मैंने अंग्रेजी ब्लॉगजगत का १५ साल का सफ़र तय करते हुए ,६ महीने पहले हिंदी ब्लॉगजगत मैं अपना क़दम रखा और सच मानिये मुझे हिंदी ब्लॉगजगत ने...
मैंने अंग्रेजी ब्लॉगजगत का १५ साल का सफ़र तय करते हुए ,६ महीने पहले हिंदी ब्लॉगजगत मैं अपना क़दम रखा और सच मानिये मुझे हिंदी ब्लॉगजगत ने बहुत ही कम समय मैं,बहुत से अच्छे दोस्त दिए, मुहब्बत दी , और सहयोंग दिया. मैं हर उस शख्स का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे सराहा,मैं उन सब का भी बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मेरी कमियां मुझे बताईं, क्योंकि इन्ही के कारण मैं आज खुद को हिंदी ब्लॉग जगत के काबिल बना सका. कुछ नाम मैं अवश्य लेना चाहूँगा.
समीर जी Udan Tashtari ,सतीश सक्सेना जी ,राज भाटिय़ा साहब ,,रज़िया "राज़" ,सुज्ञ , संगीता स्वरुप ,Shah Nawaz ,zeashan zaidi ,इस्मत ज़ैदी ,DR. ANWER JAMAL ,VICHAAR शून्य, निर्मला कपिला , डॉ टी एस दराल,ललित शर्मा , Tarkeshwar Giri ,उस्ताद जी इत्यादि .मैं इन सभी का बड़ा आभारी हूँ, क्योंकि जाने या अनजाने मैं इन्होने मुझे ब्लॉगजगत के तौर तरीक़े सिखाए.मैंने यहाँ केवल वही नाम दिए जिनसे मैंने कुछ सीखा, लेकिन मैं किस किसको पढना पसंद करता हूँ , फिर किसी और लेख़ मैं बताऊंगा.
इस ब्लॉगजगत मैं ब्लोगेर्स को हर दिन कोई ना कोई तजुर्बा अवश्य हुआ करता है. मुझे भी इतने दिनों मैं बहुत से खट्टे मीठे तजुर्बे हुए. आज सोंचा उसमें से कुछ को सबके साथ बाँट लेना लिया जाए. मैं जाती तौर पे झूट और ज़ुल्म से बहुत नफरत करता हूँ, और एक ऐसा समाज देखना चाहता हूँ, जिसमें प्रेम की प्रेम हो, नफरत जैसी कोई जगह ना हो. मैं दो चेहरे वाले इंसानों की बातों को आसानी से हज़म नहीं कर पता. अंग्रेजी ब्लॉग पे मुझे पढने वालों की संख्या १ ,३७६ ,८७२ है. यहाँ भी मेरी यह कोशिश रहा करती है की यह अमन का पैग़ाम अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे.
सबसे अधिक नफरत धर्म की आड़ ले के सियासी (राजनितिक) दलों द्वारा फैलाई जा रही है , इसलिए मेरे लिए भी यह आवश्यक था की मैं, एक ऐसा ब्लॉग बनाऊं जहाँ इस राजनितिक दलों द्वारा पहिली जा रही नफरत का जवाब दिया जा सके और इसे सभी धर्म के क लोग पढ़ें, और इस बात को समझ सकें की सभी धर्म शांति का सन्देश देता है नफरत का नहीं.
मेरा मानना है की साम्प्रदायिकता और धार्मिक विद्वेष हर व्यक्ति की अपनी मानसिकता पर निर्भर करता है. सियासी दलों के भाषण को बहुत गंभीरता से नहीं लेना चहिये; और मेरा तजुर्बा है की आपको सांप्रदायिक दलों में अनेक लोग खुले विचारों व धार्मिक रुप से अधिक उदार मिल जाएंगे, वहीं सेकुलर दलों में ऐसे लोगों की कमी नहीं कि अगर उनकी असलियत खुल जाए तो साम्प्रदायिकता भी शर्मिंदा हो जाए.
जब मैंने यह फैसला किया की अब हिंदी ब्लॉगजगत मैं भी कुछ लिखना है तो मैंने इन लव्जों के साथ आप लोगों तक आ पहुंचा:
"उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले सियासत जानें ,
मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे.
मेरे ब्लॉग पे आते ही मेरे एक मित्र ने कुछ गुरुमंत्र दिए, जिनको मैं आप सबसे बाँट लेना चाहूँगा. :
१) पोस्ट डालने के बाद जाओ और कुछ बड़े ब्लोगेर्स के ब्लॉग पे कमेन्ट कर आओ. मैं उनके दिए लिंक पे गया, कुछ पसंद नहीं आया. मैंने कहा भाई उनका लेख़ कमेन्ट करने जैसा नहीं, जवाब आया अमां यार करदो कमेन्ट "अति सुंदर" और चले आओ.
२) गुरुमंत्र था, किसी की भी पोस्ट हो कैसी भी पोस्ट हो केवल तारीफ ही करना, तभी सब तुमको पसंद करेंगे. (मैं यह नहीं कर पाया)
मैं इसमें कुछ गलत नहीं समझता की आप दूसरों तक खुद के लेख़ पहुँचाने के लिए , कहीं कमेन्ट कर दें लेकिन कमेन्ट कम से कम इमानदारीसे किया जाए. जिस से की उस लेखक को यह एहसास हो की वोह कहां सही है और कहां ग़लत. मुझे इस बात का बहुत दुःख है की इस ब्लॉगजगत मैं, इमानदारी से लेख़ को पढके कमेन्ट करने वाले बहुत कम हैं.
बहुत से ब्लॉग पे जाने के बाद टिप्पणिओं की कई किस्में मिलीं. ६०% टिप्पणी "अति सुंदर, बहुत खूब, जिससे हुआ करती हैं. इनका मतलब होता है, मैंने आप की कुण्डी खटखटा आप हमारी कुण्डी खटखटा दें.२५% वो ब्लोगेर्स थे जो इमानदारी से लेख़ पढ़ते और टिप्पणी करते मिले, लेकिन यह लोग भी लेख़ पसंद आने पे ही तारीफ करते मिले. १०% वो मिले जो केवल खिलाफ बोलने के लिए ब्लॉग पे जाया करते हैं. ५% मैं ऐसे लोग मिले जो इमादारी से तारीफ भी करते हैं और इमानदारी से ही लेख़ की कमियां भी बता जाते हैं.
मुझे ऐसा लगा की यहाँ सकारात्मक सोंच की कमी है. क्यों की अगर आप मैं प्रतिभा है तो जो , तारीफ के पुल जो बाँध दे उससे खुश और जिसने आप के लेख़ मैं खामियां बता दी उससे नाराज़,जैसी सोंच सही नहीं है. यही कारण है की बहुत से ऐसे लेख़ या कविताओं पे ऐसे तारीफ के पुल बंधे कमेन्ट मिलेंगे की आप को यह देख आश्चर्य होगा की क्या यह तारीफ सच मैं ऊपर दिए लेख़ या कविता की हो रही है?
३) तीसरा गुरुमंत्र था: जो कुछ भी एक ब्लोगेर लिख रहा है, वोह वैसा ही होगा अपने जीवन मैं ,यह आवश्यक नहीं. इसलिए मित्रता उस से उसके ब्लॉग पे पेश किये गए ख्यालात देख के ना करना.
मुझे मित्र महोदय का यह मशविरा ग़लत लगा था उस समय, लेकिन ५ महीने , के तजुर्बे ने सीखाया की मित्र महोदय सही हैं.
जब मैंने हिंदी ब्लॉग लिखना शुरू किया तो दो ऐसी भी टिप्पणी आयी , की मासूम साहब आप लिखते अच्छा हैं, लेकिन मुझे आप पे शक है , बहुत जल्द आप का भी रंग बदल जाएगा. मुझे उस समय बहुत बुरा लगा था. ५ महीने के तजुर्बे ने मुझे सीखाया की , इन लोगों के शक का कारण , कुछ ब्लोगेर्स की करनी और कथनी का फर्क था. आज वो दोनों जिन्होंने शक ज़ाहिर किया था , मेरे अच्छे मित्र हैं. और ऐसे भी ब्लोगेर्स हैं, जो शुरू मैं मेरे मित्र थे, और यह मित्रता केवल उनके ब्लॉग पे लिखी, सत्यता, मनुष्यता, मित्रता, इमानदारी,किरदार,इत्यादि बेहतरीन बातों को देख के हुई थी.आज उनसे मेरे रिश्ते वैसे नहीं रहे जैसे पहले थे., क्योंकि मेरे मित्र की हिदायत सही थी की "जो कुछ भी एक ब्लोगेर लिख रहा है, वोह वैसा ही होगा अपने जीवन मैं ,यह आवश्यक नहीं"
मैं ऐसी लोगों को पसंद करता हूँ जो मेरी ग़लतियाँ मुझे इमानदारी से बताएं क्योंकि किसी भी मुद्दे पे मैं सही भी हो सकता हूँ और ग़लत भी. यहाँ मैं कहां तक सही हूँ इसका फैसला तो ब्लोगेर्स ही कर सकते हैं.
मेरा सभी ब्लोगेर्स से ,जो की अमन और शांति पसंद करते हैं, इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं, अनुरोध है की मेरा साथ अपने बेशकीमती मशविरे से , इमानदार टिप्पणियों से दें, और इस अमन के पैग़ाम को दूसरों तक भी पहुंचाएं.
जिस दिन लोग नफरत का पैग़ाम देने वालों से अधिक शांति सन्देश देने वालों का साथ देना शुरू कर देंगे , यकीन जानिए , यह नफरत के बीज जो ब्लॉगजगत मैं बोये जा रहे हैं, कभी फल नहीं दे पाएँगे.
ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे.