आज कल साझा ब्लॉग को किसी की नज़र लग गयी है. नज़र लगे तो लगे लेकिन जब झगडे शुरू हो जाएं तो फ़िक्र करने की बात हुआ करती है. रविन्द्र प्...
आज कल साझा ब्लॉग को किसी की नज़र लग गयी है. नज़र लगे तो लगे लेकिन जब झगडे शुरू हो जाएं तो फ़िक्र करने की बात हुआ करती है. रविन्द्र प्रभात जी की मेहनत रंग लाई और वो अचानक प्रगतिशील हो के लखनऊ ब्लोगर असोसिएशन के बाहर हो गए. उसके बाद तो फिर क्या था देखते ही देखते इतने ब्लोगर असोसिएशन बन गए की सोंचना पड़ता है की कौन सा ब्लॉग किस पार्टी का है ? इन ब्लोगर असोसिएशन की खूबी यह है की हक और बातिल एक दूसरे मैं ऐसे घुल मिल गए हैं की पता ही नहीं लगता हम किसके घर पधारे हैं.
अभी लोग किले फतह कर ही रहे थे की अचानक गली के नुक्कड़ से शोर उठा चोर आया चोर आया , जाके देखा तो कोई चोर नहीं अपना ही पडोसी था शायद नशे मैं था क्योंकि बात तो सही कह रहा था लेकिन ज्यादा कह गया और घर वालों पे ही चढ़ बैठा. लोग कहते हैं बड़ा ब्लोगर है लेकिन मुझे तो ना तजुर्बेकार लगा क्यों की बड़े ब्लोगर तो अपने लंगड़े को भी शाहरुख़ खान बताते हैं और यह साहब तो दिलीप कुमार को शेट्टी बना देने पे तुल गए. हिंदी ब्लॉगजगत के बचपने पे भी इन साहब को तरस नहीं आया की जवान तो हो जाने देते हिंदी ब्लॉगजगत को तब कुछ कहते. चलिए कोई बात नहीं कुछ अपने लग गए हैं बीच बचाव मैं ,जल्द शांति के अच्छे असार नज़र आ रहे हैं.
अब तो नया कानून बन जाने के भी आसार नज़र आ रहे हैं कि बड़ा ब्लोगर किसी साझा ब्लॉग मैं नहीं रहा करेगा .
जो भी बड़ा ब्लोगर है वो सभी साझा ब्लॉग से बाहर आ जाएं और अब बड़ा ब्लोगर केवल बड़े ब्लोगर के साझा ब्लॉग मैं ही दिखा करेगा. हम तो अभी भी पिताजी के पास बैठ के ज्ञान ले रहे हैं नुक्कड़ पे जाने की इजाज़त बड़े होने के बात ही मिल सकेगी.
वैसे भी यह खुद को बड़ा ब्लोगर कहने वाला जंतु बड़ा अजीब सा प्राणी हुआ करता है. ज़रा सा आप इनके किसी चमचे को कुछ कह दें और देखिये समूह दर समूह जमा होने लगते हैं फ़ोन टनटना टनटना के.
यहाँ भी एक अजीब बात देखने मैं आई की बहिष्कार तो किसी का भी यह अपने साथी के कहने पे चुपचाप कर देते हैं लेकिन जब बात मैदान मैं आमने सामने की आ जाए तो "हम क्या कहें" आप का पंगा है आप कहते रहिये हम “उपस्थिति दिखा के शहीदों मैं नाम लिखवा लेंगे” वाली नीति फ़ौरन अपना लेते हैं.
आज कल तो लोग हमारीवाणी या अपने बनाये हेलीकाप्टर (संकलक) पे बैठ के रोजाना यह तलाशते हैं कि क्या आज कहीं से धुंवा निकल रहा है या सब शांति है? और यदि शांति हुई तो बड़ी मायूसी से कहते हैं आज कुछ ख़ास नहीं था?
वैसे इन विवादों का फाएदा भी होता है. यदि किसी भी आखिरी सांस ले रहे ब्लॉग को जिंदा करना हो तो विवाद खड़ा कर दो या खड़ा करवा दो. किसी भी साझा ब्लॉग पे विवाद खड़ा होने पे वहाँ पाठकों के साथ साथ लेखकों की भी संख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाया करती हैं, लेकिन केवल कुछ समय के लिए ही ऐसा हुआ करता है .
जो लोग विवादों से अपने ब्लॉग को जीवन देना चाहते हैं ऐसा ना करें क्यों की आने वाले समय मैं इसका फाएदा कम और नुकसान अधिक उठाना पड़ेगा .मुझे इस बात का दुःख होता है की जब भी कोई विवाद खड़ा होता है या खड़ा किया जाता है तो लोग ना तो इन्साफ का साथ देते हैं और ना ही विवाद को ख़त्म करने के लिए समझोता करवाने की कोशिश करते हैं बल्कि या तो नमक मिर्च डालते हैं और या फिर अपने गुट और दोस्तों का पक्ष लेना शुरू कर देते हैं यह सोंचने की आवश्यकता ही नहीं समझते की हक पे कौन है?
यह ताक़त आज़माइश और पक्षपात से हिंदी ब्लॉगजगत का कोई भला नहीं होने वाला. तो क्यों ना सब मिल के यह प्रण करें कि इन्साफ से हमेशा हक का साथ देंगे और इस ब्लॉगजगत मैं अमन और शांति काएम रखने मैं एक दूसरे की मदद करेंगे.
क्योंकि आपसी कलहाग्नि और द्वेषाग्नि केवल घरों को जलाया ही करती है.
हमेशा याद रहे तुम्हारे लिए तुम्हारा 'मैं-पन' जितना प्यारा है, दूसरों के लिए उनका 'मैं-पन' भी तो उतना ही प्यारा है. इसलिए दूसरों से व्यवहार करते समय दूसरों के मन की भावना को भी समझो.
S.M.Masum
ऊपर लिखी बातों मैं मैंने "ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर " वाला मन्त्र का इस्तेमाल किया है और कोशिश की हैं की जाने अनजाने मैं भी किसी को तकलीफ ना पहुंचे. यह बड़ा ब्लोगर या छोटा ब्लोगर शब्दों को वास्तविक बड़े या छोटे ब्लोगर से जोड़ के ना देखा जाए.
अभी लोग किले फतह कर ही रहे थे की अचानक गली के नुक्कड़ से शोर उठा चोर आया चोर आया , जाके देखा तो कोई चोर नहीं अपना ही पडोसी था शायद नशे मैं था क्योंकि बात तो सही कह रहा था लेकिन ज्यादा कह गया और घर वालों पे ही चढ़ बैठा. लोग कहते हैं बड़ा ब्लोगर है लेकिन मुझे तो ना तजुर्बेकार लगा क्यों की बड़े ब्लोगर तो अपने लंगड़े को भी शाहरुख़ खान बताते हैं और यह साहब तो दिलीप कुमार को शेट्टी बना देने पे तुल गए. हिंदी ब्लॉगजगत के बचपने पे भी इन साहब को तरस नहीं आया की जवान तो हो जाने देते हिंदी ब्लॉगजगत को तब कुछ कहते. चलिए कोई बात नहीं कुछ अपने लग गए हैं बीच बचाव मैं ,जल्द शांति के अच्छे असार नज़र आ रहे हैं.
अब तो नया कानून बन जाने के भी आसार नज़र आ रहे हैं कि बड़ा ब्लोगर किसी साझा ब्लॉग मैं नहीं रहा करेगा .
जो भी बड़ा ब्लोगर है वो सभी साझा ब्लॉग से बाहर आ जाएं और अब बड़ा ब्लोगर केवल बड़े ब्लोगर के साझा ब्लॉग मैं ही दिखा करेगा. हम तो अभी भी पिताजी के पास बैठ के ज्ञान ले रहे हैं नुक्कड़ पे जाने की इजाज़त बड़े होने के बात ही मिल सकेगी.
वैसे भी यह खुद को बड़ा ब्लोगर कहने वाला जंतु बड़ा अजीब सा प्राणी हुआ करता है. ज़रा सा आप इनके किसी चमचे को कुछ कह दें और देखिये समूह दर समूह जमा होने लगते हैं फ़ोन टनटना टनटना के.
यहाँ भी एक अजीब बात देखने मैं आई की बहिष्कार तो किसी का भी यह अपने साथी के कहने पे चुपचाप कर देते हैं लेकिन जब बात मैदान मैं आमने सामने की आ जाए तो "हम क्या कहें" आप का पंगा है आप कहते रहिये हम “उपस्थिति दिखा के शहीदों मैं नाम लिखवा लेंगे” वाली नीति फ़ौरन अपना लेते हैं.
आज कल तो लोग हमारीवाणी या अपने बनाये हेलीकाप्टर (संकलक) पे बैठ के रोजाना यह तलाशते हैं कि क्या आज कहीं से धुंवा निकल रहा है या सब शांति है? और यदि शांति हुई तो बड़ी मायूसी से कहते हैं आज कुछ ख़ास नहीं था?
वैसे इन विवादों का फाएदा भी होता है. यदि किसी भी आखिरी सांस ले रहे ब्लॉग को जिंदा करना हो तो विवाद खड़ा कर दो या खड़ा करवा दो. किसी भी साझा ब्लॉग पे विवाद खड़ा होने पे वहाँ पाठकों के साथ साथ लेखकों की भी संख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाया करती हैं, लेकिन केवल कुछ समय के लिए ही ऐसा हुआ करता है .
जो लोग विवादों से अपने ब्लॉग को जीवन देना चाहते हैं ऐसा ना करें क्यों की आने वाले समय मैं इसका फाएदा कम और नुकसान अधिक उठाना पड़ेगा .मुझे इस बात का दुःख होता है की जब भी कोई विवाद खड़ा होता है या खड़ा किया जाता है तो लोग ना तो इन्साफ का साथ देते हैं और ना ही विवाद को ख़त्म करने के लिए समझोता करवाने की कोशिश करते हैं बल्कि या तो नमक मिर्च डालते हैं और या फिर अपने गुट और दोस्तों का पक्ष लेना शुरू कर देते हैं यह सोंचने की आवश्यकता ही नहीं समझते की हक पे कौन है?
यह ताक़त आज़माइश और पक्षपात से हिंदी ब्लॉगजगत का कोई भला नहीं होने वाला. तो क्यों ना सब मिल के यह प्रण करें कि इन्साफ से हमेशा हक का साथ देंगे और इस ब्लॉगजगत मैं अमन और शांति काएम रखने मैं एक दूसरे की मदद करेंगे.
क्योंकि आपसी कलहाग्नि और द्वेषाग्नि केवल घरों को जलाया ही करती है.
हमेशा याद रहे तुम्हारे लिए तुम्हारा 'मैं-पन' जितना प्यारा है, दूसरों के लिए उनका 'मैं-पन' भी तो उतना ही प्यारा है. इसलिए दूसरों से व्यवहार करते समय दूसरों के मन की भावना को भी समझो.
S.M.Masum
ऊपर लिखी बातों मैं मैंने "ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर " वाला मन्त्र का इस्तेमाल किया है और कोशिश की हैं की जाने अनजाने मैं भी किसी को तकलीफ ना पहुंचे. यह बड़ा ब्लोगर या छोटा ब्लोगर शब्दों को वास्तविक बड़े या छोटे ब्लोगर से जोड़ के ना देखा जाए.