मुझे आज यह बताते हुए बहुत ही ख़ुशी महसूस हो रही है कि "अमन के पैग़ाम" ने ५० लेखकों कि पोस्ट का शानदार अर्धशतक लगाया. ५० पोस्ट...
मुझे आज यह बताते हुए बहुत ही ख़ुशी महसूस हो रही है कि "अमन के पैग़ाम" ने ५० लेखकों कि पोस्ट का शानदार अर्धशतक लगाया. ५० पोस्ट हो या १०० यह बात यकीनन बहुत अहमियत नहीं रखती लेकिन ये ५० पोस्ट अमन का पैग़ाम को ५० अलग अलग लेखकों का सहयोग और प्यार है, इसलिए इसकी अहमियत भी मेरे लिए बढ़ जाती है .यह प्यार की गोल्डन जुबली है. इतना अधिक प्यार ब्लॉगजगत ने मुझे बहुत ही कम समय मैं दिया है .
मैं अमन का पैग़ाम लोगों तक पहुँचाने मैं कहाँ तक कामयाब हुआ यह तो पाठक ही जानें लेकिन हमारे ब्लोगेर्स साथी अपनी मुहब्बत का पैग़ाम मुझ तक और मेरे मकसद तक पहुँचाने मैं कामयाब रहे हैं.
मैं अपने उन सभी ब्लोगर्स साथियों का और पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ कि जिनके सहयोग और दुआओं के कारण ही मैं आज इस मक़ाम तक पहुँच सका और अपना शांति सन्देश लोगों तक पहुँचाने मैं कामयाब रहा.
यह सफ़र शुरू हुआ था रज़िया राज़ जी की कविता से जिसका स्वागत ३१ टिप्पणिओं से हमारे ब्लोगर साथियों ने किया और रज़िया "राज़" जी को कहना पड़ा.
"आदाब! "अमन का पैगाम" आज कामयाब हो रहा है ये सब मासुम साहब और उनकी कोशिश का नतीजा है और हाँ हमारे ब्लोगर भाई-बहनो के कमेंट और साथ ही कि वजह से ये पैगाम और भी बढता चला जा रहा है ये हम सभी के लिये ख़ुशी कि बात है। रब से दुआ है ये हमेशा अमनो-अमन के साथ चलता रहे." मासुम साहब! "अमन के पैग़ाम" के लिये मैं तो ये कहना चाहुंगी कि "एक मशहुर शायर का शेर अर्ज़ है ...."मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया!"
उसके बाद समीर लाल जे की कविता खुशियाँ लुटा के जीने का इस ढंग है ज़िंदगी के साथ यह पैग़ाम भी दे डाला की "हर दिल की यह चाहत है कि चहु ओर अमन कायम हो-फिर आखिर वो कौन हैं जो अमन कायम नहीं होने देते, चैन से रहने नहीं देते. चंद सिरफिरे सियासी लोगों के स्वार्थ भरे मंसूबे ठीक वैसे ही कामयाब हो जाते हैं जैसे एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है या खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन के बाहर कर देती है.हमें इन सिरफिरों के मंसूबों को मिलकर नेस्तनाबूत करना होगा. समझदारी से काम लेना होगा. स्वविवेक और समझदारी से चलने पर एक दिन हर ओर अमन और चैन कायम होगा, यह मेरा विश्वास है"
राजेश उत्साही जी ने इसको देख के कहा "मासूम जी ऐसा कुछ करें कि अमन का यह संदेश अमन न चाहने वालों लोगों के बीच पहुंचे। अन्यथा हम अमन चाहने वाले और अमन पसंद चालीस-पचास लोग ही आपस में अपनी बात एक दूसरे को कहते रहेंगे। आपका यह प्रयास अच्छा है। मैं इसका समर्थन करता हूं। पर यह एक नारेबाजी से भी आगे जाए तो कुछ बात बने"
मैंने भी उनके समर्थन का मान रखा और अमन का पैग़ाम से हर उस विषय पे प्रकाश डालने की कोशिश की जिन कारणों से समाज मैं अशांति फैला करती है.
आज प्यार की इस गोल्डन जुबली के अवसर पे मेरा दिल चाहता है की मैं अपने पाठको सहयोगियो की दुआओं को आप के सामने रखूँ जो उन्होंने टिप्पणिओं के ज़रिये मुझे दी.
रेखा श्रीवास्तव जी की दुआ काम आयी "मासूम भाई इस अमन के पैगाम की आवाज इतनी बुलंद होगी कि अमन के दुश्मनों की रूह काँप जायेगी. इस एक आवाज के साथ अभी कितनी आवाजें गूंजेंगी ? हर तरफ अमन ही अमन होगा.
अमित शर्मा का साथ इन शब्दों के साथ मिला " अ-मन अर्थात अपने मन के पूर्वाग्रहों से उत्पन्न वैमनस्य के दमन से ही समाज में अमन की बयार बह सकती है. अपने मन के विचारों को ही उत्कृष्ट मानकर समाज से अपेक्षा करना की पूरा समाज हमारे मनोअनुकूल चले, आपसी द्वेष को बढ़ाने वाला होता है. अमन वहीँ पनपता है जहाँ सभी सच्चे मन से सबके विचारों का आदर करते हुए जीवन जीए, ना की समाज में अपनी अपनी मान्यताओं को थोपने का दुराग्रह रखें"
इस बीच मेरे ही मिजाज़ "ना कहू से दोस्ती ना कहू से बैर " के कारण कुछ ग़लतफ़हमी भी कुछ लोगों को होने लगी जिसको शाहनवाज़ साहब ने महसूस किया और होसला अफजाई इन शब्दों मैं की ….
" मासूम भाई अमन के दुश्मनों की कोशिशों से आप परेशान ना हों, यह तो हमेशा से ही होता आया है. मैंने तो पहले ही कहा था कि यह काम दरया पर सीना लगाने जैसा कठिन है, जिसे लगन लगी हो वही हवा का रुख मोड़ सकने का जज्बा रखते हैं, बाकी तो हवा के साथ उड़ जाने वाले हैं. अल्लाह से दुआ करता हूँ, इंशाल्लाह वह आपको इस अमन की कोशिश में कामयाब ज़रूर करेगा"
इस बीच मुहर्रम आ गया और मुझे भी महात्मा गाँधी जी के शब्द " मैंने हुसैन से सीखा है अत्याचार पर विजय कैसे प्राप्त होती है. और इमाम हुसैन की शहादत याद आ गयी. जिस से मुझे और सहारा मिला.
इस काफिले को बावजूद कुछ रुकावटों के आगे बढ़ते देख लता हया जी ने कहा.आदाब मासूम साहेब आपका ब्लॉग अब सिर्फ़ आपका नहीं रह गया है बल्कि पूरे हिंद का हो गया है क्योंकि इसमें तमाम हिन्दुस्तानियों का अम्न के लिए धड़कता हुआ दिल है .शांति के लिए तरसती चाहत है . आपकी इस कोशिश को तो ख़ुद ये पैग़ाम सलाम करते हैं...लता "हया"
अविनाश वाचस्पति जी की दूरंदेश नज़र बहुत कुछ देख रही थी और मुझे हम्मत दिलाई इन शब्दों के साथ.
कमियों की कमियां
और सीधेपन में टेढ़ापन
तलाशने वाले
समाज में बहुतेरे हैं
पर वे न मेरे हैं
न तेरे हैं.न तेरे हैं.
काश हम आतंकवादियों को शिष्ट बनाने में सफल हो पाते। सारे आतंकवादियों को हिन्दी ब्लॉगिंग सिखा पाते।अमन चैन का पैगाम - जैसा सचमुच का एक गांव बसा पाते।
राज भाटिय़ा जी ने कहा "अति सुंदर विचार, लेकिन आज का आदमी पागल हो गया हे जो दुसरो की खुशियो ओर बरवाद कर के खुद दुनिया भर की खुशियां पाना चाहता हे, काश आप का यह पेगाम जन जन तक पहुचे.
केवल राम ने भी सहारा दिया कुछ इन शब्दों से की “सत्य तक वही आदमी पहुंच सकता है जिसमें धैर्य हो, सहनशीलता हो। मासूम साहब आपकी कोशिश इंसानियत के लिए है ..और आप निरंतर इस कोशिश में लगे हैं ...आशा है आने वाले वर्ष में भी आपका यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा ...शुभकामनाओं सहित”
वीना जी ने कहा मैने तो हमेशा से ही इंसानियत को ही धर्म माना है और मानूंगी भी...आपने अमन का पैगाम शुरू करके बहुत ही अच्छा काम किया...आपको बहुत-बहुत बधाई...साथ ही आने वाला वर्ष आपके लिए और सभी मित्रों के लिए खुशियां लेकर आए यही दुआ,
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Sadhana Vaid जी ने कहा अमन का पैगाम लोगों तक पहुंचाने की जो सार्थक पहल आपने की है उस जज्बे को हमारा भी सलाम ! आप बहुत नेकदिल इंसान हैं और इंसानियत और शान्ति का सन्देश दुनिया को देकर एक पुण्य का काम कर रहे हैं ! इसके लिये तहे दिल से शुक्रिया कबूल करें ! नवर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ! नया साल आप सभी के लिये मंगलमय हो और ढेरों खुशियाँ लेकर आये यही कामना है.
Bhushan जी ने कहा आपका ब्लॉग सही दिशा में कार्य कर रहा है. मैं इसकी तहे-दिल से प्रशंसा करता हूँ. इंसानियत का पैग़ाम देने के लिए आपने ब्लॉग का माध्यम चुना है. यह सराहनीय है. अभी बहुत सा ज़मीनी कार्य करने की आवश्यकता है.
DR. PAWAN K MISHRA जी ने कहा मासूम भाई मेरे ख़याल अमन के पैगाम को और मजबूत करना है हमें मिलजुल कर नहीं तो जो नफरत की आंधिया चल रही है उनसे बचना मुश्किल है
shikha varshney जी ने कहा दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं ,और यह ब्लॉग जगत भी छोटी सी एक दुनिया है.आप का कार्य निसंदेह प्रशंसनीय है उसे करते रहिये.अमन का पैगाम देते रहिये .समस्त शुभकामना
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी ने कहा निर्लिप्त भाव से आप अपना काम जारी रखिए!आप अच्छा काम कर रहे हैं!
अजय कुमार झा said... मुझे पहले ही अंदेशा था कि ऐसा कुछ न कुछ तो होगा ही कहा ही जाएगा । अन्यथा यदि इन पाक साफ़ नेक नीयती वाली मुहिमों का विरोध न हो यदि तो फ़िर तो इसका मतलब तो ये हो जाएगा कि सभी इंसान बन चुके हैं तो फ़िर अमन का पैगाम दिया किसको जाएगा.आज मानवता ही सबसे बडा मजहब है । मासूम भाई आपको शुभकामनाएं इस अमन के काफ़िले के लिए”
POOJA... जी ने कहा मासूम जी, ऐसी परेशानियों को दरकिनार कीजिये और आगे बढिए... ये भी तो देखिये कि आपके साथ कितने सारे लोग हैं.
सोमेश सक्सेना जी ने कहा मासूम जी बहुत सार्थक लेख है ये आपका। मैने भी यही महसूस किया है कि ज्यादातर विवाद बिल्कुल निरर्थक होते हैं। और जैसा आपने कहा नमक मिर्च लगाकर छोटे विवाद को हवा देने वाले और मामले को तूल देने वाले भी बहुत हैं।
काश आपके इस लेख का कुछ असर हो और लोग गुटबाजी और दोस्ती से ऊपर उठकर सोचें.
दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwived जी ने कहा मजहब औरों के लिए नहीं, खुद के लिए है। मैं अपने मजहब को जैसा समझता हूँ, उस के मुताबिक खुद का निर्माण करूँ। लेकिन कोई खुद को तो अपने मजहब के मुताबिक तैयार करता नहीं है, पहले औरों को तैयार करना शुरू कर देता है। यहीं फिरकापरस्ती पैदा होती है।
ऐसी बहुत सी दुआओं के साथ साथ मैंने खुशदीप सहगल, सतीश सक्सेना, डॉ टी एस दराल, इस्मत ज़ैदी,Tarkeshwar Giri, निर्मला कपिला,संगीता स्वरुप ( गीत) , महफूज़ अली ,Mukesh Kumar सिन्हा,नीरज गोस्वामी ,Kunwar
कुसुमेश,संजय भास्कर,Minakshi Pant ,सदा , सुशील बाकलीवाल, रश्मि प्रभा, DR. ANWER जमाल,"पलाश"हरकीरत ' हीर',दिनेशराय द्विवेदी,सूर्य गोयल,मनोज कुमार,अख़्तर खान 'अकेला,उपेन्द्र ' उपेन,Vivek Rastogi ,वाणी गीत,Rajiv,संगीता पुरी ,वन्दना ,नीरज गोस्वामी,Swarajya karun ,दिगम्बर नासवा,zeashan जैदी, दिव्या जी ,GirishMukul ,Sharif खान,डॉ० डंडा लखनवी,Akshita (Pakhi),जी.के. अवधिया ,अनुपमा पाठक,M VERMA इत्यादि की मुहब्बत और सहयोग को इस सफ़र मैं कभी ना कभी महसूस अवश्य किया है और आशा है की आगे भी करता रहूँगा.
अर्चना चावजी , जिनको मैं "अमन का पैग़ाम" की आवाज़ कहता हूँ, का सहयोग मैं कभी भुला नहीं सकूँगा. अर्चना जी ने अमन के पैग़ाम के लेखों को आवाज़ दी , जिनको मैं विडियो की शक्ल आप सब के सामने पेश भी करता रहता हूँ.
इस सफ़र मैं बहुत सी रुकावटें भी आयी , बहुत से नए दोस्त बने और बहुत से साथी जाने अनजाने मैं मेरी या उनकी खुद की गलतिओं, शंकाओं,के कारण दूर भी हुए . कुछ आ के दूर हो गए कुछ आये ही नहीं और कुछ ऐसा आये की आज अपने से लगने लगे. यही दुनिया है गलती तो आखिर इंसान ही करता है वो मैं हूँ ना कोई और. हमारा फ़र्ज़ है सभी से मुहब्बत करो, जो आप के साथ है उसको इतनी मुहब्बत दो की जाये नहीं ,जो आया नहीं है उसको अपने प्रेम और आदर से बुलाने की कोशिश करो और जो आ के चला गया, उस से यदि आप की ग़लती है तो माफी मांग लो और यदि किसी शंका वश वो चला गया तो उसकी शंका दूर करने की कोशिश करो.
मेरा खुद का मिजाज़ "ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर "या यह कह लें की “किसी को भी नाराज़ ना होने देने” ने कुछ लोगों की दिमाग मैं बेवजह का शक भी पैदा कर दिया और दिलों मैं नाराज़गी भी , लेकिन मुझे यकीन है की समय के साथ साथ नए लोग जुड़ते जाएंगे और बिछड़े फिर से मिलेंगे.
मैंने अपने लेखों के ज़रिये समाज की उन बुराईयों के बारे मैं भी ज़िक्र किया जिनसे समाज मैं अशांति और नफरत फैलती है. मेरे उन लेखों के कारण भी कुछ लोग नाराज़ हो गए. वो बुराइयां और कमियां मुझमें भी हो सकती हैं और आप मैं भी. मेरा मकसद केवल उनकी तरफ सभी का ध्यान आकर्षित करना होता है, जिस से हर व्यक्ति खुद की कमिओं को दूर कर के समाज मैं अमन और शांति काएम रखने मैं सहयोग दे सके.
सभी पाठकों से निवेदन है की टिप्पणी जब भी करें तो यह धयान अवश्य रखें की , टिप्पणी लेख के सम्बन्ध मैं ही की गयी हो और किसी व्यक्ति विशेष के दिल को ठेस पहुँचाने के लिए ना की गयी हो. अच्छी टिप्पणिओं को अमन के पैगाम से हमेशा इज्ज़त मिला करती है.
इस समाज मैं अमन और शांति के मकसद को आगे बढ़ाने मैं आपके बहुमूल्य सुझावों का हमेशा की तरह इंतज़ार रहेगा.
आईये हम सब मिल कर प्रतिज्ञां करें कि विश्व में अमन का झंडा फहरायेंगे | नफरतों कि सियासत का बहिष्कार करेंगे.
मैं अमन का पैग़ाम लोगों तक पहुँचाने मैं कहाँ तक कामयाब हुआ यह तो पाठक ही जानें लेकिन हमारे ब्लोगेर्स साथी अपनी मुहब्बत का पैग़ाम मुझ तक और मेरे मकसद तक पहुँचाने मैं कामयाब रहे हैं.
मैं अपने उन सभी ब्लोगर्स साथियों का और पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ कि जिनके सहयोग और दुआओं के कारण ही मैं आज इस मक़ाम तक पहुँच सका और अपना शांति सन्देश लोगों तक पहुँचाने मैं कामयाब रहा.
यह सफ़र शुरू हुआ था रज़िया राज़ जी की कविता से जिसका स्वागत ३१ टिप्पणिओं से हमारे ब्लोगर साथियों ने किया और रज़िया "राज़" जी को कहना पड़ा.
"आदाब! "अमन का पैगाम" आज कामयाब हो रहा है ये सब मासुम साहब और उनकी कोशिश का नतीजा है और हाँ हमारे ब्लोगर भाई-बहनो के कमेंट और साथ ही कि वजह से ये पैगाम और भी बढता चला जा रहा है ये हम सभी के लिये ख़ुशी कि बात है। रब से दुआ है ये हमेशा अमनो-अमन के साथ चलता रहे." मासुम साहब! "अमन के पैग़ाम" के लिये मैं तो ये कहना चाहुंगी कि "एक मशहुर शायर का शेर अर्ज़ है ...."मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया!"
उसके बाद समीर लाल जे की कविता खुशियाँ लुटा के जीने का इस ढंग है ज़िंदगी के साथ यह पैग़ाम भी दे डाला की "हर दिल की यह चाहत है कि चहु ओर अमन कायम हो-फिर आखिर वो कौन हैं जो अमन कायम नहीं होने देते, चैन से रहने नहीं देते. चंद सिरफिरे सियासी लोगों के स्वार्थ भरे मंसूबे ठीक वैसे ही कामयाब हो जाते हैं जैसे एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है या खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन के बाहर कर देती है.हमें इन सिरफिरों के मंसूबों को मिलकर नेस्तनाबूत करना होगा. समझदारी से काम लेना होगा. स्वविवेक और समझदारी से चलने पर एक दिन हर ओर अमन और चैन कायम होगा, यह मेरा विश्वास है"
राजेश उत्साही जी ने इसको देख के कहा "मासूम जी ऐसा कुछ करें कि अमन का यह संदेश अमन न चाहने वालों लोगों के बीच पहुंचे। अन्यथा हम अमन चाहने वाले और अमन पसंद चालीस-पचास लोग ही आपस में अपनी बात एक दूसरे को कहते रहेंगे। आपका यह प्रयास अच्छा है। मैं इसका समर्थन करता हूं। पर यह एक नारेबाजी से भी आगे जाए तो कुछ बात बने"
मैंने भी उनके समर्थन का मान रखा और अमन का पैग़ाम से हर उस विषय पे प्रकाश डालने की कोशिश की जिन कारणों से समाज मैं अशांति फैला करती है.
आज प्यार की इस गोल्डन जुबली के अवसर पे मेरा दिल चाहता है की मैं अपने पाठको सहयोगियो की दुआओं को आप के सामने रखूँ जो उन्होंने टिप्पणिओं के ज़रिये मुझे दी.
रेखा श्रीवास्तव जी की दुआ काम आयी "मासूम भाई इस अमन के पैगाम की आवाज इतनी बुलंद होगी कि अमन के दुश्मनों की रूह काँप जायेगी. इस एक आवाज के साथ अभी कितनी आवाजें गूंजेंगी ? हर तरफ अमन ही अमन होगा.
अमित शर्मा का साथ इन शब्दों के साथ मिला " अ-मन अर्थात अपने मन के पूर्वाग्रहों से उत्पन्न वैमनस्य के दमन से ही समाज में अमन की बयार बह सकती है. अपने मन के विचारों को ही उत्कृष्ट मानकर समाज से अपेक्षा करना की पूरा समाज हमारे मनोअनुकूल चले, आपसी द्वेष को बढ़ाने वाला होता है. अमन वहीँ पनपता है जहाँ सभी सच्चे मन से सबके विचारों का आदर करते हुए जीवन जीए, ना की समाज में अपनी अपनी मान्यताओं को थोपने का दुराग्रह रखें"
इस बीच मेरे ही मिजाज़ "ना कहू से दोस्ती ना कहू से बैर " के कारण कुछ ग़लतफ़हमी भी कुछ लोगों को होने लगी जिसको शाहनवाज़ साहब ने महसूस किया और होसला अफजाई इन शब्दों मैं की ….
" मासूम भाई अमन के दुश्मनों की कोशिशों से आप परेशान ना हों, यह तो हमेशा से ही होता आया है. मैंने तो पहले ही कहा था कि यह काम दरया पर सीना लगाने जैसा कठिन है, जिसे लगन लगी हो वही हवा का रुख मोड़ सकने का जज्बा रखते हैं, बाकी तो हवा के साथ उड़ जाने वाले हैं. अल्लाह से दुआ करता हूँ, इंशाल्लाह वह आपको इस अमन की कोशिश में कामयाब ज़रूर करेगा"
इस बीच मुहर्रम आ गया और मुझे भी महात्मा गाँधी जी के शब्द " मैंने हुसैन से सीखा है अत्याचार पर विजय कैसे प्राप्त होती है. और इमाम हुसैन की शहादत याद आ गयी. जिस से मुझे और सहारा मिला.
इस काफिले को बावजूद कुछ रुकावटों के आगे बढ़ते देख लता हया जी ने कहा.आदाब मासूम साहेब आपका ब्लॉग अब सिर्फ़ आपका नहीं रह गया है बल्कि पूरे हिंद का हो गया है क्योंकि इसमें तमाम हिन्दुस्तानियों का अम्न के लिए धड़कता हुआ दिल है .शांति के लिए तरसती चाहत है . आपकी इस कोशिश को तो ख़ुद ये पैग़ाम सलाम करते हैं...लता "हया"
अविनाश वाचस्पति जी की दूरंदेश नज़र बहुत कुछ देख रही थी और मुझे हम्मत दिलाई इन शब्दों के साथ.
कमियों की कमियां
और सीधेपन में टेढ़ापन
तलाशने वाले
समाज में बहुतेरे हैं
पर वे न मेरे हैं
न तेरे हैं.न तेरे हैं.
काश हम आतंकवादियों को शिष्ट बनाने में सफल हो पाते। सारे आतंकवादियों को हिन्दी ब्लॉगिंग सिखा पाते।अमन चैन का पैगाम - जैसा सचमुच का एक गांव बसा पाते।
राज भाटिय़ा जी ने कहा "अति सुंदर विचार, लेकिन आज का आदमी पागल हो गया हे जो दुसरो की खुशियो ओर बरवाद कर के खुद दुनिया भर की खुशियां पाना चाहता हे, काश आप का यह पेगाम जन जन तक पहुचे.
वीना जी ने कहा मैने तो हमेशा से ही इंसानियत को ही धर्म माना है और मानूंगी भी...आपने अमन का पैगाम शुरू करके बहुत ही अच्छा काम किया...आपको बहुत-बहुत बधाई...साथ ही आने वाला वर्ष आपके लिए और सभी मित्रों के लिए खुशियां लेकर आए यही दुआ,
DR. PAWAN K MISHRA जी ने कहा मासूम भाई मेरे ख़याल अमन के पैगाम को और मजबूत करना है हमें मिलजुल कर नहीं तो जो नफरत की आंधिया चल रही है उनसे बचना मुश्किल है
shikha varshney जी ने कहा दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं ,और यह ब्लॉग जगत भी छोटी सी एक दुनिया है.आप का कार्य निसंदेह प्रशंसनीय है उसे करते रहिये.अमन का पैगाम देते रहिये .समस्त शुभकामना
काश आपके इस लेख का कुछ असर हो और लोग गुटबाजी और दोस्ती से ऊपर उठकर सोचें.
ऐसी बहुत सी दुआओं के साथ साथ मैंने खुशदीप सहगल, सतीश सक्सेना, डॉ टी एस दराल, इस्मत ज़ैदी,Tarkeshwar Giri, निर्मला कपिला,संगीता स्वरुप ( गीत) , महफूज़ अली ,Mukesh Kumar सिन्हा,नीरज गोस्वामी ,Kunwar
अर्चना चावजी , जिनको मैं "अमन का पैग़ाम" की आवाज़ कहता हूँ, का सहयोग मैं कभी भुला नहीं सकूँगा. अर्चना जी ने अमन के पैग़ाम के लेखों को आवाज़ दी , जिनको मैं विडियो की शक्ल आप सब के सामने पेश भी करता रहता हूँ.
आप सभी की दुआओं और सहयोग का शुक्रिया अदा करते हुई उन कारणों पे भी प्रकाश डालना चाहूँगा , जिनके कारण कुछ लोग नाराज़ भी रहे. अपने साथिओं की नाराज़गी को दूर करने की कोशिश इंसान को हमेशा करते रहना चाहिए.
मैंने अपने लेखों के ज़रिये समाज की उन बुराईयों के बारे मैं भी ज़िक्र किया जिनसे समाज मैं अशांति और नफरत फैलती है. मेरे उन लेखों के कारण भी कुछ लोग नाराज़ हो गए. वो बुराइयां और कमियां मुझमें भी हो सकती हैं और आप मैं भी. मेरा मकसद केवल उनकी तरफ सभी का ध्यान आकर्षित करना होता है, जिस से हर व्यक्ति खुद की कमिओं को दूर कर के समाज मैं अमन और शांति काएम रखने मैं सहयोग दे सके.
सभी पाठकों से निवेदन है की टिप्पणी जब भी करें तो यह धयान अवश्य रखें की , टिप्पणी लेख के सम्बन्ध मैं ही की गयी हो और किसी व्यक्ति विशेष के दिल को ठेस पहुँचाने के लिए ना की गयी हो. अच्छी टिप्पणिओं को अमन के पैगाम से हमेशा इज्ज़त मिला करती है.