हमारे समाज को बनाने में ऐसे लोगों की भूमिका हमेशा से अहम रही है जो लोगों को सत्य और असत्य , सही और गलत ,बुरा और अच्छे का फर्क समझाते रहते ...
हमारे समाज को बनाने में ऐसे लोगों की भूमिका हमेशा से अहम रही है जो लोगों को सत्य और असत्य , सही और गलत ,बुरा और अच्छे का फर्क समझाते रहते हैं | यदि ऐसा न हों तो इस समाज में लोगों का अमन और चैन से रहना मुश्किल हों जाए | एक बच्चा जब बड़ा होता है तो अपने बड़े बूढों से सुन के सीखता है, चोरी करना गलत है, झूट न बोलो, किसी का हक न मारो और जब वो बड़ा हों जाता है समाज में उठने बैठने लगता है तो समाज के लोगों को बुराईयों के खिलाफ अभियान चलाते देख के सही और गलत का अंतर सीखता है | इसके साथ साथ वो समाज के कानून को भी जानने लगता है जहाँ से गलत काम करने वालों को कैसे रोका जा सकता है यह सीखता है |
आज हम जिस समाज में रह रहे हैं वहाँ एक नया नियम देखने को मिलने लगा है कि जिसे जो करना है उसे करने दो तुम अपनी दुनिया में खुश रहो | कोई चोरी कर रहा है तो करने दो, कोई जालसाज़ी कर रहा है तो करने दो ,कोई बेवकूफ बना के लोगों को लूट रहा है तो लूटने दो| हमसे क्या लेना देना | लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लूट और जालसाजी के खिलाफ जागरूकता पैदा करने को अब सही नहीं समझा जाता | और यदि कोई ऐसा करता है तो उसको सहयोग कि जगह नसीहत मिला करती है कि क्यों कूद पड़े झमेले में? और यही हमारा आज का मिज़ाज इस समाज को और अधिक भ्रष्ट बनाता जा रहा है और इसी कारण लोगों में हक का साथ खुल के देने कि हिम्मत और चाह दोनों खत्म होती जा रही है |
यही कारण है कि इस समाज में एक और कोई भूखा सोता है तो वही पास में कहीं लाखों कि पार्टी हों रही होती है जहां खाना खाया कम जाता है और शान दिखा के फेका अधिक जाता है | सड़कों में किसी कमज़ोर को मार खाते देख आज कोई नहीं बचाता | ऐसे पास से निकल जाते हैं जैसे कुछ हों ही न रहा हों और ऐसे में बदमाशों कि हौसलाअफजाई जान बूझ के करते हैं | रिश्तेदारों में भी गरीब या सीधा रिश्तेदार कुछ गलत कर जाये तो सभी लगते हैं नसीहत करने अमीर या दबंग रिश्तेदार की बुराई को भी देख के अनदेखा कर दिया जाता है |
ब्लॉगजगत में भी आप देख सकते हैं कि टिपण्णी पाने कि लालच टिपण्णी करते तो बहुत मिल जाएंगे लेकिन सामाजिक सरोकारों पे लिखी किसी पोस्ट के २-४ से अधिक टिपण्णी नहीं मिला करती | समाज में जो भी हों रहा है हमसे क्या हम कोई पैगम्बर या भगवान के अवतार नहीं हैं | हमें तो केवल अपना फायदा ही देखना है जैसी सोंच समाज के लिए घातक बनती जा रही है|
यही कारण है कि चोरों के गिरोह आज बड़े होते और मज़बूत होते जा रहे हैं तथा शरीफों के गिरोह टूटते और कमज़ोर होते जा रहे हैं | धर्म भी अब इस समाज में रहने वालों को सही या गलत बताने में समर्थ नहीं रहा क्योंकि उसपे इमानदारी से चलने वाले अब कम ही रह गए हैं |
हमारा सामाजिक सुरक्षा कवच कमज़ोर होता जा रहा है क्योंकि समाज के सुरक्षा कवच समाज में रहने वाले वही लोग हैं जो हक और बातिल का अंतर लोगों के बताते रहते हैं और बुराई के खिलाफ निडर हो के आवाज़ उठाते हैं|
यह हर इंसान का पहला धर्म है कि वो सत्य का साथ दे| आप यदि आज इस समाज में रहते किसी मजबूरी के कारण बहुत नेक काम नहीं कर पा रहे हैं तो कोई बात नहीं ,कम से कम नेक काम करने वालों का, हक के लिए आवाज़ उठाने वालों का साथ तो दे सकते हैं और यदि इतना भी नहीं कर पाते हैं तो कम से कम बुराई और गलत काम करने वालों का बेवजह की लालचों में आ के साथ देने से तो खुद को रोक ही सकते हैं |
अभी कुछ दिनों पहले जिओग्राफी चैंनल पे एक प्रोग्राम देख रहा था जिसमे दिखाया जा रहा था कि कुछ हंस दरिया किनारे झुण्ड में अपने अन्डो पे बैठे बच्चे निकलने का इन्तेज़ार कर रहे हैं कि एक कौवा आता है एक हंस को परेशां करके उसे भगाता है फिर उसके अंडे खा जाता है वंही हर २-२ फीट कि दूरी पे हज़ारों हंस के जोड़े बैठे थे लेकिन किसी ने उस कौवे को नहीं रोका | नतीजा यह हुआ कि एक के बाद एक वो कौवा सभी के अंडे खाता गया जब तक कि उसका पेट न भर गया और फिर दूसरा कौवा यही काम करने लगा |
एक कौवा हज़ारों हंस के झुण्ड में जाके उनके अंडे आसानी से इसलिए खा गया इसलिए कि उन हँसो का मिज़ाज यही था कि हमसे क्या मतलब यह तो सामने वाले हंस कि परेशानी है | वो यह भूल गए थे कि उनकी बारी भी आ सकती है |
आज हम भी ऐसे ही समाज का निर्माण करते जा रहे हैं| क्या आप भी ऐसे हंसों जैसा समाज बनाना चाहते हैं? यदि नहीं तो भ्रष्टाचार और बुराई के खिलाफ आवाज़ उठाना सीख लें वरना आज इसकी बारी तो कल उसकी बारी आएगी |
आपकी लेखनी में यदि दम है तो इसका इस्तेमाल समाज के हित में करें | इस ब्लॉगजगत में खुद की खुशी के लिए लिखने वाले बहुत हैं और ऐसा करने में कोई हर्ज भी नहीं लेकिन मेरा माना है कि सामाजिक सरोकारों से जुडके हक और सत्य का साथ देने वाले ब्लोगरों की आवश्यकता आज अधिक है |