मनुष्य के मन में यह प्रश्न उठता रहा है कि सृष्टि का आरंभ कब हुआ? कैसे हुआ? हर मनुष्य के मन में उठता रहा है यह प्रश्न कि क्या कोई वस्तु बिन...
मनुष्य के मन में यह प्रश्न उठता रहा है कि सृष्टि का आरंभ कब हुआ? कैसे हुआ? हर मनुष्य के मन में उठता रहा है यह प्रश्न कि क्या कोई वस्तु बिना किसी बनाने वाले के बन सकती है? यह हमेशा से एक सवाल रहा की चाँद, सितारे, आकाशगंगाएं, पृथ्वी, पर्वत, जंगल, पशु, पक्षी, मनुष्य, जीव-जन्तु यह सब कहाँ से आए और कैसे बने?
आस्तिक का मान ना है, यह दुनिया अल्लाह ने,ईश्वर, भगवान् ने बनाई और सामान्य भाषा में 'नास्तिक' उसे कहते हैं, जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता। मैं अल्लाह के अस्तित्व पे,उसकी किताबों पे यकीन रखता हूँ और यह कुछ बातें इस उम्मीद के साथ पेश कर रहा हूँ की लोग खुद भी यह फैसला कर सकें क्या सही है क्या गलत।
हज़रत अली (अ) से एक नास्तिक ने कहा: ऐ अली, क्यों तुम दुनिया का लुत्फ़ नहीं उठाते? इस दुनिया मैं हम इंसान भी इसी पेड पौधे की तरह हैं एक दिन ख़त्म हो जाएगा सब, कोई हिसाब किताब नहीं होगा क्यूंकि कोई अल्लाह नहीं है।
हजरत अली (अ.स) ने उस से कहा. चलो ठीक अगर कोई खुदा नहीं, तो मैंने क्या खोया? जैसे तुम पेड़ पौधों की तरह ख़त्म हो जाओगे, मैं भी ख़त्म हो जाऊंगा, और तुमने क्या पाया ? यही ज़रा सी दुनिया की लज्ज़त जो बहुत मायने नहीं रखती।
और अगर इस संसार का एक रचयिता है, मरने के बाद एक अन्य लोक है जहाँ कर्मों का हिसाब किताब होगा और अच्छे कार्य करने वालों को स्वर्ग और बुरे कार्य करने वालों को नरक में भेजा जाएगा। तो तुम इसका हिसाब किताब भी कर लो की तुमने क्या खोया ?
अल्लामा हिल्ली एक बहुत प्रसिद्ध बुद्धिजीवी थे। उनके काल में एक नास्तिक बहुत प्रसिद्ध हुआ। वह बड़े बड़े आस्तिकों को बहस में हरा देता था, उसने अल्लामा हिल्ली को भी चुनौती दी। बहस के लिए एक दिन निर्धारित हुआ और नगरवासी निर्धारित समय और निर्धारित स्थान पर इकट्ठा हो गए। वह नास्तिक भी समय पर पहुंच गया, किन्तु अल्लामा हिल्ली का कहीं पता नहीं था।
काफ़ी समय बीत गया लोग बड़ी व्याकुलता से अल्लामा हिल्ली की प्रतीक्षा कर रहे थे कि अचानक अल्लामा हिल्ली आते दिखाई दिए। उस नास्तिक ने अल्लामा हिल्ली से विलंब का कारण पूछा तो उन्होंने विलंब के लिए क्षमा मांगने के पश्चात कहा कि वास्तव में मैं सही समय पर आ जाता, किन्तु हुआ यह कि मार्ग में जो नदी है उसका पुल टूटा हुआ था और मैं तैर कर नदी पार नहीं कर सकता था, इसलिए मैं परेशान होकर बैठा हुआ था कि अचानक मैंने देखा कि नदी के किनारे लगा पेड़ कट कर गिर गया और फिर उसमें से तख़्ते कटने लगे और फिर अचानक कहीं से कीलें आईं और उन्होंने तख़्तों को आपस में जोड़ दिया और फिर मैंने देखा तो एक नाव बनकर तैयार थी। मैं जल्दी से उसमें बैठ गया और नदी पार करके यहाँ आ गया।
अल्लामा हिल्ली की यह बात सुनकर नास्तिक हंसने लगा और उसने वहाँ उपस्थित लोगों से कहाः "मैं किसी पागल से वाद-विवाद नहीं कर सकता, भला यह कैसे हो सकता है? कहीं नाव, खुद से बनती है?" यह सुनकर अल्लामा हिल्ली ने कहाः "हे लोगो! तुम फ़ैसला करो। मैं पागल हूँ या यह, जो यह स्वीकार करने पर तैयार नहीं है कि एक नाव बिना किसी बनाने वाले के बन सकती है, किन्तु इसका कहना है कि यह पूरा संसार अपने ढेरों आश्चर्यों और इतनी सूक्ष्म व्यवस्था के साथ स्वयं ही अस्तित्व में आ गया है"। नास्तिक ने अपनी हार मान ली और उठकर चला गया।
इन सब बातों से यह निष्कर्ष निकलता है कि इस सृष्टि का कोई रचयिता है, क्योंकि कोई भी वस्तु बिना बनाने वाले के नहीं बनती। बनाने वाले को पहचानने के लिए विभिन्न लोगों को भिन्न-भिन्न मार्ग अपनाना पड़ता है। धर्मों में विविधता का कारण यही है। बुद्धि कहती है कि ईश्वर और परलोक की बात करने वालों पर विश्वास किया जाए, क्योंकि अविश्वास की स्थिति में यदि उनकी बातें सही हुईं तो बहुत बड़ी हानि होगी।
आप आस्तिक है या नास्तिक? फैसला खुद करें...
आप आस्तिक हैं तो अल्लाह से, भगवन से, इश्वेर से डरें और अगर आप नास्तिक हैं तो दुनिया वालों से डरें.अगर आस्तिक हैं तो इस दुनिया मैं अमन काएम करें, दूसरों की भलाई को अपना धर्म समझें, दुनिया की लज्ज़त का शौक जिसने किया वोह इन लज्ज़तों का गुलाम हो गया और राह से भटक गया.
आस्तिक का मान ना है, यह दुनिया अल्लाह ने,ईश्वर, भगवान् ने बनाई और सामान्य भाषा में 'नास्तिक' उसे कहते हैं, जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता। मैं अल्लाह के अस्तित्व पे,उसकी किताबों पे यकीन रखता हूँ और यह कुछ बातें इस उम्मीद के साथ पेश कर रहा हूँ की लोग खुद भी यह फैसला कर सकें क्या सही है क्या गलत।
हज़रत अली (अ) से एक नास्तिक ने कहा: ऐ अली, क्यों तुम दुनिया का लुत्फ़ नहीं उठाते? इस दुनिया मैं हम इंसान भी इसी पेड पौधे की तरह हैं एक दिन ख़त्म हो जाएगा सब, कोई हिसाब किताब नहीं होगा क्यूंकि कोई अल्लाह नहीं है।
हजरत अली (अ.स) ने उस से कहा. चलो ठीक अगर कोई खुदा नहीं, तो मैंने क्या खोया? जैसे तुम पेड़ पौधों की तरह ख़त्म हो जाओगे, मैं भी ख़त्म हो जाऊंगा, और तुमने क्या पाया ? यही ज़रा सी दुनिया की लज्ज़त जो बहुत मायने नहीं रखती।
और अगर इस संसार का एक रचयिता है, मरने के बाद एक अन्य लोक है जहाँ कर्मों का हिसाब किताब होगा और अच्छे कार्य करने वालों को स्वर्ग और बुरे कार्य करने वालों को नरक में भेजा जाएगा। तो तुम इसका हिसाब किताब भी कर लो की तुमने क्या खोया ?
अल्लामा हिल्ली एक बहुत प्रसिद्ध बुद्धिजीवी थे। उनके काल में एक नास्तिक बहुत प्रसिद्ध हुआ। वह बड़े बड़े आस्तिकों को बहस में हरा देता था, उसने अल्लामा हिल्ली को भी चुनौती दी। बहस के लिए एक दिन निर्धारित हुआ और नगरवासी निर्धारित समय और निर्धारित स्थान पर इकट्ठा हो गए। वह नास्तिक भी समय पर पहुंच गया, किन्तु अल्लामा हिल्ली का कहीं पता नहीं था।
काफ़ी समय बीत गया लोग बड़ी व्याकुलता से अल्लामा हिल्ली की प्रतीक्षा कर रहे थे कि अचानक अल्लामा हिल्ली आते दिखाई दिए। उस नास्तिक ने अल्लामा हिल्ली से विलंब का कारण पूछा तो उन्होंने विलंब के लिए क्षमा मांगने के पश्चात कहा कि वास्तव में मैं सही समय पर आ जाता, किन्तु हुआ यह कि मार्ग में जो नदी है उसका पुल टूटा हुआ था और मैं तैर कर नदी पार नहीं कर सकता था, इसलिए मैं परेशान होकर बैठा हुआ था कि अचानक मैंने देखा कि नदी के किनारे लगा पेड़ कट कर गिर गया और फिर उसमें से तख़्ते कटने लगे और फिर अचानक कहीं से कीलें आईं और उन्होंने तख़्तों को आपस में जोड़ दिया और फिर मैंने देखा तो एक नाव बनकर तैयार थी। मैं जल्दी से उसमें बैठ गया और नदी पार करके यहाँ आ गया।
अल्लामा हिल्ली की यह बात सुनकर नास्तिक हंसने लगा और उसने वहाँ उपस्थित लोगों से कहाः "मैं किसी पागल से वाद-विवाद नहीं कर सकता, भला यह कैसे हो सकता है? कहीं नाव, खुद से बनती है?" यह सुनकर अल्लामा हिल्ली ने कहाः "हे लोगो! तुम फ़ैसला करो। मैं पागल हूँ या यह, जो यह स्वीकार करने पर तैयार नहीं है कि एक नाव बिना किसी बनाने वाले के बन सकती है, किन्तु इसका कहना है कि यह पूरा संसार अपने ढेरों आश्चर्यों और इतनी सूक्ष्म व्यवस्था के साथ स्वयं ही अस्तित्व में आ गया है"। नास्तिक ने अपनी हार मान ली और उठकर चला गया।
इन सब बातों से यह निष्कर्ष निकलता है कि इस सृष्टि का कोई रचयिता है, क्योंकि कोई भी वस्तु बिना बनाने वाले के नहीं बनती। बनाने वाले को पहचानने के लिए विभिन्न लोगों को भिन्न-भिन्न मार्ग अपनाना पड़ता है। धर्मों में विविधता का कारण यही है। बुद्धि कहती है कि ईश्वर और परलोक की बात करने वालों पर विश्वास किया जाए, क्योंकि अविश्वास की स्थिति में यदि उनकी बातें सही हुईं तो बहुत बड़ी हानि होगी।
आप आस्तिक है या नास्तिक? फैसला खुद करें...
आप आस्तिक हैं तो अल्लाह से, भगवन से, इश्वेर से डरें और अगर आप नास्तिक हैं तो दुनिया वालों से डरें.अगर आस्तिक हैं तो इस दुनिया मैं अमन काएम करें, दूसरों की भलाई को अपना धर्म समझें, दुनिया की लज्ज़त का शौक जिसने किया वोह इन लज्ज़तों का गुलाम हो गया और राह से भटक गया.