मुझे आज यह बताते हुए बहुत ही ख़ुशी महसूस हो रही है कि "अमन के पैग़ाम" ने ५० लेखकों कि पोस्ट का शानदार अर्धशतक लगाया. ५० पोस्ट...
मैं अमन का पैग़ाम लोगों तक पहुँचाने मैं कहाँ तक कामयाब हुआ यह तो पाठक ही जानें लेकिन हमारे ब्लोगेर्स साथी अपनी मुहब्बत का पैग़ाम मुझ तक और मेरे मकसद तक पहुँचाने मैं कामयाब रहे हैं.
मैं अपने उन सभी ब्लोगर्स साथियों का और पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ कि जिनके सहयोग और दुआओं के कारण ही मैं आज इस मक़ाम तक पहुँच सका और अपना शांति सन्देश लोगों तक पहुँचाने मैं कामयाब रहा.
यह सफ़र शुरू हुआ था रज़िया राज़ जी की कविता से जिसका स्वागत ३१ टिप्पणिओं से हमारे ब्लोगर साथियों ने किया और रज़िया "राज़" जी को कहना पड़ा.
मैंने भी उनके समर्थन का मान रखा और अमन का पैग़ाम से हर उस विषय पे प्रकाश डालने की कोशिश की जिन कारणों से समाज मैं अशांति फैला करती है.
आज प्यार की इस गोल्डन जुबली के अवसर पे मेरा दिल चाहता है की मैं अपने पाठको सहयोगियो की दुआओं को आप के सामने रखूँ जो उन्होंने टिप्पणिओं के ज़रिये मुझे दी.
इस बीच मेरे ही मिजाज़ "ना कहू से दोस्ती ना कहू से बैर " के कारण कुछ ग़लतफ़हमी भी कुछ लोगों को होने लगी जिसको शाहनवाज़ साहब ने महसूस किया और होसला अफजाई इन शब्दों मैं की ….
इस बीच मुहर्रम आ गया और मुझे भी महात्मा गाँधी जी के शब्द " मैंने हुसैन से सीखा है अत्याचार पर विजय कैसे प्राप्त होती है. और इमाम हुसैन की शहादत याद आ गयी. जिस से मुझे और सहारा मिला.
कमियों की कमियां
और सीधेपन में टेढ़ापन
तलाशने वाले
समाज में बहुतेरे हैं
पर वे न मेरे हैं
न तेरे हैं.न तेरे हैं.
काश हम आतंकवादियों को शिष्ट बनाने में सफल हो पाते। सारे आतंकवादियों को हिन्दी ब्लॉगिंग सिखा पाते।अमन चैन का पैगाम - जैसा सचमुच का एक गांव बसा पाते।







काश आपके इस लेख का कुछ असर हो और लोग गुटबाजी और दोस्ती से ऊपर उठकर सोचें.
ऐसी बहुत सी दुआओं के साथ साथ मैंने खुशदीप सहगल, सतीश सक्सेना, डॉ टी एस दराल, इस्मत ज़ैदी,Tarkeshwar Giri, निर्मला कपिला,संगीता स्वरुप ( गीत) , महफूज़ अली ,Mukesh Kumar सिन्हा,नीरज गोस्वामी ,Kunwar
आप सभी की दुआओं और सहयोग का शुक्रिया अदा करते हुई उन कारणों पे भी प्रकाश डालना चाहूँगा , जिनके कारण कुछ लोग नाराज़ भी रहे. अपने साथिओं की नाराज़गी को दूर करने की कोशिश इंसान को हमेशा करते रहना चाहिए.
मैंने अपने लेखों के ज़रिये समाज की उन बुराईयों के बारे मैं भी ज़िक्र किया जिनसे समाज मैं अशांति और नफरत फैलती है. मेरे उन लेखों के कारण भी कुछ लोग नाराज़ हो गए. वो बुराइयां और कमियां मुझमें भी हो सकती हैं और आप मैं भी. मेरा मकसद केवल उनकी तरफ सभी का ध्यान आकर्षित करना होता है, जिस से हर व्यक्ति खुद की कमिओं को दूर कर के समाज मैं अमन और शांति काएम रखने मैं सहयोग दे सके.
सभी पाठकों से निवेदन है की टिप्पणी जब भी करें तो यह धयान अवश्य रखें की , टिप्पणी लेख के सम्बन्ध मैं ही की गयी हो और किसी व्यक्ति विशेष के दिल को ठेस पहुँचाने के लिए ना की गयी हो. अच्छी टिप्पणिओं को अमन के पैगाम से हमेशा इज्ज़त मिला करती है.