कल हमारे एक मित्र महोदय ने यह सवाल किया भाई साहब आपके ब्लॉग का स्वास्थ कैसा है ? मैंने पुछा गुरु आज तक तो हमेशा मेरी सेहत के बारे मैं पूछत...
कल हमारे एक मित्र महोदय ने यह सवाल किया भाई साहब आपके ब्लॉग का स्वास्थ कैसा है ? मैंने पुछा गुरु आज तक तो हमेशा मेरी सेहत के बारे मैं पूछते थे , आज ब्लॉग की सेहत के बारे मैं पूछ रहे हो क्या बात है? क्या अब ब्लॉग भी बीमार होने लगे हैं?
गुरु ने जवाब दिया भाई आप का ब्लॉग सेहत मंद होगा तो मुझे यकीन हो जाएगा की आप की सेहत अच्छी है क्योंकि स्वस्थ विचार स्वस्थ शरीर मैं ही बसते हैं.
सही हैं हमारे मित्र गुरु क्योंकि मैंने भी बहुत से सेहत मंद ब्लॉग को बीमार होते देखा है और बहुत से बीमार ब्लॉग को स्वस्थ होते देखा है. यहाँ किसी को धर्म रोग लगा है, किसी को मित्र रोग लगा है, किसी को ढोंग रोग लगा है तो किसी को स्त्री रोग लगा गया है. एक स्वस्थ ब्लोगिंग करने वाले ब्लोगेर को स्वम ही हर सप्ताह अपना इलाज करते रहना चहिये. हम हर दिन बहुत से ब्लॉग पे जाते हैं और बहुत कुछ पढ़ते हैं, स्वस्थ विचारधारा, अस्वस्थ विचारधारा, कहीं गाली पुराण , कहीं नफरत की बातें इत्यादि और हम हैं तो आखिर एक कमज़ोर इंसान , जो एक मच्छर के काट लेने से डेंगू जैसी बीमारी का शिकार हो जाता है और ज़िन्दगी मौत के बीच लटक जाता है. आते जाते ब्लॉगजगत की इन छूत की बिमारिओं के लग जाने का अंदेशा हमेशा बना रहता है.
इन बिमारियों के बारे मैं अगर बातें करें तो पूरी किताब लिखी जा सकती है , लेकिन यहाँ वही बातें कहनी हैं जिनका मैं खुद गवाह हूँ.
आज एक ब्लॉग पे गया देखा किसी महोदय ने शान से लिखा है "अच्छा तो अब मासूम साहब भी आतंकवाद के हिमायती हो गए. मुझे बुरा भी लगा और आश्चर्य भी हुआ की मैं तो शांति का सन्देश देता हूँ यह भाई मुझे क्यों आतंकवादी बनाने पे तुले हैं. सोंचा चलो उनके ब्लॉग पे जा के देख लें कौन हैं यह भाई? लेख़ पढने से पाता लगा की इनको धर्म रोग के साथ शक का भी रोग लगा है और यह रोग भी यह कहीं किसी ब्लॉग से ले आये हैं. इनका मानना है की इस्लाम धर्म पे चलने वाला शांति की बात कर ही नहीं सकता और अगर करता है तो ढोंगी है. मैंने एक टिप्पणी की "किसी भी धर्म को जानो उनके ग्रंथों से और अगर कोई इंसान नफरत की आग जलाता मिले धर्म के नाम पे तो उसे झूठा जानो" तुरंत उनका जवाब भी आ गया की " मैंने वो टिप्पणी हटा ली है, जो किसी ग़लतफ़हमी के कारण की गयी थी. आप के अमन के पैग़ाम का स्वागत है." ज़रा ग़ौर करें अगर मैं भी इन भाई को आतंकवादी और कट्टरवादी के मेडल बाँट आता तो क्या यह भाई मेरे अमन के पैग़ाम का स्वागत करते?
इसी प्रकार कुछ ब्लोगेर को ढोंग रोग लगा हुआ है. यह हर जगह जय हिंद, जय भारत, वन्देमातरम कहते मिल जाएंगे और हर समय गंगा जमुनी संस्कृति को फैलाते मिलेंगे. यह हैं तो मुसलमान लेकिन इस ढोंग से यह जताने की कोशिश करते हैं की बाकी मुसलमान देश भक्त नहीं होते , केवल यह ही बड़े देश भक्त हैं. यह लोग भाईचारे के नाम पे मुसलमान को मंदिर जाने की नसीहतें करते और हिन्दू को रोज़ा रखने की नसीहतें भी करते मिल जाएंगे. जबकि दो इंसान अपने अपने धर्म का पालन करते हुई, एक दूसरे के धर्म का आदर करते हुए , गले मैं हाथ डाले प्रेम से दो भाइयों की तरह रह सकते हैं.
एक ऐसे ही भाई हैं जिनको आज भी जय हिंद, जय माता, वन्देमातरम की टिप्पणी करते देखा जा सकता है , उनकी बेटी ने एक हिन्दू से विवाह कर लिया तो जनाब ने अपनी बेटी को घर से निकाल दिया और उसकी शक्ल भी देखने को तैयार नहीं हैं. इसी के विपरीत एक साहब हैं, जो , ५ वक़्त के नमाज़ी , लेकिन जब उनके बेटे ने एक पंजाबी लड़की से विवाह किया तो ,खुद आगे बढ़ के बेटे की शादी भी करवाई और बहु को घर मैं , इज्ज़त के साथ रखा.
होना यही चाहिए की आप जो हैं, वही लिखें भी , यकीन मानिये बहुत इज्ज़त मिलेगी और अगर टिप्पणी का शौक है तो वोह भी मिलेगी क्योंकि आपके लेख़ मैं लोगों को एक इमानदार ब्लोगेर दिखाई देगा. ढोंग कर के समाज को बीमार ना करें. अगर हम स्वस्थ विचार और स्वस्थ ब्लोगिंग चाहते हैं तो हमें , हमेशा एक इंसान बन के लिखना चाहिए. किसी धर्म से या व्यक्ति विशेष से जुड़ के , जब भी आप लिखने की कोशिश करेंगे आप अपने लेख़ के साथ इन्साफ नहीं कर सकेंगे. अगर कोई ब्लोगेर अपने ब्लॉग या टिप्पणी के ज़रिये आपको बुरा कहता है,या आपके किसी मित्र के खिलाफ बोलता है, या आपकी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचता है तो भी उसका जवाब एक स्वस्थ सोंच के मालिक हो के दें. उसने तो अपने ब्लॉग की सेहत खराब कर ली आप ऐसा ना करें. अक्सर देखा जाता है की ब्लॉगर कभी धर्म, साहित्य और कभी संस्कृति को लेकर आपस में भिड़ जाते हैं। इस दौरान वे गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं जो ठीक नहीं है. इस संबंध में स्वस्थ मानसिकता से सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए.
और जो लोग झूट का सहारा ले के किसी के धर्म को बुरा कहते हैं , किसी व्यक्ति पे , झूठे इलजाम लगाते हैं, ध्यान रखें की वो पूरे समाज पे ज़ुल्म कर रहे हैं और ज़ुल्म हमेशा नफरत को जन्म देता है.
चलते चलते मैं भी पूछ लूं अपने ब्लोगेर दोस्तों से "भाई साहब आपके ब्लॉग का स्वास्थ कैसा है ?"
गुरु ने जवाब दिया भाई आप का ब्लॉग सेहत मंद होगा तो मुझे यकीन हो जाएगा की आप की सेहत अच्छी है क्योंकि स्वस्थ विचार स्वस्थ शरीर मैं ही बसते हैं.
सही हैं हमारे मित्र गुरु क्योंकि मैंने भी बहुत से सेहत मंद ब्लॉग को बीमार होते देखा है और बहुत से बीमार ब्लॉग को स्वस्थ होते देखा है. यहाँ किसी को धर्म रोग लगा है, किसी को मित्र रोग लगा है, किसी को ढोंग रोग लगा है तो किसी को स्त्री रोग लगा गया है. एक स्वस्थ ब्लोगिंग करने वाले ब्लोगेर को स्वम ही हर सप्ताह अपना इलाज करते रहना चहिये. हम हर दिन बहुत से ब्लॉग पे जाते हैं और बहुत कुछ पढ़ते हैं, स्वस्थ विचारधारा, अस्वस्थ विचारधारा, कहीं गाली पुराण , कहीं नफरत की बातें इत्यादि और हम हैं तो आखिर एक कमज़ोर इंसान , जो एक मच्छर के काट लेने से डेंगू जैसी बीमारी का शिकार हो जाता है और ज़िन्दगी मौत के बीच लटक जाता है. आते जाते ब्लॉगजगत की इन छूत की बिमारिओं के लग जाने का अंदेशा हमेशा बना रहता है.
इन बिमारियों के बारे मैं अगर बातें करें तो पूरी किताब लिखी जा सकती है , लेकिन यहाँ वही बातें कहनी हैं जिनका मैं खुद गवाह हूँ.
आज एक ब्लॉग पे गया देखा किसी महोदय ने शान से लिखा है "अच्छा तो अब मासूम साहब भी आतंकवाद के हिमायती हो गए. मुझे बुरा भी लगा और आश्चर्य भी हुआ की मैं तो शांति का सन्देश देता हूँ यह भाई मुझे क्यों आतंकवादी बनाने पे तुले हैं. सोंचा चलो उनके ब्लॉग पे जा के देख लें कौन हैं यह भाई? लेख़ पढने से पाता लगा की इनको धर्म रोग के साथ शक का भी रोग लगा है और यह रोग भी यह कहीं किसी ब्लॉग से ले आये हैं. इनका मानना है की इस्लाम धर्म पे चलने वाला शांति की बात कर ही नहीं सकता और अगर करता है तो ढोंगी है. मैंने एक टिप्पणी की "किसी भी धर्म को जानो उनके ग्रंथों से और अगर कोई इंसान नफरत की आग जलाता मिले धर्म के नाम पे तो उसे झूठा जानो" तुरंत उनका जवाब भी आ गया की " मैंने वो टिप्पणी हटा ली है, जो किसी ग़लतफ़हमी के कारण की गयी थी. आप के अमन के पैग़ाम का स्वागत है." ज़रा ग़ौर करें अगर मैं भी इन भाई को आतंकवादी और कट्टरवादी के मेडल बाँट आता तो क्या यह भाई मेरे अमन के पैग़ाम का स्वागत करते?
इसी प्रकार कुछ ब्लोगेर को ढोंग रोग लगा हुआ है. यह हर जगह जय हिंद, जय भारत, वन्देमातरम कहते मिल जाएंगे और हर समय गंगा जमुनी संस्कृति को फैलाते मिलेंगे. यह हैं तो मुसलमान लेकिन इस ढोंग से यह जताने की कोशिश करते हैं की बाकी मुसलमान देश भक्त नहीं होते , केवल यह ही बड़े देश भक्त हैं. यह लोग भाईचारे के नाम पे मुसलमान को मंदिर जाने की नसीहतें करते और हिन्दू को रोज़ा रखने की नसीहतें भी करते मिल जाएंगे. जबकि दो इंसान अपने अपने धर्म का पालन करते हुई, एक दूसरे के धर्म का आदर करते हुए , गले मैं हाथ डाले प्रेम से दो भाइयों की तरह रह सकते हैं.
एक ऐसे ही भाई हैं जिनको आज भी जय हिंद, जय माता, वन्देमातरम की टिप्पणी करते देखा जा सकता है , उनकी बेटी ने एक हिन्दू से विवाह कर लिया तो जनाब ने अपनी बेटी को घर से निकाल दिया और उसकी शक्ल भी देखने को तैयार नहीं हैं. इसी के विपरीत एक साहब हैं, जो , ५ वक़्त के नमाज़ी , लेकिन जब उनके बेटे ने एक पंजाबी लड़की से विवाह किया तो ,खुद आगे बढ़ के बेटे की शादी भी करवाई और बहु को घर मैं , इज्ज़त के साथ रखा.
होना यही चाहिए की आप जो हैं, वही लिखें भी , यकीन मानिये बहुत इज्ज़त मिलेगी और अगर टिप्पणी का शौक है तो वोह भी मिलेगी क्योंकि आपके लेख़ मैं लोगों को एक इमानदार ब्लोगेर दिखाई देगा. ढोंग कर के समाज को बीमार ना करें. अगर हम स्वस्थ विचार और स्वस्थ ब्लोगिंग चाहते हैं तो हमें , हमेशा एक इंसान बन के लिखना चाहिए. किसी धर्म से या व्यक्ति विशेष से जुड़ के , जब भी आप लिखने की कोशिश करेंगे आप अपने लेख़ के साथ इन्साफ नहीं कर सकेंगे. अगर कोई ब्लोगेर अपने ब्लॉग या टिप्पणी के ज़रिये आपको बुरा कहता है,या आपके किसी मित्र के खिलाफ बोलता है, या आपकी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचता है तो भी उसका जवाब एक स्वस्थ सोंच के मालिक हो के दें. उसने तो अपने ब्लॉग की सेहत खराब कर ली आप ऐसा ना करें. अक्सर देखा जाता है की ब्लॉगर कभी धर्म, साहित्य और कभी संस्कृति को लेकर आपस में भिड़ जाते हैं। इस दौरान वे गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं जो ठीक नहीं है. इस संबंध में स्वस्थ मानसिकता से सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए.
और जो लोग झूट का सहारा ले के किसी के धर्म को बुरा कहते हैं , किसी व्यक्ति पे , झूठे इलजाम लगाते हैं, ध्यान रखें की वो पूरे समाज पे ज़ुल्म कर रहे हैं और ज़ुल्म हमेशा नफरत को जन्म देता है.
चलते चलते मैं भी पूछ लूं अपने ब्लोगेर दोस्तों से "भाई साहब आपके ब्लॉग का स्वास्थ कैसा है ?"