नव वर्ष की शुभकामनाओं का दौर अभी चल ही रहा है. और यह एक अच्छी बात है, की इसी बहाने बहुत से लोग आपस मैं पुराने रिश्तों की कडवाहट को भूल फिर...
नव वर्ष की शुभकामनाओं का दौर अभी चल ही रहा है. और यह एक अच्छी बात है, की इसी बहाने बहुत से लोग आपस मैं पुराने रिश्तों की कडवाहट को भूल फिर से साथी बन जाया करते हैं. मैंने किसी ब्लॉग मैं एक कविता पढ़ी जिसके अलफ़ाज़ कुछ ऐसे थे " नववर्ष के मंगलमय होने की कामना करने से ही हर वर्ष मंगलमय होता तो बीते वर्षों मैं मंगल पर कभी शनि नहीं चढ़ता"जिसने मुझे कुछ लिखने पे मजबूर कर दिया...
राज भाटिया साहब ने भी अपने एक पोस्ट मैं ज़िक्र किया है की "जो आदमी भुत काल से सबक नही लेता वो बार बार गलती करता हे, इस लिये मै उन गलतियो से बचना चाहता हूं"
मैंने भी अपनी नव वर्ष की पोस्ट मैं यही कहा "इस नए वर्ष का स्वागत मैं गए वर्ष के कुछ हसीन पलों को याद करते हुए और अपनी ग़लतियों से नसीहतें लेते हुए करना चाहूँगा'
सवाल यह उठता है की यदि यह बात हम सभी समझते है तो हम मैं कोई बदलाव दिखाई क्यों नहीं देता? बहुत से पैगम्बरों , इमाम (अ.स) और महापुरुषों ने इस बात पे ज़ोर दिया है की रोजाना जब रात मैं सोने जाओ तो अपने पूरे दिन का हिसाब किताब कर लो की क्या खोया और क्या पाया समाज के लिए, अपने जैसे इंसानों के लिए तुमने क्या किया?
हम रोजाना अपने माल का पैसों का हिसाब तो कर लिया करते हैं, कितना कमाया ,कितना गंवाया या कितना ग़लत जगह खर्च किया लेकिन अपने कर्मों का हिसाब किताब नहीं करते और यदि कभी किया तो वोह हिसाब भी अपनी आत्मा की बुराईयों जैसे, इर्ष्या, द्वेष, इत्यादि के असरात से अलग नहीं हो पाता.
चलिए इस वर्ष हम यह देखें की किन बातों का ध्यान रखते हुए हम इस ब्लॉगजगत को शनि लगने से बचा सकते हैं .
ब्लॉगजगत एक बड़ा परिवार है और बाहरी समाज की तरह यहाँ भी हर प्रकार की मानसिकता वाले लोग मौजूद हैं. बस यहाँ अपने दिल की बात कह्देना आसान हुआ करता है.
राज भाटिया साहब ने भी अपने एक पोस्ट मैं ज़िक्र किया है की "जो आदमी भुत काल से सबक नही लेता वो बार बार गलती करता हे, इस लिये मै उन गलतियो से बचना चाहता हूं"
मैंने भी अपनी नव वर्ष की पोस्ट मैं यही कहा "इस नए वर्ष का स्वागत मैं गए वर्ष के कुछ हसीन पलों को याद करते हुए और अपनी ग़लतियों से नसीहतें लेते हुए करना चाहूँगा'
सवाल यह उठता है की यदि यह बात हम सभी समझते है तो हम मैं कोई बदलाव दिखाई क्यों नहीं देता? बहुत से पैगम्बरों , इमाम (अ.स) और महापुरुषों ने इस बात पे ज़ोर दिया है की रोजाना जब रात मैं सोने जाओ तो अपने पूरे दिन का हिसाब किताब कर लो की क्या खोया और क्या पाया समाज के लिए, अपने जैसे इंसानों के लिए तुमने क्या किया?
हम रोजाना अपने माल का पैसों का हिसाब तो कर लिया करते हैं, कितना कमाया ,कितना गंवाया या कितना ग़लत जगह खर्च किया लेकिन अपने कर्मों का हिसाब किताब नहीं करते और यदि कभी किया तो वोह हिसाब भी अपनी आत्मा की बुराईयों जैसे, इर्ष्या, द्वेष, इत्यादि के असरात से अलग नहीं हो पाता.
चलिए इस वर्ष हम यह देखें की किन बातों का ध्यान रखते हुए हम इस ब्लॉगजगत को शनि लगने से बचा सकते हैं .
ब्लॉगजगत एक बड़ा परिवार है और बाहरी समाज की तरह यहाँ भी हर प्रकार की मानसिकता वाले लोग मौजूद हैं. बस यहाँ अपने दिल की बात कह्देना आसान हुआ करता है.
- जब भी किसी का लेख पढ़ें " तो यह न देखें की कौन कह रहा है बल्कि यह देखें की क्या कह रहा है" यदि वो व्यक्ति जनहित की बात कह रहा है, सामाजिक सरोकार की बात कर रहा है, तो उसका साथ दें. और यदि वही व्यक्ति कभी कोई ग़लत बात कह रहा है तो वहीं पे अपनी असहमति जाता दें.
- व्यक्ति विशेष से कभी नफरत मत करो बल्कि उनके अंदर की बुराईयों से नफरत करो.इन्सान कभी भी बदल सकता है , बुरा इंसान भी यदि अच्छी बातें बताए तो उसको सराहो ऐसा करने से वो लौट के बुराई की तरफ नहीं जाएगा.
- ब्लोगर कोई भी हो इंसान है और ग़लतियाँ इंसान से ही हुआ करती हैं. किसी भी ब्लोगर की अच्छी बातों को उसकी पिछली किसी बुराई का हवाला देते हुई , समझने से इनकार मत करो.अक्सर कुछ ग़लत लोग आगे बढ़ते ब्लोगर या अच्छा लिखने वाले ब्लोगर के खिलाफ इर्ष्या वश बोला करते हैं और ऐसा करने के लिए उसकी गलतिओं को पकड़ने की कोशिश किया करते हैं, और ग़लती हर इंसान से होती है.
- शक एक ला इलाज बीमारी है और शक करने से अच्छे रिश्ते भी बिगड़ जाया करते हैं.आगे बढ़ते ब्लोगर या अच्छा लिखने वाले ब्लोगर के लिए अक्सर लोग आप के दिलों मैं शक डालने की कोशिश भी करते हैं. अफवाहों से बचें.
- बिना किसी दुसरे धर्म की बुराई किये अपने धर्म की तारीफ करने वालों को ग़लत न कहें, क्योंकि जो इंसान अपने देश ,अपने धर्म,अपने वतन,अपनी माँ की तारीफ नहीं कर सकता वोह इंसान ही नहीं है.
- यदि आप धर्म पे लिखते हैं तो ध्यान रखें "अपनी बात को,धर्म को सही साबित करने के लिए किसी दुसरे की बात को ग़लत कहना, उसके धर्म को ग़लत कहने की आवश्यकता नहीं हुआ करती.
- जिन ब्लोग्स से किसी भी दुसरे धर्म का मज़ाक उड़ाया जाए,वहाँ सहमती जताने से पहले सौ बार सोंचें.
- गुटबाजी से बचें. समूह मैं रहना और अच्छी बातों मैं एक दुसरे का साथ देना अच्छा है. लेकिन धर्म, जाती, शहर, रंग, इत्यादि के अंतर का फ़ाएदा लेते हुए गुटबाजी करना समाज के लिए देश के लिए और इंसानियत के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
- जब भी किसी ब्लोगर का साथ दो या उसकी किसी बात पे आपत्ति जताओ तो यह अवश्य सोंचो "क्या तुम्हरी आपत्ति या सहमती इमानदार है? कहीं यह आपत्ति या सहमती धर्म,जाती,देश,शहर के अंतर या एक होने को ध्यान मैं रख के तो नहीं की जा रही है? यदि ऐसा हुआ तो नतीजा नफरत के सिवा कुछ नहीं होगा.
- और अंत मैं कुछ सवाल टिप्पणी का. टिप्पणी हमेशा आप की बात से सहमती जाता के ही आएगी ऐसी आशा करना ग़लत है. और जिनके विचार आप से न मिलें उनके खिलाफ दिल मैं शिकवा रखना भी सही नहीं. जब तक आप ऐसा नहीं करेंगे आप के ब्लॉग पे १०० टिप्पणी तो आ सकती हैं लेकिन इमानदारी से की गयी टिप्पणी नहीं आएगी. किसी भी ब्लोगेर की पोस्ट पे अधिक टिप्पणी का आना उसकी कामयाबी की पहचान नहीं बल्कि अधिक इमानदार टिप्पणी का आना उसकी कामयाबी की पहचान है.
- किसी भी ब्लोगेर की सोंच की पहचान उसकी पोस्ट हुआ करती है न की उसकी पोस्ट पे की गयी दुसरे ब्लोगर की टिप्पणी. यह एक ऐसी गलती है जो अक्सर बहुत से ब्लोगर कर जाते हैं.
- साफ़ और निष्पक्ष विचार को सामने रखना कामयाब ब्लोगर की पहचान हुआ करती है.आपके लेख मैं हठधर्मी, और अन्याय का समावेश ज़ुल्म है .इस बात का ध्यान सभी को रखना चाहिए.