पंजाब के एक खूबसूरत शहर नंगल की नामवर लेखिका श्रीमती निर्मला कपिला जी को कौन नहीं जानता. ज़िन्दगी के दुखों को सब्र और हिम्मत से कैसे सुखो...
पंजाब के एक खूबसूरत शहर नंगल की नामवर लेखिका श्रीमती निर्मला कपिला जी को कौन नहीं जानता. ज़िन्दगी के दुखों को सब्र और हिम्मत से कैसे सुखों मैं बदल सकते हैं सीखना है तो निर्मला जी के तजुर्बों से सीखो.. आज "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की पंद्रहवीं पेशकश " श्रीमती निर्मला के कुछ अनमोल शब्द…….
धर्म जाति पाति, पुरुष नारी कुछ विष्य ऐसे हैं मै जिन पर लिखने से सदा घबराती हूँ क्योंकि इन के नाम पर हर किसी की भवें तन जाती हैं।। ये मेरे अपने विचार हैं। मेरी कोई बात किसी को बुरी लगे तो क्षमा चाहती हूँ।
अहिंसा अमन सुख चैन की बातें कहाँ हैं अब
वो अवसर ढूँढते तलवार से अब वार करने का
मैने अब तक जो देखा है वो ये कि धर्म ने हमेशा आदमी को जितना खून खराबे के लिये उकसाया उतना और किसी बात ने नही। धर्म का मूल सन्देश प्यार, मुहब्बत, भाईचारा दया- करुणा, क्षमा,अदि हैं। लेकिन हम उन्हें न मान कर धर्म के विरुद्ध कर्म कर रहे हैं। मेरा अपना मत है कि धर्म मेरा निज़ी मामला है। मेरा धर्म यही कहता है कि खुद को अध्यात्मिक बनाओ न कि धार्मिक । अध्यात्म मे ही वो रहस्य छुपा है जो हमे सही शब्दों मे इन्सान बनना सिखाता है। अलगाववाद की बात करने वालों को एक सत्य मान कर चलना होगा कि जो भी इस देश मे रहता है वो इस देश का नागरिक है और देश की एकता अखन्डता के लिये ही जीये। जब हमे सब को यहीँ रहना है तो अमन, प्रेम से क्यों न रहें? शायद आज के युवाओं ने 1947 का भीत्सव सच नही देखा। समझ नही आता कि कुछ लोग उसे दोहराने मे क्यों लगे है? बन्दूकें ही हर समस्या का हल नही होती। बढती हुयी नफरतों के अंजाम के बारे मे सोचो ।
क्या धर्म हमे नफरत करना सिखलाता है?
क्या धर्म भाई से भाई को ही लडवाता है?
धर्म के ठेकेदारों की कैद से अपना धर्म छुडायें
धर्म के सौदागरों को धर्म का सच्चा रूप दिखायें
चलो मिटायें आतंक का इस देश से साया
मिल जुल कर करें दहशतगर्दों का सफाया
क्यों वो निर्दोशों की बस्ती मे आग लगायें
क्यों इस देश को बर्बादी के पथ पर ले जायें
हिन्दू मुस्लिम बाद मे पहले इस धरती की संतान है
इक माँ के बेटे क्यों इस सच्चाई से अनजान है
आओ प्यार मुहब्बत से रूठे भाइयों को मनायें
शहीदों के सपनो के भारत की दुनियां मे शान बढायें
धर्म जाति पाति, पुरुष नारी कुछ विष्य ऐसे हैं मै जिन पर लिखने से सदा घबराती हूँ क्योंकि इन के नाम पर हर किसी की भवें तन जाती हैं।। ये मेरे अपने विचार हैं। मेरी कोई बात किसी को बुरी लगे तो क्षमा चाहती हूँ।
अहिंसा अमन सुख चैन की बातें कहाँ हैं अब
वो अवसर ढूँढते तलवार से अब वार करने का
मैने अब तक जो देखा है वो ये कि धर्म ने हमेशा आदमी को जितना खून खराबे के लिये उकसाया उतना और किसी बात ने नही। धर्म का मूल सन्देश प्यार, मुहब्बत, भाईचारा दया- करुणा, क्षमा,अदि हैं। लेकिन हम उन्हें न मान कर धर्म के विरुद्ध कर्म कर रहे हैं। मेरा अपना मत है कि धर्म मेरा निज़ी मामला है। मेरा धर्म यही कहता है कि खुद को अध्यात्मिक बनाओ न कि धार्मिक । अध्यात्म मे ही वो रहस्य छुपा है जो हमे सही शब्दों मे इन्सान बनना सिखाता है। अलगाववाद की बात करने वालों को एक सत्य मान कर चलना होगा कि जो भी इस देश मे रहता है वो इस देश का नागरिक है और देश की एकता अखन्डता के लिये ही जीये। जब हमे सब को यहीँ रहना है तो अमन, प्रेम से क्यों न रहें? शायद आज के युवाओं ने 1947 का भीत्सव सच नही देखा। समझ नही आता कि कुछ लोग उसे दोहराने मे क्यों लगे है? बन्दूकें ही हर समस्या का हल नही होती। बढती हुयी नफरतों के अंजाम के बारे मे सोचो ।
प्रण कर लें हम सब इस देश के वासी हैं
न हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बल्कि भारतवासी हैं।
अंपने देश को अमन के दुशमनों से बचायें
सारे मिल कर अमन का पैगाम फैलायें
न हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बल्कि भारतवासी हैं।
अंपने देश को अमन के दुशमनों से बचायें
सारे मिल कर अमन का पैगाम फैलायें
क्या धर्म हमे नफरत करना सिखलाता है?
क्या धर्म भाई से भाई को ही लडवाता है?
धर्म के ठेकेदारों की कैद से अपना धर्म छुडायें
धर्म के सौदागरों को धर्म का सच्चा रूप दिखायें
चलो मिटायें आतंक का इस देश से साया
मिल जुल कर करें दहशतगर्दों का सफाया
क्यों वो निर्दोशों की बस्ती मे आग लगायें
क्यों इस देश को बर्बादी के पथ पर ले जायें
हिन्दू मुस्लिम बाद मे पहले इस धरती की संतान है
इक माँ के बेटे क्यों इस सच्चाई से अनजान है
आओ प्यार मुहब्बत से रूठे भाइयों को मनायें
शहीदों के सपनो के भारत की दुनियां मे शान बढायें
निर्मला कपिला : पंजाब सरकार के सेहत कल्यान विभाग मे नौकरी करने के बाद चीफ फार्मासिस्ट के पद से सेवानिवृ्त् होने के बाद लेखन कार्य के लिये समर्पित हैं..कला साहित्य प्रचार्मंच की अध्य़क्ष हैं . 2004 स लेखन विधिवत रूप से शुरु किया अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हुई दो छपने के लिये तयार हैं
1. सुबह से पहले---कविता संग्रह 2. वीरबहुटी---कहानी संग्रह 3. प्रेम सेतु---कहानी संग्रह
अनेक पत्र पत्रिकायों मे प्रकाशन, विविध भारती जालन्धर से कहानी का प्रसारण सम्मान, पँजाब सहित्य कला अकादमी जालन्धर की ओरे से सम्मान, ग्वालियर सहित्य अकादमी ग्वालियर की ओर से शब्दमाधुरी सम्मान .शब्द भारती सम्मान व विशिष्ठ सम्मान मिल चुका है . |