एक दिन मैं अपने प्रिय मित्र के घर गया. बड़े मूड मैं थे, कहने लगे अरे यार अपना यह छत का पंखा आज कल आतंकवादी हो गया है. मैंने आश्चर्य ...
एक दिन मैं अपने प्रिय मित्र के घर गया. बड़े मूड मैं थे, कहने लगे अरे यार अपना यह छत का पंखा आज कल आतंकवादी हो गया है. मैंने आश्चर्य से पुछा भाई माजरा क्या है. बोले मेरे एक कमरे मैं कबूतर बहुत आते थे, कल अचानक एक कबूतर पंखे से टकरा गया. अब कोई भी कबूतर उस पंखे के पास नहीं आता. मैंने कहा किस कंपनी का पंखा है, मित्र बोले खेतान का, मैं सोंचने लगा आतंकवादी इस पंखे को कहूँ या खेतान को?
सच तो यह है की आतंकवाद एक विचारधारा है , जिसका ना कोई राष्ट्र है ना कोई धर्म. आतंकवाद का शाब्दिक अर्थ है भय और त्रास का शासन. आतंकवाद की मौजूदा क़ानूनी परिभाषा के मुताबिक वह हरकत आतंकवादी मानी जाएगी जिसमें १) आम जनता के ख़िलाफ़ हिंसक कार्रवाई की गई हो.
२) आम जनता की ज़िंदगी को ख़तरा हो,३) आम जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा को क्षति पहुँचती हो, ४) राष्ट्र की संपत्ति को क्षति पहुँचती हो.
आतंकवाद विचारधारा का सहारा अक्सर राजनेता, और बहुत से देश की हुकूमतें , अपनी ताक़त बढ़ाने और दूसरों को कमज़ोर करने के लिए लेते रहे हैं. विश्व राजनीति, अर्थनीति और भौतिकवाद ने मानव समाज की सोच को इतने संकुचित दायरे में क़ैद कर दिया है, कि मनुष्य का अपना प्राकृतिक स्वभाव खोता जा रहा है. मनुष्य तो एक सामाजिक प्राणी है और इस समाज मैं अमन और शांति से रहना उसका मकसद. आतंकवाद मनुष्य का स्वाभाव नहीं. राजनीति से प्रेरित हिंसाएँ ही आज के समय मैं आतंकवाद कहलाई जाने लगी हैं.
आज हिंदुस्तान ही नहीं पूरे विश्व मैं इस बात पे सबसे अधिक बहस हुआ करती है की आतंकवादी सच मैं कौन है? आतंक का शाब्दिक अर्थ तो दहशत फैलाना ही है फिर वो काम कोई भी करे आतंकवादी ही कहलाया जाना चाहिए. क्या अमेरिका आतंकवाद ख़त्म करने के नाम पे, सबसे बड़ा आतंकवादी देश बन के नहीं उभरा?
नक्सलवाद, उग्रवाद या फिर अतिवाद क्या है ? छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नक्सलियों को आतंकवादी कहा है। उन्होंने कहा कि नक्सली जिस तरह से जवानों और बेगुनाहों को मार रहे हैं वो आतंकवाद नहीं है तो क्या है.
केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के ‘भगवा आतंकवाद’ संबंधी बयान पर मचे बवाल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि इस शब्द का प्रयोग उस बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसके तहत एक समुदाय विशेष को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की जा रही है.
ईमानदार नज़र से देखा जाये तो आतंकवाद को परिभाषित करने के लिए किसी धर्म, किसी सम्प्रदाय को जोड़ना ठीक नहीं है. मुसलमानों को बदनाम करने और उनके लिए लोगों के दिल मैं नफरत पैदा करने की विश्वव्यापी साजिश के चलते आज मुसलमानों का नाम आतंकवाद से अधिक जोड़ा जाता है. और ऐसी बहुत सी मुस्लिम कट्टरपंथी व साम्प्रदायिक संगठनों का नाम आतंकवादी हमलो मैं लिया जाता रहा है. आप ज़रा ग़ौर से देखें , विश्व मैं जितने भी आतंकवादी हमले इन संगठनों ने किये हैं, उसमें मुसलमान ही सबसे अधिक मरा है. क्या यह इस बात को साबित नहीं करता की, आतंकवाद को किसी भी धर्म विशेष से जोड़ना ग़लत है. इस्लाम तलवार उठाने की इजाज़त केवल आत्मरक्षा ,मैं देता है.
हिंदुस्तान और पकिस्तान का झगडा दो मुल्कों का झगडा है. यह मुसलमान या हिन्दू का झगडा नहीं. आज हिंदुस्तान के किसी मुसलमान को पकिस्तान से कोई हमदर्दी नहीं, लेकिन उन पाकिस्तानियो से, हमदर्दी भाईचारे और इंसानियत के नाते हैं, जो कभी हिंदुस्तान मैं , उनके साथ रहा करते थे. मैंने ऐसे बड़े हिन्दू भी देखे हैं, जो अपने पाकिस्तान चले गए, मुसलमान पड़ोसियों को आज भी याद करते हैं, आँख मैं आंसूं के साथ.
आज जब भी किसी आतंकवादी हमले में, खबर आती है कि , इसमें लश्कर ए तोएबा का हाथ है, तो इसको पाकिस्तान का हिंदुस्तान के खिलाफ हमले की तरह ना ले कर हिंदुस्तान के ही मुसलमानों के खिलाफ नफरत का इज़हार करके लिया जाना इन्साफ नहीं.
मुंबई दंगा , २६/११ का आतंकवादी हमला, मुंबई ट्रेन ब्लास्ट, मुंबई सीरियल ब्लास्ट, 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट्स, 18 मई 2007 को हैदराबाद की मक्का मस्जिद, 8 सितम्बर 2007 को मालेगांव का का ब्लास्ट ,11 अक्टूबर 2007 को अजमेर की दरगाह , १३ मई २००८ जयपुर ब्लास्ट ,जर्मन बेकरी पुणे का ब्लास्ट, इत्यादि इत्यादि. आतंकवादी हमलों मैं आसाम से ले के राजस्थान, मुंबई तक हजारों बेगुनाह मारे गए थे, इन मारने वालों मैं सभी धर्म के लोग शामिल थे. बम धमाकों में बेगुनाह लोगों की जान लेने वालों की पहचान बहुत जरुरी है. एक आम हिन्दुस्तानी वो चाहे , किसी भी धर्म का हो, हमेशा इन आतंकवादी हमलों का, देश के खिलाफ साजिशों का शिकार होता रहा है. यह चिंता का विषय है की आतंकवाद जैसे गम्भीर और राष्ट्रीय समस्या को ले के भी राजनीति हो रही है.
जो लोग हिंदुस्तान को धर्म की आड़ ले के बाँटने की साजिश कर रहे हैं, उनका गुनाह भी इन आतंकवादियों से कम नहीं है. हमें सम्प्रदायवाद की संकीर्णता से ऊपर उठना ही होगा, क्योंकि और कोई चारा नहीं है. हिन्दू हो या मुस्लिम, कोई इस देश के टुकड़े होता देखना कभी पसन्द नहीं करेगा, सिवाय विदेशी खर्चों पर पल रहे भाड़े के टट्टुओं के.
आतंकवाद का विरोध करना हर उस जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है जो अहिंसा, प्रेम और भाईचारे में विश्वास रखता है.
तू मुझे दोष दे, मैं तुझ पे लगाऊँ इल्जाम
ऐसे आलम में भला अम्न का इम्कान कहाँ
ऐसे आलम में भला अम्न का इम्कान कहाँ
सभी धर्म के लोगों को चाहिए कि एक दूसरे से मित्रता करें, क्योंकि मित्रता इस कारण नहीं होती है कि कोई हिन्दू है या मुस्लिम, बल्कि इसलिए होती है कि आत्मीयता के धागे मज़हब और उपासना पद्धति के दायरों से ऊपर उठे होते हैं.
नफरत के तूफ़ान उड़ा कर, देख चुके हैं जग वाले
प्रेम से पार ना कोई पाया, आओ मिलकर प्रेम बढाएँ
प्रेम से पार ना कोई पाया, आओ मिलकर प्रेम बढाएँ
मंदिर-मस्जिद बहुत बनाया, आओ मिलकर देश बनाए
हर मज़हब को बहुत सजाया, आओ मिलकर देश सजाएं
हर मज़हब को बहुत सजाया, आओ मिलकर देश सजाएं
मत लूटो अब मंदिर-मस्जिद, जीने दो हर इंसा को
'साहिल' भारत की गलियों में, चलो ख़ुशी के दीप जलाएं
- साभार शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'
'साहिल' भारत की गलियों में, चलो ख़ुशी के दीप जलाएं
- साभार शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'
भारत एक बहुजातीय, बहुभाषीय, बहुधर्मीय देश है। इसकी एकता और अखंडता सबको मिलकरचलने में ही है.