आपको ऐसे बहुत लोग मिल जाएंगे यह कहते हुए. काश मैंने उससे इतना प्यार ना किया होता. प्यार अँधा होता है यह सब जानते हैं लेकिन ऐसा क्यों होता...
आपको ऐसे बहुत लोग मिल जाएंगे यह कहते हुए. काश मैंने उससे इतना प्यार ना किया होता. प्यार अँधा होता है यह सब जानते हैं लेकिन ऐसा क्यों होता है? इसको समझाने के लिए एक कहानी सुनाता हूँ।
पुराने समय की बात है। एक माली रहता था जो सुगंधित व सुदंर फ़ुलवाड़ियों व क्यारियों की बहुत अच्छे ढंग से देखभाल करता था। वृद्ध होने के बावजूद वह प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व बाग़ में टहलता और ताज़ा हवा का आनंद लेता। वह फूल पौधों को देखता और उन्हें सूंघा करता था। इसलिए सदैव प्रफुल्लित रहता था। यही कारण था कि मित्र उसे प्रफुल्लित वृद्ध कहते थे। उसका भी अन्य लोगों की भांति यह विश्वास था कि जो व्यक्ति भोर के समय उठे और कुछ देर फूलों के पास रहे और घास पर चले तो कभी भी बूढ़ा नहीं होगा और सदैव प्रफुल्लित रहेगा। माली ने अपने उपवन में नाना प्रकार के फूल लगा रखे थे ।
एक दिन उस माली ने खेत मैं कुछ बीज डाले और दूसरे दिन सदैव की भांति सुर्योदय से पूर्व बाग़ में टहलते हुए अपने खेतों को देखने पहुंचा। उसने देखा कि गुलाब की टहनी पर बैठा एक बुलबुल खेत के बीज को प्रसन्न हो हो के खा रहा है। वृद्ध माली थोड़ी देर खड़ा यह दृष्य देखता रहा और दुखी होता रहा । थोड़ी देर के पश्चात बुलबुल ने जब यह समझ लिया कि माली उसे देख रहा था, फुर से उड़ गया ।
दूसरे दिन माली ने फिर यही दृष्य देखा। माली अपने मनपसंद फूलों के बीज की यह दुर्गत देख कर दुखी हुआ और उसने सोंचा जो बुलबुल अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करे उसका दण्ड पिंजरा है। उसने वहीं पास के गुलाब की झाड़ में जाल बिछाकर बुलबुल को पकड़ लिया और पिंजरे में बंद कर दिया और कहा तुमने अपनी स्वतंत्रता के महत्व को नहीं समझा। अब पिंजरे में रहोगे तो खेतों के बीज खाने परिणाम समझ में आएगा।
बुलबुल ने कहा हे निर्दयी व्यक्ति! तुम मुझे बंदी बना कर मेरे मन और आत्मा को आघात पहुंचा रहे हो और दण्ड की बात कर रहे हो? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा पाप अधिक है। क्योंकि तूने मेरे मन को आहत किया है जबकि मैंने केवल कुछ फूल के बीज ही खाए हैं । बुलबुल की बातों का माली के मन पर प्रभाव पड़ा और उसने बुलबुल को स्वतंत्र कर दिया। बुलबुल उड़ कर लाल गुलाब की टहनी पर बैठ गया ।
माली ने बुलबुल से कहा मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि खेतों मैं डाले गए छोटे छोटे बीजों को दूर से देख लेता था किन्तु उस जाल को न देख सके जिसे मैंने बिछाया था ।
बुलबुल ने कहा इसका कारण हैःइन बीजों से मुझे प्रेम है और इस प्रेम के कारण मेरी समस्त इंद्रियां छोटे छोटे बीजों की ओर केन्द्रित हो गईं और मैं तेरा जाल न देख पाया। जो भी चीज़ अपनी सीमा को नहीं पहचानती उसे कष्ट पहुंचता है यहां तक कि सीमा से अधिक प्रेम का भी यही परिणाम होता है। बुलबुल यह कह कर फुर से उड़ गया।
पुराने समय की बात है। एक माली रहता था जो सुगंधित व सुदंर फ़ुलवाड़ियों व क्यारियों की बहुत अच्छे ढंग से देखभाल करता था। वृद्ध होने के बावजूद वह प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व बाग़ में टहलता और ताज़ा हवा का आनंद लेता। वह फूल पौधों को देखता और उन्हें सूंघा करता था। इसलिए सदैव प्रफुल्लित रहता था। यही कारण था कि मित्र उसे प्रफुल्लित वृद्ध कहते थे। उसका भी अन्य लोगों की भांति यह विश्वास था कि जो व्यक्ति भोर के समय उठे और कुछ देर फूलों के पास रहे और घास पर चले तो कभी भी बूढ़ा नहीं होगा और सदैव प्रफुल्लित रहेगा। माली ने अपने उपवन में नाना प्रकार के फूल लगा रखे थे ।
एक दिन उस माली ने खेत मैं कुछ बीज डाले और दूसरे दिन सदैव की भांति सुर्योदय से पूर्व बाग़ में टहलते हुए अपने खेतों को देखने पहुंचा। उसने देखा कि गुलाब की टहनी पर बैठा एक बुलबुल खेत के बीज को प्रसन्न हो हो के खा रहा है। वृद्ध माली थोड़ी देर खड़ा यह दृष्य देखता रहा और दुखी होता रहा । थोड़ी देर के पश्चात बुलबुल ने जब यह समझ लिया कि माली उसे देख रहा था, फुर से उड़ गया ।
दूसरे दिन माली ने फिर यही दृष्य देखा। माली अपने मनपसंद फूलों के बीज की यह दुर्गत देख कर दुखी हुआ और उसने सोंचा जो बुलबुल अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करे उसका दण्ड पिंजरा है। उसने वहीं पास के गुलाब की झाड़ में जाल बिछाकर बुलबुल को पकड़ लिया और पिंजरे में बंद कर दिया और कहा तुमने अपनी स्वतंत्रता के महत्व को नहीं समझा। अब पिंजरे में रहोगे तो खेतों के बीज खाने परिणाम समझ में आएगा।
बुलबुल ने कहा हे निर्दयी व्यक्ति! तुम मुझे बंदी बना कर मेरे मन और आत्मा को आघात पहुंचा रहे हो और दण्ड की बात कर रहे हो? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा पाप अधिक है। क्योंकि तूने मेरे मन को आहत किया है जबकि मैंने केवल कुछ फूल के बीज ही खाए हैं । बुलबुल की बातों का माली के मन पर प्रभाव पड़ा और उसने बुलबुल को स्वतंत्र कर दिया। बुलबुल उड़ कर लाल गुलाब की टहनी पर बैठ गया ।
माली ने बुलबुल से कहा मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि खेतों मैं डाले गए छोटे छोटे बीजों को दूर से देख लेता था किन्तु उस जाल को न देख सके जिसे मैंने बिछाया था ।
बुलबुल ने कहा इसका कारण हैःइन बीजों से मुझे प्रेम है और इस प्रेम के कारण मेरी समस्त इंद्रियां छोटे छोटे बीजों की ओर केन्द्रित हो गईं और मैं तेरा जाल न देख पाया। जो भी चीज़ अपनी सीमा को नहीं पहचानती उसे कष्ट पहुंचता है यहां तक कि सीमा से अधिक प्रेम का भी यही परिणाम होता है। बुलबुल यह कह कर फुर से उड़ गया।