनों तक साथ नहीं देते | क्यों कि सच कड़वा होता है | समय के साथ साथ आपके साथ केवल वही खड़े रह जाते हैं जो खुद भी ईमानदार होते हैं|
अक्सर मैंने बाहरी समाज की समस्याओं के साथ साथ ब्लॉगजगत के बिगड़ते स्वरुप ,इसमें नफरत के बीज बोने वालों के खिलाफ भी लिखा | टिपण्णी माफियाओं के बारे में भी लिखा जिन्होंने ने ब्लोगिंग का नक्शा और मकसद ही बिगाड़ के रख दिया है |
क्योंकि मैं समाज में या ब्लॉगजगत में आने वाली बुराईयों के खिलाफ लिखता हूँ इसलिए किसी को भी नाम से निशाना नहीं बनाता | नफरत बुराई से करो न कि किसी इंसान से | किसी बुरे इंसान में से यदि बुराई का अंत हों जाये वो वही इंसान प्यार के काबिल हों जाया करता है |
बहुत ही कम समय में मेरे ब्लॉग “अमन का पैगाम “ को बहुत सराहा गया और मुझे इस ब्लॉगजगत ने बहुत से अच्छे मित्र भी दिए | हाँ बहुत से ब्लोगर जिनको सच सुनना अच्छा नहीं लगता या जो समाज में अमन और शांति की कोशिश करने को अपना नुकसान समझते हैं मुझसे दूर होते गए |
यह बहुत ही खुशी कि बात है कि इस ब्लॉगजगत में ऐसे बहुत से ब्लोगर माजूद हैं जो इस ब्लॉगजगत को हर रोज कुछ न कुछ अवश्य देते हैं | लेकिन दुःख की बात यह है कि ऐसे ब्लोगरों के उत्साह को बढ़ाने वाले कम ही हुआ करते हैं |
वैसे भी इस समाज का तरीका है कि आप नेकी कि दावत दो लोगों को, अच्छे काम को करने के लिए बुलाओ तो आप को साथी कम ही मिलेंगे लेकिन किसी बुरी काम कि दावत दो, पीने वीने कि दावत देने लगो तो मज़े करने के लिए बहुत से साथी मिल जाया करते हैं |
लेकिन सच तो सच हुआ करता है | यदि आप की लेखनी आपके ब्लोगिंग के जीवनकाल में ,इस समाज में रहने वाले किसी एक इंसान को भी फायदा पहुंचा गयी तो समझ लीजे कि आप का जीवन सफल हों गया | यही एक कामयाब ब्लोगर कि पहचान हुआ करती है |
मैं भी बस यही कोशिश किया करता हूँ कि मेरी लेखनी से इस समाज में रहने वाले लोगों का भला हों | इस कोशिश में कितना कामयाब हों सका हूँ यह तो पाठक ही बता सकते हैं लेकिन इरादा पक्का है कि जब तक लिखता रहूँगा केवल जनहित में ही लिखूंगा |