यदि भ्रष्टाचार गुनाह होता तो आप के देश का कानून भ्रष्ट लोगों को अपनी गिरफ्त मैं अवश्य ले लेता लेकिन कानून भी क्या करे जब भ्रष्टाचार आज रिवा...
यदि भ्रष्टाचार गुनाह होता तो आप के देश का कानून भ्रष्ट लोगों को अपनी गिरफ्त मैं अवश्य ले लेता लेकिन कानून भी क्या करे जब भ्रष्टाचार आज रिवाज बन चुका है. आसानी से काम करवा लेने के लिए रिश्वत लेना और रिश्वत देना अब एक आम सी बात हो गयी है. अब इसे ना तो बुरा समझा जाता है और ना ही यह गुनाह कि श्रेणी मैं नहीं आता है.
आज हम सभी भारतीय शान से अपने नेताओं को वोट देते हैं ,जिन्होंने इलक्शन मैं अपने प्रचार के लिए करोडो खर्च किये.यह प्रचार के लिए धन आया कहां से? अब यह सवाल बहुत कम किए जाते हैं. क्यों कि यह सब एक आम सी बात हो गयी है. आज इन्ही नेताओं के नाम पे हजारों करोणों कि घपलेबाजी के इलाज़मात लगते हैं और इतने लगे कि अन्ना हजारे और रामदेव जैसों को सबसे पहले इन्ही नेताओं को गिरफ्त मैं लेना पड़ा. लेकिन यह भी यकीन रखें कि अगले एलक्शन मैं फिर वही नेता जीत के आएँगे. क्यों? क्यों कि आम इंसान ने भ्रष्टाचार को रिवाज और उसको अपनाना अपनी किस्मत मान लिया है.
बाबा रामदेव को भी कालेधन के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए सही साथी ना मिल सके. यह भी मान लेना उचित नहीं कि केवल सत्ताधारी पार्टी ही भ्रष्टाचार मैं लिप्त है और विरोधी दल नहीं. लेकिन यह राजनितिक पार्टियाँ भ्रष्टाचार हटाओ जैसी आवाज़ उठाने वालों का इस्तेमाल अपने फाएदे के लिए बखूबी करती नज़र आ रही हैं. आम जनता को तो फिलहाल भ्रष्टाचार ख़त्म होने के कोई असार दिखाई नहीं देते.
आज ऐसा क्या है कि हर मान बाप अपने बेटे को डाक्टर या इंजिनियर तो बनाना चाहते हैं लेकिन नेता नहीं बनाना चाहते? अब तो नेता कुछ पुराने नेताओं के लायक के बेटे बनते हैं या आम आदमी के नालायक बेटे ही बनते हैं. अक्सर लोग कहते पाए गए हैं भाई वोट दें तो किसको दें सब एक जैसे हैं ,मजबूरी है ,किसी को तो वोट देना है. यह जो कहा जाता है कि सब एक जैसे हैं यही सुबूत है कि आज भ्रष्टाचार रिवाज बन गया है और आम इंसान उस रिवाज को अपनाने के लिए मजबूर. आज कहीं भी आप मकान लेने जाएँ तो दलाल कहेगा भाई कुछ व्हाइट और कुछ ब्लैक देना होगा. और घर लेने वाला भी इस बात को जानता है. बड़े आराम से सर हिला देता है मंज़ूर है.
इस बार जब वतन गया तो एक रेलवे स्टेशन पे बेकार सी चाए ६ रुपये मैं पीने के बाद बड़ा बुरा लगा कि पैसे भी दो और चाए भी ढंग कि नहीं मिली. मैंने उस चाए वाले से पूछा भाई ६ रुपये लेने पे भी चाए मैं ना दूध ना चाए कि पट्टी. उसका जवाब था भाई रेलवे प्लेटफार्म पे चाए बेचने के लिए ३ जगह कमीशन देना होता है ६ रूपए मैं १ रुपया ही मुझे मिलता है बाकी सब बंट जाता है. अब बढ़िया दूध और चाय कि पत्ती डाल दूं तो मैं क्या खाऊंगा?
आज का बच्चा भी अपने दिलों पे राज करने वाले हीरो को हाथ मैं बड़े बड़े हथियारों के साथ ही देखना पसंद करता है. सत्य कि राह पे चलने और अहिंसा के उपदेशक अब नौजवानों के दिलों पे राज नहीं किया करते. ऐसे मैं जहां भ्रष्टाचार रिवाज बन गया है और उसको मानना हमारी मजबूरी ,अन्ना हजारे जैसे लोग कितना कामयाब होते हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन इतना तो है कि कम से कम किसी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ तो उठाई.
मैं भी मानता हूँ कि यह भ्रष्टाचार एक दिन मैं ख़त्म होने वाला नहीं, यह आप भी जानते हैं कि इतना आसान नहीं इस समाज से भ्रष्टाचार का ख़त्म हो पाना लेकिन यह भी सच है कि जिस दिन कोई इंसान सच्चे दिल से उठ खड़ा हुआ उसकी आवाज़ जनता तक अवश्य जाएगी क्यों कि जो आवाज़ मुह से निकलती है कानो तक जाती हैं और जो दिल से निकलती है दिलों तक जाती है.
आज हम सभी भारतीय शान से अपने नेताओं को वोट देते हैं ,जिन्होंने इलक्शन मैं अपने प्रचार के लिए करोडो खर्च किये.यह प्रचार के लिए धन आया कहां से? अब यह सवाल बहुत कम किए जाते हैं. क्यों कि यह सब एक आम सी बात हो गयी है. आज इन्ही नेताओं के नाम पे हजारों करोणों कि घपलेबाजी के इलाज़मात लगते हैं और इतने लगे कि अन्ना हजारे और रामदेव जैसों को सबसे पहले इन्ही नेताओं को गिरफ्त मैं लेना पड़ा. लेकिन यह भी यकीन रखें कि अगले एलक्शन मैं फिर वही नेता जीत के आएँगे. क्यों? क्यों कि आम इंसान ने भ्रष्टाचार को रिवाज और उसको अपनाना अपनी किस्मत मान लिया है.
बाबा रामदेव को भी कालेधन के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए सही साथी ना मिल सके. यह भी मान लेना उचित नहीं कि केवल सत्ताधारी पार्टी ही भ्रष्टाचार मैं लिप्त है और विरोधी दल नहीं. लेकिन यह राजनितिक पार्टियाँ भ्रष्टाचार हटाओ जैसी आवाज़ उठाने वालों का इस्तेमाल अपने फाएदे के लिए बखूबी करती नज़र आ रही हैं. आम जनता को तो फिलहाल भ्रष्टाचार ख़त्म होने के कोई असार दिखाई नहीं देते.
आज ऐसा क्या है कि हर मान बाप अपने बेटे को डाक्टर या इंजिनियर तो बनाना चाहते हैं लेकिन नेता नहीं बनाना चाहते? अब तो नेता कुछ पुराने नेताओं के लायक के बेटे बनते हैं या आम आदमी के नालायक बेटे ही बनते हैं. अक्सर लोग कहते पाए गए हैं भाई वोट दें तो किसको दें सब एक जैसे हैं ,मजबूरी है ,किसी को तो वोट देना है. यह जो कहा जाता है कि सब एक जैसे हैं यही सुबूत है कि आज भ्रष्टाचार रिवाज बन गया है और आम इंसान उस रिवाज को अपनाने के लिए मजबूर. आज कहीं भी आप मकान लेने जाएँ तो दलाल कहेगा भाई कुछ व्हाइट और कुछ ब्लैक देना होगा. और घर लेने वाला भी इस बात को जानता है. बड़े आराम से सर हिला देता है मंज़ूर है.
इस बार जब वतन गया तो एक रेलवे स्टेशन पे बेकार सी चाए ६ रुपये मैं पीने के बाद बड़ा बुरा लगा कि पैसे भी दो और चाए भी ढंग कि नहीं मिली. मैंने उस चाए वाले से पूछा भाई ६ रुपये लेने पे भी चाए मैं ना दूध ना चाए कि पट्टी. उसका जवाब था भाई रेलवे प्लेटफार्म पे चाए बेचने के लिए ३ जगह कमीशन देना होता है ६ रूपए मैं १ रुपया ही मुझे मिलता है बाकी सब बंट जाता है. अब बढ़िया दूध और चाय कि पत्ती डाल दूं तो मैं क्या खाऊंगा?
आज का बच्चा भी अपने दिलों पे राज करने वाले हीरो को हाथ मैं बड़े बड़े हथियारों के साथ ही देखना पसंद करता है. सत्य कि राह पे चलने और अहिंसा के उपदेशक अब नौजवानों के दिलों पे राज नहीं किया करते. ऐसे मैं जहां भ्रष्टाचार रिवाज बन गया है और उसको मानना हमारी मजबूरी ,अन्ना हजारे जैसे लोग कितना कामयाब होते हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन इतना तो है कि कम से कम किसी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ तो उठाई.
मैं भी मानता हूँ कि यह भ्रष्टाचार एक दिन मैं ख़त्म होने वाला नहीं, यह आप भी जानते हैं कि इतना आसान नहीं इस समाज से भ्रष्टाचार का ख़त्म हो पाना लेकिन यह भी सच है कि जिस दिन कोई इंसान सच्चे दिल से उठ खड़ा हुआ उसकी आवाज़ जनता तक अवश्य जाएगी क्यों कि जो आवाज़ मुह से निकलती है कानो तक जाती हैं और जो दिल से निकलती है दिलों तक जाती है.