चिदम्बरम् जी ने भगवा आतंक , किसी समूह विशेष की आतंकवादी हरकतों को देख के , यह नाम दे दिया . हरा आतंक सुना, अब भगवा भी सुन लिया, और ना जाने ...
चिदम्बरम् जी ने भगवा आतंक , किसी समूह विशेष की आतंकवादी हरकतों को देख के , यह नाम दे दिया . हरा आतंक सुना, अब भगवा भी सुन लिया, और ना जाने कितने रंगों को इस आतंकवाद से जुड़ना बाकी है. मेरा मानना है की आतंकवाद का रंग लाल हुआ करता है, क्यूँ की उसका काम केवल बेगुनाहों की जान लेना है और धर्म चाहे कोई भी हो उसका रंग सफ़ेद होता है, क्यूँ की धर्म का काम, अमन और शांति फैलाना है।
कोई भी धर्म हो वो इंसान को इंसानियत के माने बताता है. धर्म की सीख दूसरो के दर्द को समझ के , उसकी मदद करना है, किसी को दर्द देना कोई धर्म नहीं सीखाता. लेकिन यह भी हमारा दुर्भाग्य है की जहाँ जहाँ, धर्म की नसीहतें गयीं, कुछ पाखंडी और नफरत के सौदागरों ने , वहीं वहीं नफरत के बीज भी बोये।
धैर्य, क्षमा, बुरे विचारों का दमन, चोरी न करना, अंतर्बाह्य शुद्धता, इंद्रियों पर नियन्त्रण, बुद्धि, विद्या,सत्य बोलना तथा क्रोध न करना एक धार्मिक इंसान के लषण हैं. लेकिन आज का नेक धार्मिक इंसान भी , चाहे वो किसी भी धर्म का हो, आम इंसानों को नफरत का सौदागर ही दिखाई देता है. क्योंकि आज धर्म के नाम पे ही पाखंडी अधर्म फैलाने में लगे हैं और नतीजे में एक नेक धार्मिक इंसान की छवि भी ख़राब हो रही हैं।
आज आवश्यकता इस बात की है , की इस देश के जागरूक, पढ़े लिखे नागरिक आगे आएं , इसी धर्म का इस्तेमाल सभी धर्म के लोगों को जोड़ने में करें. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, को ज़रा ध्यान से देखें. कितनी सुन्दरता से केसरिया और हरे रंग को सफेद पट्टी ( जो शांति और सत्य का प्रतीक है) से जोड़ रखा है।
"हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय हिन्दू , ईसाई, मुस्लिम,ज्यूस, पारसी और अन्य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, अपने देश को जोड़ने में एक दूसरे की मदद करें, शांति और इंसानियत का पैग़ाम दें।
कोई भी धर्म हो वो इंसान को इंसानियत के माने बताता है. धर्म की सीख दूसरो के दर्द को समझ के , उसकी मदद करना है, किसी को दर्द देना कोई धर्म नहीं सीखाता. लेकिन यह भी हमारा दुर्भाग्य है की जहाँ जहाँ, धर्म की नसीहतें गयीं, कुछ पाखंडी और नफरत के सौदागरों ने , वहीं वहीं नफरत के बीज भी बोये।
धैर्य, क्षमा, बुरे विचारों का दमन, चोरी न करना, अंतर्बाह्य शुद्धता, इंद्रियों पर नियन्त्रण, बुद्धि, विद्या,सत्य बोलना तथा क्रोध न करना एक धार्मिक इंसान के लषण हैं. लेकिन आज का नेक धार्मिक इंसान भी , चाहे वो किसी भी धर्म का हो, आम इंसानों को नफरत का सौदागर ही दिखाई देता है. क्योंकि आज धर्म के नाम पे ही पाखंडी अधर्म फैलाने में लगे हैं और नतीजे में एक नेक धार्मिक इंसान की छवि भी ख़राब हो रही हैं।
आज आवश्यकता इस बात की है , की इस देश के जागरूक, पढ़े लिखे नागरिक आगे आएं , इसी धर्म का इस्तेमाल सभी धर्म के लोगों को जोड़ने में करें. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, को ज़रा ध्यान से देखें. कितनी सुन्दरता से केसरिया और हरे रंग को सफेद पट्टी ( जो शांति और सत्य का प्रतीक है) से जोड़ रखा है।
"हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय हिन्दू , ईसाई, मुस्लिम,ज्यूस, पारसी और अन्य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, अपने देश को जोड़ने में एक दूसरे की मदद करें, शांति और इंसानियत का पैग़ाम दें।