जी हाँ जनाब यह एक ऐसा एहसास है जो अक्सर लोगों को कुछ खास पसंदीदा काम करने में आता है. नेक इंसान को किसी की मदद करने में फील गुड का एहसास ...
जी हाँ जनाब यह एक ऐसा एहसास है जो अक्सर लोगों को कुछ खास पसंदीदा काम करने में आता है. नेक इंसान को किसी की मदद करने में फील गुड का एहसास होता है तो बुरे इंसान को लूट,चोरी,बुराई इत्यादि बुरे काम करने में यह एहसास पैदा हुआ करता है.
आज के समाज में इंसान अकेलेपन का शिकार होता जा रह है. यह सत्य है की महानगरों में व्यस्त जीवन के कारण इंसान अकेलेपन का शिकार हुआ करता है लेकिन व्यस्तता अकेले ही इसका कारण नहीं. आज के रिश्तों में ईमानदारी की कमी, दिखावा, खुदगर्जी ओर मौकापरस्ती भी लोगों के अकेलेपन का एक बड़ा कारण है. आज एक इंसान अपने जैसे किसी दुसरे इंसान से अपना दुःख दर्द बांटते हुए डरता है क्यों की मदद मिलने की जगह बेईज्ज़ती होने की आशंका अधिक हुआ करती है. आज के युग में वोह खुशकिस्मत है जिसे भरोसेमंद ईमानदार दोस्त रिश्तेदार ओर मददगार पड़ोसी मिल जाए.
ऐसे समाज में रहने वाला इंसान अब आभासी दुनिया का सहारा अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए लेने लगा है . सोशल वेबसाईट की कामयाबी का राज़ भी यही है की अकेलेपन के मारे इस इंसान को वहाँ जा के फील गुड का एहसास होता है. जहां इस समाज में एक दोस्त बना पाना मुश्किल हुआ करता है वहीं इन सोशल वेबसाइटों पे वो हजारों मित्र बना लेता है ओर उनसे बातें कर के अपने लेख तसवीरें इत्यादि दिखा के खुश हो लेता है. गौर ओ फ़िक्र की बात यह है की यदि हर इंसान इस समाज में फील गुड के एहसास को पा लेना चाहता है तो ऐसी क्या मजबूरी है की उसे वास्तविक दुनिया से आभासी दुनिया की ओर रुख करने पे मजबूर होना पड़ रह है?
कहीं न कहीं यह हम सब की ही एक बड़ी कमी है और इसे दूर करने के लिए हम सभी को अपने रिश्तों में ईमानदारी लानी होगी और अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों को भी ईमानदारी से निभाना होगा.
आज के समाज में इंसान अकेलेपन का शिकार होता जा रह है. यह सत्य है की महानगरों में व्यस्त जीवन के कारण इंसान अकेलेपन का शिकार हुआ करता है लेकिन व्यस्तता अकेले ही इसका कारण नहीं. आज के रिश्तों में ईमानदारी की कमी, दिखावा, खुदगर्जी ओर मौकापरस्ती भी लोगों के अकेलेपन का एक बड़ा कारण है. आज एक इंसान अपने जैसे किसी दुसरे इंसान से अपना दुःख दर्द बांटते हुए डरता है क्यों की मदद मिलने की जगह बेईज्ज़ती होने की आशंका अधिक हुआ करती है. आज के युग में वोह खुशकिस्मत है जिसे भरोसेमंद ईमानदार दोस्त रिश्तेदार ओर मददगार पड़ोसी मिल जाए.
ऐसे समाज में रहने वाला इंसान अब आभासी दुनिया का सहारा अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए लेने लगा है . सोशल वेबसाईट की कामयाबी का राज़ भी यही है की अकेलेपन के मारे इस इंसान को वहाँ जा के फील गुड का एहसास होता है. जहां इस समाज में एक दोस्त बना पाना मुश्किल हुआ करता है वहीं इन सोशल वेबसाइटों पे वो हजारों मित्र बना लेता है ओर उनसे बातें कर के अपने लेख तसवीरें इत्यादि दिखा के खुश हो लेता है. गौर ओ फ़िक्र की बात यह है की यदि हर इंसान इस समाज में फील गुड के एहसास को पा लेना चाहता है तो ऐसी क्या मजबूरी है की उसे वास्तविक दुनिया से आभासी दुनिया की ओर रुख करने पे मजबूर होना पड़ रह है?
कहीं न कहीं यह हम सब की ही एक बड़ी कमी है और इसे दूर करने के लिए हम सभी को अपने रिश्तों में ईमानदारी लानी होगी और अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों को भी ईमानदारी से निभाना होगा.