जैसा कि मैं हमेशा कहता रहता हूँ कि इस अमन का पैग़ाम से हमेशा उन मुद्दों पे बात होती है जिनसे समाज मैं असंतुलन पैदा होता हो और नतीजे मैं शां...
जैसा कि मैं हमेशा कहता रहता हूँ कि इस अमन का पैग़ाम से हमेशा उन मुद्दों पे बात होती है जिनसे समाज मैं असंतुलन पैदा होता हो और नतीजे मैं शांति भंग होती हो.
मेरा यह मानना है कि समाज मैं जो भी बुराइयां मौजूद हैं, भ्रष्टाचार या अन्याय हो रहा है वो गलत है. उसे पूरी तरह से मिटाना तो संभव शायद ना हो लेकिन हर इंसान को यह कोशिश करनी चाहिए कि उसमें कमी हो जाए. हाँ अन्याय ,भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराईयों, कुरीतिओं के खिलाफ बोलने पे आप का विरोध तो अवश्य होगा लेकिन आप कामयाब तभी हो सकते हैं जब आप सत्य कि राह पे टिके रहे.
यह मेरा सौभाग्य है कि इस ब्लॉगजगत में मेरे उठाए मुद्दों का विरोध कम ही हुआ और मुझे सहयोग आशा से अधिक मिला. मैंने अपने एक लेख जब किसी ब्लोगर का लेख़ अखबारों मैं छपता है. और झूटी शान और सम्मान चक्कर से बाहर निकले ब्लॉगजगत मैं इस बात कि तरफ ध्यान दिलाने कि कोशिश कि थी कि इंसान इंसान यदि तारे कि ऊँचाई तक जाने का प्रयत्न करे तो तारे ना सही चंद्रमा कि ऊँचाई तक तो जा ही सकता है. लेकिन जो लोग केवल बल्ब कि रौशनी मिलने पे इस ज़रा सी ऊंचाई तक पहुँचते ही खुश हो जाया करते हैं वो शायद अपने जीवन मैं अधिक ऊँचाई तक ना पहुँच सकें. इस लिए अच्छा लिखें और छोटे मोटे अख़बारों मैं या पत्रिका मैं लेख छप जाने को अपने कामयाबी ना जाने. जिस दिन आपके लेख बड़े अखबार , पड़ी पत्रिकाओं मैं खुद छपने लगेंगे आप को पैसा भी मिलेगा और विश्व मैं पहचान भी. अपने इस ब्लॉग जगत मैं ऐसी ऊँचाई को छूने वाले बहुत हैं. ऐसा होने के लिए यकीनन आप को अच्छा लिखना और पढना पढ़ेगा .
कल पेश किए अपने लेख हिंदी ब्लॉगजगत को निम्नस्तरीय ब्लोगिंग का लगा नशा मैं मैंने यह बात सामने लाने कि कोशिश कि थी कि क्या अच्छे लेखक और कवि बनने के लिए भी राजनीती कि आवश्यकता है? क्या आप के विचारों से असहमति जताने वालों को निम्नस्तर पे जा कर बेईज्ज़त करना आवश्यक हुआ करता है? क्या एक अच्छे ब्लोगर बनने के लिए गुट बनाना, झगडे करवाना, आवश्यक हुआ करता है? यह सब क्या समय और पैसे की बर्बादी नहीं?
सच यही है कि अच्छा ब्लोगेर बनने के लिए अच्छा लिखना , अच्छा पढना और अच्छे लिखे को इमानदारी से प्रोत्साहित करना ही आवश्यक होता बाकी जो भी हो रहा है सब फरेब है.
इस पोस्ट पे टिप्पणी बंद है यदि कुछ कहना है तो पिछली पोस्ट पे जा के अपने विचार प्रकट करें ,हमें ख़ुशी होगी.
हिंदी ब्लॉगजगत को निम्नस्तरीय ब्लोगिंग का लगा नशा
झूटी शान और सम्मान चक्कर से बाहर निकले ब्लॉगजगत
जब किसी ब्लोगर का लेख़ अखबारों मैं छपता है.
एक बार फिर मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने मेरे लेखों पे इमानदारी से अपने विचार प्रकट किए.
मेरा यह मानना है कि समाज मैं जो भी बुराइयां मौजूद हैं, भ्रष्टाचार या अन्याय हो रहा है वो गलत है. उसे पूरी तरह से मिटाना तो संभव शायद ना हो लेकिन हर इंसान को यह कोशिश करनी चाहिए कि उसमें कमी हो जाए. हाँ अन्याय ,भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराईयों, कुरीतिओं के खिलाफ बोलने पे आप का विरोध तो अवश्य होगा लेकिन आप कामयाब तभी हो सकते हैं जब आप सत्य कि राह पे टिके रहे.
यह मेरा सौभाग्य है कि इस ब्लॉगजगत में मेरे उठाए मुद्दों का विरोध कम ही हुआ और मुझे सहयोग आशा से अधिक मिला. मैंने अपने एक लेख जब किसी ब्लोगर का लेख़ अखबारों मैं छपता है. और झूटी शान और सम्मान चक्कर से बाहर निकले ब्लॉगजगत मैं इस बात कि तरफ ध्यान दिलाने कि कोशिश कि थी कि इंसान इंसान यदि तारे कि ऊँचाई तक जाने का प्रयत्न करे तो तारे ना सही चंद्रमा कि ऊँचाई तक तो जा ही सकता है. लेकिन जो लोग केवल बल्ब कि रौशनी मिलने पे इस ज़रा सी ऊंचाई तक पहुँचते ही खुश हो जाया करते हैं वो शायद अपने जीवन मैं अधिक ऊँचाई तक ना पहुँच सकें. इस लिए अच्छा लिखें और छोटे मोटे अख़बारों मैं या पत्रिका मैं लेख छप जाने को अपने कामयाबी ना जाने. जिस दिन आपके लेख बड़े अखबार , पड़ी पत्रिकाओं मैं खुद छपने लगेंगे आप को पैसा भी मिलेगा और विश्व मैं पहचान भी. अपने इस ब्लॉग जगत मैं ऐसी ऊँचाई को छूने वाले बहुत हैं. ऐसा होने के लिए यकीनन आप को अच्छा लिखना और पढना पढ़ेगा .
कल पेश किए अपने लेख हिंदी ब्लॉगजगत को निम्नस्तरीय ब्लोगिंग का लगा नशा मैं मैंने यह बात सामने लाने कि कोशिश कि थी कि क्या अच्छे लेखक और कवि बनने के लिए भी राजनीती कि आवश्यकता है? क्या आप के विचारों से असहमति जताने वालों को निम्नस्तर पे जा कर बेईज्ज़त करना आवश्यक हुआ करता है? क्या एक अच्छे ब्लोगर बनने के लिए गुट बनाना, झगडे करवाना, आवश्यक हुआ करता है? यह सब क्या समय और पैसे की बर्बादी नहीं?
सच यही है कि अच्छा ब्लोगेर बनने के लिए अच्छा लिखना , अच्छा पढना और अच्छे लिखे को इमानदारी से प्रोत्साहित करना ही आवश्यक होता बाकी जो भी हो रहा है सब फरेब है.
इस पोस्ट पे टिप्पणी बंद है यदि कुछ कहना है तो पिछली पोस्ट पे जा के अपने विचार प्रकट करें ,हमें ख़ुशी होगी.
हिंदी ब्लॉगजगत को निम्नस्तरीय ब्लोगिंग का लगा नशा
झूटी शान और सम्मान चक्कर से बाहर निकले ब्लॉगजगत
जब किसी ब्लोगर का लेख़ अखबारों मैं छपता है.
एक बार फिर मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने मेरे लेखों पे इमानदारी से अपने विचार प्रकट किए.