पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की दसवीं पेशकश अमित शर्मा जी, जो इस ब्लॉगजगत मैं तार्रुफ़ के मुहताज नहीं.. ...
पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की दसवीं पेशकश अमित शर्मा जी, जो इस ब्लॉगजगत मैं तार्रुफ़ के मुहताज नहीं..
ये दो भाव पुष्प अर्पण कर रहा हूँ , अगर अगर आप सबको पसंद आये तो खुशकिस्मत मानूंगा अपने को ----शांति और भाईचारे की आज पुरे विश्व को ज़रुरत है अ-मन अर्थात अपने मन के पूर्वाग्रहों से उत्पन्न वैमनस्य के दमन से ही समाज में अमन की बयार बह सकती है. अपने मन के विचारों को ही उत्कृष्ट मानकर समाज से अपेक्षा करना की पूरा समाज हमारे मनोअनुकूल चले, आपसी द्वेष को बढ़ाने वाला होता है. अमन वहीँ पनपता है जहाँ सभी सच्चे मन से सबके विचारों का आदर करते हुए जीवन जीए, ना की समाज में अपनी अपनी मान्यताओं को थोपने का दुराग्रह रखें...अमित शर्मा |
पता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग
पता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग
पता नहीं किस रौ में बह जाते है लोग
कोई आंखन देखी ना कोई कानन सुनी
ज्यादा बहुत देखा देखी ही कहते है लोग
मनचीती रबरबी,मनचाहा कहते है लोग
एक कहे तोड़ो बुतों को,कोई मस्जिद को
कहता कोई असल हमारा इल्म है देखो
कोई कह जाते सब बकवास जला फेंको
क्या सच में सिखलाता कोई रूहानी ग्रन्थ
की यह अपना है और वोह पराये धर्म वाला
सोच "अमित" ,क्या यह ऐसे ही थे सच में
या फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला
…….अमित शर्मा
| ओ माँ क्या तुम झूंठ बोलती थी
ओ माँ क्या तुम झूंठ बोलती थी
तुमने कहा था दुनिया बड़ी प्यारी है कहा था यहाँ खिली प्रेम की क्यारी है पर मुझे तो हर बात दिखती न्यारी है हर और फैली नफरत और गद्दारी है ओ माँ क्या तुम झूठ बोलती थी तुमने कहा था प्रेम की नदी यहाँ बहती है मगर देखा नदी इंसां के लहू की बहती है तुमने बताया था कण-कण में भगवान् है लोग कहते बुत में काबे में क्या नादान है ओ माँ क्या तुम झूंठ बोलती थी नहीं माँ मुझे विश्वास नहीं होता इसका ओ दुनिया वालो तुम जवाब दो इसका बतलादो मुझको मेरी माँ सच कहती थी बिगाड़ी हमने बात वर्ना माँ सच कहती थी
…….अमित शर्मा, जयपुर
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पोस्ट कोई भी हो किसी की भी हो, सभी ब्लोगेर्स से निवेदन है की, मिल के साथ दें , यह ना देखें कौन कह रहा है, यह देखें की क्या कह रहा है...? ३५ से अधिक लेख़ और पोस्ट पेश करने को अभी बाकी हैं. इस कारण अब रोजाना एक पोस्ट पेश की जा रही है .आप सब अपना सहयोग दें इस "अमन के पैग़ाम" को आगे बढ़ाने मैं ....
इस सहयोग के लिए अमित शर्मा जी का बहुत बहुत शुक्रिया ……….आभार सहित स.म.मासूम