मैंने अमन के पैग़ाम के ज़रिये इस्लाम के सही रूप को , पेश करने की कोशिश की शुरूआत की, बहुत से अमन पसंद पढ़े लिखे लोगों ने मेरी होसला अफजाई क...
मैंने अमन के पैग़ाम के ज़रिये इस्लाम के सही रूप को , पेश करने की कोशिश की शुरूआत की, बहुत से अमन पसंद पढ़े लिखे लोगों ने मेरी होसला अफजाई की, मैं उन सबका आभारी हूँ. लेकिन मैंने महसूस किया की कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है की मैं जो अमन की बात करता हूँ वोह कुरान मैं नहीं है, और इसके लिए मैं उनलोगों को दोषी नहीं मानता. आज के पश्चिमी मीडिया, ने १०% मुसलमान जो की राजशाही के ग़ुलाम हैं, उनकी बातों को, तरीके को,फतवों को इस्लाम बना रेखा है . यह बहुत से लोग नहीं जानते के हकीकत मैं कुरान मैं क्या है... और यकीनन जो कुरान है वही इस्लाम है.....आज इस बात की ज़रुरत है की इस्लाम को मुहम्मद (स.अव० और उनके घराने की सीरत, किरदार और कुरान की हिदायत से पहचनवाया जाए.
राजशाही और तानाशाही का नाम इस्लाम नहीं है. और आज जो इस्लाम का चेहरा दिखाई देता है, वो नकली मुल्लाओं और निरंकुश शासकों के बीच नापाक गठजोड़ का नतीजा है. जबकि इस इस्लाम के बिगड़े चेहरे का पूरा असर केवल १०% मुसलमानों पे हुआ है और पश्चिमी हुक्मरान ने जाती फायदे के लिए , इस्लाम मैं आयी उन बुराईयों का , इस्तेमाल इस्लाम और मुस्लमान को बदनाम करने के लिए बखूबी किया.
इस्लाम और आतंकवाद यह दोनों एक दुसरे के विपरीत हैं , लिकिन आज अफ़सोस की बात है की मुसलमान के साथ आतंकवाद का नाम जोड़ा जाता है. यह और बात है की समाज के पढ़े लिखे लोग अब समझने लगे हैं, की आतंकवाद का किसी धर्म विशेष से लेना देता नहीं.
यह शब्द 'इस्लाम' शब्द असल मैं शब्द तस्लीम है, जो शांति से संबंधित है. आज इस्लाम नकली मुल्लाओं की व्याख्या का कैदी बन के रह गया है. नकली मुल्लाओं सम्राटों के हाथ की कठपुतली हमेशा से रहे हैं. आज यह नेताओं और सियासी पार्टिओं के हाथ की कठपुतली हैं. अरबी भाषा में अर्थ है मुल्ला जो ज्ञानी, एक उच्च शिक्षित विद्वान है. लेकिन, जो धार्मिक पोशाक पहन ले और धर्म और शासकों के बीचविद्वानों की तरह मध्यस्थ के रूप में कार्य करे , कठमुल्ला या नकली मुल्ला कहलाता है. ऐसे लोगों को इस्लाम के बारे में उचित जानकारी नहीं है हालांकि वे दावा करते हैं.
नकली मुल्लाओं को इस्लाम के संदेश को प्रतिबंधित करने की कोशिश की. अल्लाह सिर्फ मुसलमानों का पालने वाला नहीं है, या फिर सिर्फ उनका पालने वाला नहीं जो मस्जिदों मैं नमाजें पढ़ करते हैं, बल्कि अल्लाह सारी कायनात के हर एक मखलूक का पालने वाला है. और अल्लाह के नबी मुहम्मद (स.अ.व) सारे इंसानों के लिए रहमत हैं. और इस दुनिया के हर इंसान का, एक दुसरे पे किसी ना किसी प्रकार का हक है.
दोस्तों! इस्लाम, सरकार भी नहीं है बल्कि धर्म है. अगर इस्लाम सरकारी सत्ता का मतलब है, तो पैगंबर मुहम्मद की सबसे बड़े सम्राट के शीर्षक के साथ सम्मानित किया जाना था. लेकिन उन्हें यह शीर्षक नहीं दिया गया. उनको पैग़म्बर इ इस्लाम , बन्दा ऐ खुदा,अल्लाह का रसूल का खिताब मिला .
सच्चा इस्लाम है जो कि कुरान में पढ़ाया जाता है, और जिसको पैगंबर मुहम्मद (स) और उनके घराने ने समझाया ने समझाया, क़ुरबानी दे के.
कुरान ५:३२ मैं कहा गया है की अगर किसी ने एक बेगुनाह इंसान की जन ली तो यह ऐसा हुआ जैसे पूरे इंसानियत का क़त्ल किया और अगर किसी ने एक इंसान की जान बचाई तो उसने पूरी इंसानियत की जान बचाई.
इमाम अली(अ.स) ने जब मालिक इ अश्तर को मिस्र के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया तो हिदायत दी" मुस्लमान तुम्हारा धर्म भाई है और बाकी सब इंसानियत मैं भाई हैं. तुम दोनों की मदद करना और फैसला मुसलमानों का धर्म के आधार पे करना और दूसरों का फैसला उनके, उनकी आम मानवता के आधार पे करना.
इस्लाम के दामन पे इन दुनिया परस्त मुल्लाओं की वजह से, बहुत से बदनुमा दाग़ लग गए हैं. इनको आज कुरान की सही हिदायतों के ज़रिये धोने की ज़रुरत है. सैयद 'अबुल अला Maududi और डॉ. ताहा हुसैन के जैसे विद्वानों द्वारा दर्ज किया एक सत्य , की अबू सुफ़िआन ने इस्लाम का इस्तेमाल राजनैतिक शक्ति प्राप्त करने के लिए इस्लाम को ग़लत तरीके से पेश किया. जो खुल के कर्बला मैं आया जहां यजीद ने जो की अबू सुफ़िआन का पोता था और बनू उमीया काबिले से था , इमाम हुसैन (अ.स) को जो की रसूल इ खुदा (स.अव) के नवासे थे और बनुहाशिम काबिले से थे, घेर के भूखा प्यासा निर्दयता से शहीद कर दिया, उनके ६ महीने के बच्चे को भी पानी ना पिलाया और गर्दन पे तीर मारा . रसूल इ खुदा(स.अव) के घराने की ओरतों को सरे बाज़ार घुमाया और यजीद के दरबार मैं ले जा के क़ैद खाने मैं दाल दिया.
यहीं से हक और बातिल का चेहरा खुल के सामने आ गया. क्यूंकि इस्लाम मैं ज़ुल्म करने वाला, उसको देख के चुप रहने वाला, ज़ालिम के हक मैं दुआ करने वाला और ज़ुल्म पे खुश होने वाला , सभी ज़ालिम हैं. इस्लाम मैं जंग मैं भी, बूढ़े , बच्चे और औरतों को नुकसान पहुँचाने की इजाज़त नहीं है, यहाँ तक की अगर कोई पीठ दिखा जाए तो उसको भी नुकसान पहुँचाने की इजाज़त नहीं. इस्लाम मैं सिर्फ और सिर्फ सामने से हमला करने वाले पे ही हमला किया जा सकता है.
यजीद जिसने यह ज़ुल्म किया अगर खुद को बादशाह कहता तो कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन अफ़सोस की वोह खुद को मुसलमानों का खलीफा कहता था. और लोगों तक यह पैग़ाम गया की यह ज़ुल्म ही इस्लाम है.
आज यह सच है की ९०% मुसलमान अबुफ़ुफ़िआन, मुआविया , और यजीद जैसे जालिमों के इस्लाम पे नहीं हैं, और ना ही आज इनको खलीफा का दर्जा हासिल है. लेकिन इस्लाम के दामन पे जो ज़ुल्म के ज़रिये दाग़ लगाया ,उसका नुकसान आज सभी मुसलमान उठा रहे हैं.
मुसलमानों का स्वयं अपने भीटर की बुराईयों के खिलाफ अपनी नफ्स से जंग करने का नाम भी जिहाद है . कितने हैं जो इस बात को जानते हैं?
दूसरा भाग जल्द ही "जिहाद क्या है और इसकी कितनी किस्म है.. .................................
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