हम इस संसार में रहते रहते हम क्रोध काम, इर्ष्या और लोभ के अधीन आसानी से हो जाते हैं और इसका कारण संयम का ना होना हुआ करता है. श्रेष्ठ व...
हम इस संसार में रहते रहते हम क्रोध काम, इर्ष्या और लोभ के अधीन आसानी से हो जाते हैं और इसका कारण संयम का ना होना हुआ करता है. श्रेष्ठ वही होता है जो संयम से जुड़ा हो और वही जीवन मैं शांति का कारण बन जाता है. हर इंसान कि समस्याएं और भीतर कि उथल पुथल एक जैसी ही हुआ करती हैं ,इसमें किसी मज़हब, देश का बंधन नहीं होता .
जब हम संयम का त्याग कर देते हैं तब हमारी जीवन रुपी ऊर्जा काम, क्रोध, लोभ ,इर्ष्या जैसे दुर्गुणों के कारण नष्ट होने लगती है. लेकिन यही ऊर्जा भले काम करते समय बढ़ने लगती है.इस ब्लॉगजगत मैं भी इन दुर्गुणों का असर देखने को मिलता है और इसके पीछे बहुत से ब्लोगर अपनी उर्जा को बेकार करते नज़र आते हैं.
जैसा कि मैंने हमेशा कहता रहा हूँ कि सबसे अधिक नफरत इस संसार मैं धर्म के सहारे ही फैलाई जाती रही है और आज भी यही तरीका बादस्तूर चालू है. जिस तरह हर किसी को अपना बच्चा अच्छा लगता है चाहे वो जैसा भी हो उसी प्रकार से हर किसी को उसका धर्म भी प्यारा होता है और वो उसको को हक और सच मान के अपनाता है.
इस समाज मैं यदि आप अमन और शांति चाहते हैं तो ना तो किसी के बच्चे कि कमियाँ निकालो और ना ही किसी के धर्म पे ऊँगली उठाओ. हर इंसान के लिए उसका खुदा, देवी देवता इश्वेर सच्चा है , झूठा समझ के तो कोई किसी कि ना तो पूजा करता है और ना इबादत. जब आप किसी के देवी देवता, इश्वेर ,अल्लाह पे ऊँगली उठाएंगे तो वो भी आप के देवी देवता, अल्लाह पे ऊँगली उठाएगा, चूंकि आप अपने अल्लाह , खुदा, देवी देवताओं को सच्चा समझते हैं, आप को तकलीफ भी पहुंचेगी और गुस्सा भी आएगा, आगे जा के बात नफरत मैं बदल जाएगी और नतीजा अशांति और जीवन कि उर्जा जो अच्छे कामों मैं इस्तेमाल हो सकती थी बेकार चली जाएगी.
इस ब्लॉगजगत मैं भी इस तरह कि बातें रोजाना देखने को मिलती हैं, कभी कोई जानबूझ कर , कभी अधिक टिप्पणी कि लालच मैं ,कभी मज़ा लेने के लिए, कभी साम्प्रदायिकता के नाम पे, कभी इर्ष्या वश ,कभी जज्बाती होने के कारण, कभी अज्ञानतावश, कभी गलतफहमी के कारण दूसरे के धर्म के बारे मैं अपशब्द बोलता नज़र आ ही जाता है. ऐसा करते समय वो यह नहीं सोंचता कि उसका यह काम लोगों मैं अशांति फैला रहा है. ज़रा ग़ौर से देखें क्या आप का किसी को बुरा भला कहना, किसी के धर्म को निशाना बना लेना केवल इस लिए कि आप को अधिक लोग पढ़ें,या टिप्पणी करें, सही है?
यह भी सत्य है कि जहाँ झगड़ो कि बातें होती हों, किसी धर्म को बुरा भला कहा जाता हो वहां दूसरे ब्लोगर्स भी अधिक जाने लगते हैं, कोई मज़ा लेता है कोई और आग लगा के चला आता है, कोई किसी सीधी सी टिप्पणी को ग़लत अर्थों मैं पेश करने कि कोशिश करता है. लेकिन क्यों? क्या समाज के प्रति आप कि कोई ज़िम्मेदारी नहीं?
यह सत्य है कि ऐसी पोस्ट डालने वालों के खिलाफ सामने से कोई भी बोलते डरता है, क्यों कि जैसे ही आपने उनका जवाब दिया आप को कुछ अनामी, कुछ बेनामी और कुछ नामी , घेर लेंगे और आप को ही कटघरे मैं खड़ा कर देंगे.
लेकिन ऐसे ब्लोगर कि इस ग़लतफ़हमी को दूर करना भी आवश्यक है कि विवादास्पत लेख़ लिखने से ही आप के ब्लॉग पे लोग अधिक आएइगे.
मुझे आशा है कि मेरे इस पैग़ाम को लोग समझेंगे, इस पे विचार करेंगे और अपनी जीवन कि उर्जा को काम, क्रोध, लोभ ,इर्ष्या जैसे दुर्गुणों के कारण बेकार करने कि जगह इस ब्लॉगजगत मैं कुछ अच्छा काम कर के अपनी उर्जा का सही इस्तेमाल करेंगे.
वहाँ शांति नहीं है जहां क्रोध है. ना अशांत रहें और ना दूसरों को अशांत करें.
जब हम संयम का त्याग कर देते हैं तब हमारी जीवन रुपी ऊर्जा काम, क्रोध, लोभ ,इर्ष्या जैसे दुर्गुणों के कारण नष्ट होने लगती है. लेकिन यही ऊर्जा भले काम करते समय बढ़ने लगती है.इस ब्लॉगजगत मैं भी इन दुर्गुणों का असर देखने को मिलता है और इसके पीछे बहुत से ब्लोगर अपनी उर्जा को बेकार करते नज़र आते हैं.
जैसा कि मैंने हमेशा कहता रहा हूँ कि सबसे अधिक नफरत इस संसार मैं धर्म के सहारे ही फैलाई जाती रही है और आज भी यही तरीका बादस्तूर चालू है. जिस तरह हर किसी को अपना बच्चा अच्छा लगता है चाहे वो जैसा भी हो उसी प्रकार से हर किसी को उसका धर्म भी प्यारा होता है और वो उसको को हक और सच मान के अपनाता है.
इस समाज मैं यदि आप अमन और शांति चाहते हैं तो ना तो किसी के बच्चे कि कमियाँ निकालो और ना ही किसी के धर्म पे ऊँगली उठाओ. हर इंसान के लिए उसका खुदा, देवी देवता इश्वेर सच्चा है , झूठा समझ के तो कोई किसी कि ना तो पूजा करता है और ना इबादत. जब आप किसी के देवी देवता, इश्वेर ,अल्लाह पे ऊँगली उठाएंगे तो वो भी आप के देवी देवता, अल्लाह पे ऊँगली उठाएगा, चूंकि आप अपने अल्लाह , खुदा, देवी देवताओं को सच्चा समझते हैं, आप को तकलीफ भी पहुंचेगी और गुस्सा भी आएगा, आगे जा के बात नफरत मैं बदल जाएगी और नतीजा अशांति और जीवन कि उर्जा जो अच्छे कामों मैं इस्तेमाल हो सकती थी बेकार चली जाएगी.
इस ब्लॉगजगत मैं भी इस तरह कि बातें रोजाना देखने को मिलती हैं, कभी कोई जानबूझ कर , कभी अधिक टिप्पणी कि लालच मैं ,कभी मज़ा लेने के लिए, कभी साम्प्रदायिकता के नाम पे, कभी इर्ष्या वश ,कभी जज्बाती होने के कारण, कभी अज्ञानतावश, कभी गलतफहमी के कारण दूसरे के धर्म के बारे मैं अपशब्द बोलता नज़र आ ही जाता है. ऐसा करते समय वो यह नहीं सोंचता कि उसका यह काम लोगों मैं अशांति फैला रहा है. ज़रा ग़ौर से देखें क्या आप का किसी को बुरा भला कहना, किसी के धर्म को निशाना बना लेना केवल इस लिए कि आप को अधिक लोग पढ़ें,या टिप्पणी करें, सही है?
यह भी सत्य है कि जहाँ झगड़ो कि बातें होती हों, किसी धर्म को बुरा भला कहा जाता हो वहां दूसरे ब्लोगर्स भी अधिक जाने लगते हैं, कोई मज़ा लेता है कोई और आग लगा के चला आता है, कोई किसी सीधी सी टिप्पणी को ग़लत अर्थों मैं पेश करने कि कोशिश करता है. लेकिन क्यों? क्या समाज के प्रति आप कि कोई ज़िम्मेदारी नहीं?
यह सत्य है कि ऐसी पोस्ट डालने वालों के खिलाफ सामने से कोई भी बोलते डरता है, क्यों कि जैसे ही आपने उनका जवाब दिया आप को कुछ अनामी, कुछ बेनामी और कुछ नामी , घेर लेंगे और आप को ही कटघरे मैं खड़ा कर देंगे.
लेकिन ऐसे ब्लोगर कि इस ग़लतफ़हमी को दूर करना भी आवश्यक है कि विवादास्पत लेख़ लिखने से ही आप के ब्लॉग पे लोग अधिक आएइगे.
मुझे आशा है कि मेरे इस पैग़ाम को लोग समझेंगे, इस पे विचार करेंगे और अपनी जीवन कि उर्जा को काम, क्रोध, लोभ ,इर्ष्या जैसे दुर्गुणों के कारण बेकार करने कि जगह इस ब्लॉगजगत मैं कुछ अच्छा काम कर के अपनी उर्जा का सही इस्तेमाल करेंगे.
वहाँ शांति नहीं है जहां क्रोध है. ना अशांत रहें और ना दूसरों को अशांत करें.
Note: इस पोस्ट पे किसी ब्लोगर को निशाना बनाते हुए टिपण्णी न करें, इस से नफरत फैलती है.